J&K: चीन की आपत्ति पर भारत की दो टूक
नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्रशासित राज्यों के तौर पर बांटने के पर चीन की आपत्ति पर भारत ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी है। भारत ने गुरुवार को दो टूक कहा कि जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन पूरी तरह आंतरिक मामला है और वह ऐसे मुद्दों पर अन्य देशों की टिप्पणियां नहीं चाहता। भारत ने यह भी कहा कि चीन का जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर अवैध कब्जा जारी है।
हमारे हिस्से पर चीन ने किया हुआ है अवैध कब्जा: भारत
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'चीन ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भारतीय हिस्से पर अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ है।' बता दें कि गुरुवार से जम्मू-कश्मीर राज्य दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में बंट गया है। दरअसल, 5 को केंद्र ने आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने और सूबे के 2 केंद्रशासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठन का ऐलान किया था।
क्या कहा था चीन ने
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने गुरुवार को पेइचिंग में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था, 'भारत ने एकतरफा तरीके से अपने घरेलू कानून को बदला है और प्रशासनिक बंटवारा चीन की संप्रभुता का उल्लंघन है।' चीनी प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, 'यह गैरकानूनी और अमान्य है और यह किसी भी तरह से कारगर नहीं है। यह इस तथ्य को नहीं बदल सकता कि वह इलाका चीन के वास्तविक नियंत्रण में है।'
आंतरिक मामलों पर टिप्पणी न करें: भारत
चीन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि चीन इस मुद्दे पर भारत के निरंतर और स्पष्ट रुख से अच्छी तरह वाकिफ है। उन्होंने कहा, 'पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में पुनर्गठन पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।' कुमार ने कहा, 'हम चीन समेत अन्य देशों से यह अपेक्षा नहीं करते कि वे उन मुद्दों पर कोई भी टिप्पणी न करें जो भारत का आंतरिक मामला है, ठीक उसी तरह जैसे भारत अन्य देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचता है।'
हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें: भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश भारत के अभिन्न हिस्से हैं और भारत उम्मीद करता है कि अन्य देश उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।