हरियाणा में सत्ता का समीकरण बेहद दिलचस्प
चंडीगढ़/नई दिल्ली
हरियाणा में सत्ता का समीकरण बेहद दिलचस्प हो गया है। चुनाव से पहले बीजेपी ने भले ही 'अबकी बार, 75 पार' का नारा दिया था, लेकिन नतीजों में वह बहुमत के आंकड़े 46 तक पहुंचती नहीं दिख रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक अब तक के रुझानों में 90 सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी, कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। वोटों का गणित भी इतना रोमांचक है कि बीजेपी और कांग्रेस 33 से 38 सीटों के बीच में झूलती दिख रही हैं।
दोपहर 3 बजे तक कुल 12 सीटों के नतीजे घोषित हो गए हैं। इसमें बीजेपी ने 4, कांग्रेस को 2, जेजेपी को 5 और 1 सीट निर्दलीय ने जीती है। हरियाणा के इस चुनाव में आईएनएलडी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंगमेकर के तौर पर उभरी है। हालांकि अहम सवाल यही है कि जरूरत पड़ने पर दुष्यंत चौटाला आखिर किसके लिए ट्रैक्टर चलाएंगे।
5 सीटें जीत चुकी उनकी पार्टी के 5 उम्मीदवार लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में सरकार गठन के लिए उनके विधायक महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। सरकार बनाने में 9 अन्य विधायकों की भूमिका भी अहम हो गई है। इनमें आईएनएलडी और निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
बहुमत से पिछड़ी बीजेपी के सामने विकल्प
अब बड़ा सवाल यही है कि सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के सामने क्या विकल्प बचते हैं। 46 के जादुई आंकड़े तक वह कैसे पहुंचेगी? सूत्रों के मुताबिक दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस से सीएम पद की मांग की है। ऐसे में साफ है कि उनकी महत्वाकांक्षा बड़ी है। इसे देखते हुए बीजेपी निर्दलीयों एवं अन्य को प्राथमिकता में रख सकती है। बीजेपी की कोशिश होगी कि JJP से बात न बनने की स्थिति में वह INLD, बीएसपी और अन्य को साधकर बहुमत के आंकड़े तक पहुंच जाए।
अगर 40 के करीब आंकड़ा फाइनल होता है तो बीजेपी को मात्र 6 सीटों की जरूरत होगी। अब अन्य और इंडियन नैशनल लोकदल के 2 उम्मीदवार यदि बीजेपी के साथ आते हैं तो बीजेपी आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी। बीजेपी इनकी बजाय दुष्यंत चौटाला की जेजेपी को साध लेती है तो भी उसकी सरकार बन जाएगी।
माना जा रहा है कि अगर बीजेपी 40 के करीब थमती है, तो ज्यादा संभावना इस बात की है कि वह दुष्यंत की बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा की बजाय निर्दलीय और अन्य को साधने की कोशिश करे।
कांग्रेस-JJP आए साथ तो यूं बन सकती है बात
सूबे में चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस की ड्राइविंग सीट संभालने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा ने इस चुनाव में खुद को साबित किया है। लोकसभा चुनाव में पस्त कांग्रेस में जान फूंकते हुए वह इसे 33 के आंकड़े पर पहुंचाते दिख रहे हैं। दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने इस चुनाव में जाट आंदोलन को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह कांग्रेस के साथ जा सकती है। अगर अभी तक के रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं, तो कांग्रेस को भी बहुमत के लिए 13 सीटों की दरकार होगी। ऐसे में सरकार बनाने के लिए उसे जेजेपी (10) के साथ गठबंधन होने के बाद भी अन्य की जरूरत होगी।
कर्नाटक मॉडल पर राजी होगी कांग्रेस?
यदि दुष्यंत चौटाला कांग्रेस के साथ जाते हैं और कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच सकते हैं। संभावना इस बात की बन रही है कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस पार्टी कर्नाटक मॉडल को हरियाणा में दोहरा सकती है। ऐसे में उसे दुष्यंत चौटाला को CM पद देने में भी दिक्कत नहीं होगी। फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही खेमों में हलचल तेज है। अगले कुछ घंटों में तस्वीर और साफ हो जाएगी।