छठ पर्व पर छत्तीसगढ़ में पहली बार दिया गया अवकाश
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिलासपुर में अरपा नदी पर स्थित छठघाट में छठ पूजा कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अरपा जीवनदायिनी नदी है, यह हमेशा बहती रहे, यह हम सबके लिये बेहद जरूरी है। नदी का प्रवाह बनाये रखने के लिये हमें व्यवस्था करनी है। हमने संकल्प लिया है कि आने वाले समय में अरपा का घाट और भी सुंदर बनेगा। उन्होंने अरपा मैया की आरती भी उतारी। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत भी विशेष रूप से उपस्थित थे। सरकार ने छत्तीसगढ़ में छठ पर्व पर पहली बार अवकाश घोषित किया।
बघेल ने कहा कि छठ पूजा केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी जरूरी है। उनके लिये भी जरूरी है जो अपने जड़ों से कट रहे हैं। उन बेटों के लिये जरूरी है जो इस पर्व के बहाने घर आते हैं। उन माताओं के लिये जरूरी है जो इस पर्व के बहाने अपने संतानों को देख लेती हैं। उन परिवारों के लिये भी जरूरी है जिनके सदस्य रोजी-रोटी के लिये देश और दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं और छठपर्व मनाने के लिये एकत्रित होते हैं। उन नयी पीढ़ी के लिये भी जरूरी है जो नदियों को केवल किताबों में देखते हैं। इस पूजा में उगते सूरज को ही नहीं, बल्कि डूबते सूरज को भी नमन किया जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में छठ पर्व पर पहली बार अवकाश दिया गया है।
कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष एवं बिल्हा क्षेत्र के विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि छठ पूजा के पूर्व जीवनदायिनी अरपा नदी की पूजा व आरती करने की परंपरा है। इसके पीछे यह पवित्र भावना है कि नदी को प्रदूषण मुक्त रखें और इसमें सतत् जल का प्रवाह होता रहे। उन्होंने बताया कि अरपा नदी से बिल्हा में पांच हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होती है। इस नदी पर अरपा-भैंसाझार परियोजना के पूर्ण होने से 67 हजार एकड़ में सिंचाई होगी।