पहले 4601 करोड़ के ई-टेण्डर घोटाले का हिसाब दें रमन फिर ई-टेण्डर की प्रक्रिया में सुधार पर आपत्ति करें: त्रिवेदी
घोटाला रोकने वाले हर कदम से रमन सिंह जी को क्यों तकलीफ होती है?
रायपुर/22 अक्टूबर 2019। ई-टेण्डर मामलें में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। रमन सिंह जी के कार्यकाल में 4601 करोड़ का टेण्डर घोटाला हुआ था। अच्छा काम करने वाली कांग्रेस सरकार पर रमन सिंह जी झूठा आरोप लगा रहे है। ई-टेंडर को लेकर भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की बयानों पर कांग्रेस कड़ी निंदा करती है। यह भुलाया नहीं जा सकता है कि रमन सिंह के शासनकाल में ई-टेण्डर में ही चिप्स में बड़ा घोटाला हुआ था। नंवबर 2015 से लेकर मार्च 2017 तक 1459 टेंडर डालने के लिये एक ही ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया गया था। 17 विभागो के अधिकारियों ने 4601 करोड़ के टेण्डर में 74 एकसेस कम्प्यूटरों का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने में किया गया और उन्हीं कम्प्यूटरों का इस्तेमाल निविदा भरने के लिये भी किया गया, यह स्पष्ट रूप से बड़ा घोटाला था। आज कांग्रेस की सरकार, भूपेश बघेल जी की सरकार पारदर्शिता से काम कर रही है तो रमन सिंह झूठे आरोपों का सहारा ले रहे है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह सरकार ने ई-टेण्डर से बाहर की फर्मो और ठेकेदारों को पिछले दरवाजे से फायदा पहुंचाया गया। ई-टेण्डर का नाम तो लिया गया भ्रष्टाचार कम करने के लिये और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये, लेकिन रमन राज में ई-टेण्डर की पूरी प्रक्रिया दूषित और पक्षपातपूर्ण रही। इसका इस्तेमाल सिर्फ अपने चहेते ठेकेदारों को बढ़ावा देने के लिये और उनके आर्थिक हितलाभ के लिये किया गया। बड़े-बड़े टेण्डर जानबूझकर ई-टेण्डर प्रक्रिया से ही किये गये। ई-टेण्डर प्रक्रिया का दुरूपयोग अपने चहेतों ठेकेदारों को काम देने भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को बढ़ावा देने के लिये किया गया। ई-टेण्डर से प्रदेश के बाहर के भाजपा समर्पित ठेकेदारों को काम दिया गया। आरएसएस और भाजपा से जुड़े लोगों को ठेकेदारी में लाभ पहुंचाने के लिये ई-टेण्डर प्रक्रिया का दुरूपयोग करने के लिये जिम्मेदार रमन सिंह जी और भाजपा नेता आज इस प्रक्रिया की वकालत कर रहे।
कर्जमाफी का मसला कांग्रेस और भाजपा के बीच के अंतर को स्पष्ट करता है
कर्जमाफी के मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी और विधानसभा चुनाव में भी वादा किया था कि हम स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश लागू करेंगे। लागत मूल्य पर किसानों को 50 प्रतिशत लाभ दिया जायेगा। वादा तो किया भाजपा ने लेकिन भाजपा की सरकारो ने इस वादे को पूरा नहीं किया। इसके कारण किसान लगातार कर्ज के बोझ में दबते चले गये। किसान कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हो गये। रमन सिंह सरकार में तो रोज किसी न किसी किसान की आत्महत्या की घटना सामने आती जिसके मूल कारण किसानो के बोझ में दबा होना और फसल का सही दाम नहीं मिलना था। भूपेश बघेल जी की सरकार ने, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सत्ता सम्हालते ही सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ किया और इसके बाद किसानों को 2500 रू. धान का दाम देना चालू किया। भूपेश बघेल सरकार द्वारा धान का मूल्य 2500 रू. प्रतिक्विंटल धान के लाभप्रद मिलने के कारण अब खेती घाटे का सौदा नहीं रह गयी है। किसान खेती की ओर वापस लौट रहे है और कर्ज माफी वन टाईम सेटलमेंट था। किसान और कर्जदार न हो इसके लिये किसानों को फसल का लाभप्रद मूल्य दिया जा रहा है। यही कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकार के बीच का अंतर है।