हनी ट्रैप मामले की जांच को लेकर हाईकोर्ट का सख्त रवैया, SIT को लगाई फटकार
इंदौर
नेताअाें-अफसराें की ब्लैकमेलिंग से जुड़े बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में साेमवार काे मप्र हाईकाेर्ट की इंदाैर पीठ ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए। काेर्ट मामले की जांच कर रही एसआईटी का प्रमुख बार-बार बदलने अाैर केस सीबीअाई काे साैंपने की मांग वाली याचिकाअाें पर सुनवाई कर रही है। पुलिस अाैर शासन की अाेर से जब काेर्ट काे यह बताया गया कि आरोपी महिलाओं की आवाज, वीडियो की जांच भोपाल स्थित लैैब में कराई जा रही है तो इस पर कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि निष्पक्ष जांच तो संभव ही नहीं है।
जांच पर हाईकोर्ट की नज़र
समझा जा रहा है कि हाइकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद अब पूरी जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी. वरिष्ठ वकील मनोहर दलाल के मुताबिक मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होनी तय हुई है, एसआईटी को इन्वेस्टिगेशन स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी होगी. साथ ही अब एसआईटी में कोई परिवर्तन नहीं किया जाये, एसआईटी में नियुक्त मौजूदा अधिकारियों का हाईकोर्ट की अनुमति के बिना तबादला नहीं किया जा सकेगा.
सरकार भी आपकी, लैब भी आपकी। सही रिपोर्ट कैसे आ सकती है। कोर्ट ने सभी वीडियो, आवाज के नमूने सहित एसआईटी द्वारा जब्त सभी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज हैदराबाद स्थित लैब में भेजने के आदेश दिए। वहीं शासन द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं करने पर 15 दिन में पेश करने के लिए कहा है। साथ ही इस केस के लिए एसपी अवधेश गोस्वामी को आॅफिसर इंचार्ज (ओआईसी) बनाया है। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ल की डिविजन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
दो याचिकाएं दायर हुईं थी। कोर्ट दोनों की एकसाथ सुनवाई कर रही है। एसआईटी, शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा ने पैरवी की। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अशोक चितले, लोकेंद्र जोशी, निधि वोहरा ने पैरवी की।
अब ओआईसी को अगले आदेश तक नहीं बदला जाएगा : हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश जारी कर दिए हैं कि इस केस के आेआईसी एसपी अवधेश गोस्वामी को तब तक नहीं बदला जाएगा जब तक कोई आदेश जारी नहीं करें। वहीं एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को भी बगैर कोर्ट की अनुमति के हटाया नहीं जाएगा। एसआईटी के द्वारा जब्त सभी दस्तावेज की जांच हैदराबाद स्थित लैब में होगी। भोपाल स्थित सरकारी लैब इसकी जांच नहीं करेगी।