कुपोषण के खिलाफ बढ़ते हाथ : बगौद और अटंग गांव में सामाजिक सहयोग से कुपोषण मुक्ति की जंग
कमजोर बच्चों को बगौद में दूध और अटंग में गुड़ तथा फल्ली का लड्डू देने की पहल
रायपुर,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार बच्चों और महिलाओं की सेहत एवं तंदुरूस्ती के लिए कई कवायद कर रही है। इन्हीं में से एक अहम् योजना मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के सामुदायिक सहयोग की अपील पर धमतरी जिले में भी अक्टूबर महीने से शुरू हुए इस अभियान में कई संस्थान, समूह और लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ते जा रहे हैं। इसका जीता-जागता मिसाल है कुरूद का ग्राम बगौद और अटंग। वैसे तो बगौद में तीन आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से केवल केन्द्र क्रमांक तीन को जोड़ा गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में ऐसे केन्द्रों को जोड़ा गया है, जहां कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 12 या उससे अधिक है। इस केन्द्र में अतिरिक्त आहार के तौर पर 03 से 06 साल तक के बच्चों और गर्भवती माताओं को उबला अण्डा या फिर सोयाबीन की बड़ी खिलाई जा रही है। साथ ही छः माह तक के दुधमुंहे बच्चों की माताओं को भी एक वक्त का गर्म पका भोजन और उबला अण्डा या फिर सोयाबीन की बड़ी परोसी जा रही है।
गांव के महज एक आंगनबाड़ी के बच्चों तक ही इस अभियान का दायरा रखना गांववालों को सही नहीं लगा। उन्होंने बाकी दो आंगनबाड़ियों को भी इसमें जोड़ने की ठानी। नतीजन बगौद के किसान श्री त्रिलोक जैन ने मदद के लिए हाथ बढ़ाते हुए बाकी दो आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को अगले छः महीने के लिए दूध देने की रजामंदी दी है। अब छः माह से छः साल तक के सभी 20 कमजोर बच्चों को नवंबर माह से 100 मिलीलीटर दूध हर दिन श्री जैन की ओर से दिया जाएगा। गौरतलब है कि इन दो आंगनबाड़ियों में 6 माह से 6 साल तक के 121 बच्चे हैं, इनमें से 20 बच्चे कमजोर हैं।
इसी तरह ग्राम अटंग में भी कुपोषण दूर करने के लिए महिला स्व सहायता समूह ने हाथ बढ़ाया है। यहां की दुर्गा महिला समूह ने फैसला लिया है कि मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से जुड़े आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 03 की तरह अन्य दो केन्द्रों के बच्चे भी सेहतमंद हों। इसके लिए 6 माह से 6 साल तक के ऐसे 18 बच्चे, जो मध्यम अथवा गंभीर कुपोषण का शिकार हैं, उन्हें गुड़ और फल्ली का लड्डू अगले छः माह तक दिया जाएगा। इस कवायद से उम्मीद है कि बगौद और अटंग का हर बच्चा जल्द ही सेहतमंद हो सकेगा। इसी तरह लोगों और संस्थाओं के हाथ मदद के लिए बढ़ते रहें, जल्द ही छत्तीसगढ़ कुपोषण मुक्त हो जाएगा।