हार्वर्ड में केस स्टडी बना राजस्थान एजुकेशन मॉडल
जयपुर
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए चलाया गए एक अभियान ने बेहतर नतीजे दिए। नतीजों को देखते हुए इस मॉडल को हार्वर्ड बिजनस स्कूल और हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गर्वनमेंट में केस स्टडी के तौर पर शामिल किया गया है। शिक्षा का यह मॉडल आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और रेग्युलर स्टडीज में कंप्यूटर के प्रयोग पर आधारित है।
बताया गया कि इस मॉडल को थिंक टैंक अब्दुल जमीमल पावर्टी ऐक्शन लैब (जे पाल) द्वारा 2018 में मान्यता मिली थी। इस बार अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्तेय डिफ्लो भी प्रमाणित कर चुके हैं। इस मॉडल को 2017 में शुरू किया गया था। क्लासरूम बेस्ड आईसीटी (कंप्यूटर आधारित पढ़ाई) प्रोग्राम का असर देखने के लिए राज्य सरकार के सहयोग से इसे शुरू किया गया था।
13 जिलों में 15,000 बच्चों को मिल रहा फायदा
फिलहाल यह मॉडल 13 जिलों के 100 स्कूलों में लागू है और 15,000 बच्चे इसका फायदा उठा रहे हैं। हार्वर्ड की केस स्टडी का उद्देश्य यह बताना है कि टेक्नॉलजी के उपयोग से शिक्षा के क्षेत्र में किस तरह से सुधार लाया जा सकता है। इस केस स्टडी में उन छात्र/छात्राओं के इंटरव्यू भी किए जाएंगे, जिन्होंने आईसीटी के दमपर कुछ बेहतर किया है।
चुरू जिले के धाडरा गांव में रहने वाली ललिता प्रजापति को टेक्नॉलजी की मदद से मैथ्स सॉल्व करने में आसानी हुई है। जे पाल के को-चेयरपर्सन कार्तिक मुरलीधरन नीति आयोग में शिक्षा सलाहकार भी हैं। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, मैथ्स और हिंदी सीखने के मामले में प्राइमरी स्कूलों में 25 पर्सेंट और मिडल स्कूलों में 80 से 100 पर्सेंट सुधार हुआ है। कार्तिक ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया है, उसे नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्तेय डिफ्लो प्रमाणित कर चुकी हैं।
स्कूलों में लगाए गए हैं सर्वर
इस मॉडल की तारीफ इसलिए भी की जा रही है यह टेक्नॉलजी के प्रयोग में काफी सटीक है। इसके तहत आदर्श विद्यालयों में माइंडस्पार्क लैब बनाई गई हैं, जो एक खास सॉफ्टवेयर पर चलती हैं। हर स्कूल में औसतन 20 क्रोमबुक्स और एक सर्वर हैं।
प्रोग्राम की शुरुआत में बच्चों का एक टेस्ट लेकर उनके लिए एक कस्टमाइज्ड प्लान तैयार किया जाता है। बच्चों को सिखाने के लिए विडियो जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चों कैसे सीख रहे हैं और उनकी प्रगति कैसी है, यह बताने के लिए प्रिंसिपल और सरकारी अधिकारियों के लिए भी डैशबोर्ड तैयार किया गया है।