कैसे रखें अहोई अष्टमी का व्रत? संतान की रक्षा-दीर्घायु का ऐसे पाएं वरदान
नई दिल्ली
अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं. जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है. जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो या गर्भ में ही नष्ट हो जाती हो उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है. सामान्यतः इस दिन विशेष प्रयोग करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है. ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है. इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 21 अक्टूबर को है, लेकिन कई लोग 20 अक्टूबर को भी ये व्रत रख रहे हैं.
कैसे रखें इस दिन उपवास?
– प्रातः स्नान करके अहोई की पूजा का संकल्प लें
– अहोई माता की आकृति, गेरू या लाल रंग से दीवार पर बनाएं
– सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजन आरम्भ करें
– पूजा की सामग्री में एक चांदी या सफेद धातु की अहोई, चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश, दूध-भात, हलवा और पुष्प, दीप आदि रखें
– पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें और उन्हें दूध भात अर्पित करें
– फिर हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा (बयाना) लेकर अहोई की कथा सुनें
– कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने तथा बयाना सासु माँ को देकर उनका आशीर्वाद लें
– अब चन्द्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें
– चांदी की माला को दीवाली के दिन निकाले और जल के छींटे देकर सुरक्षित रख लें
अहोई अष्टमी व्रत के विशेष प्रयोग
अगर संतान की शिक्षा, करियर, रोजगार में बाधा आ रही हो
– अहोई माता को पूजन के दौरान दूध-भात और लाल फूल अर्पित करें
– इसके बाद लाल फूल हाथ में लेकर संतान के करियर और शिक्षा की प्रार्थना करें
– संतान को अपने हाथों से दूध भात खिलाएं
– फिर लाल फूल अपनी संतान के हाथों में दे दें और फूल को सुरक्षित रखने को कहें
वैवाहिक या पारिवारिक जीवन में बाधा आ रही है तो
– अहोई माता को गुड का भोग लगाएं और एक चांदी की चेन अर्पित करें
– माँ पार्वती के मंत्र – "ॐ ह्रीं उमाये नमः" 108 बार जाप करें
– संतान को गुड खिलाएं और अपने हाथों से उसके गले में चेन पहनाएं
– उसके सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दें
संतान का सुख पाने के लिए
– अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाएं
– चांदी की नौ मोतियां लेकर लाल धागे में पिरो कर माला बनायें
– अहोई माता को माला अर्पित करें और संतान को संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें
– पूजा के उपरान्त अपनी संतान और उसके जीवन साथी को दूध भात खिलाएं
– अगर बेटे को संतान नहीं हो रही हो तो बहू को , और बेटी को संतान नहीं हो पा रही हो तो बेटी को माला धारण करवाएं.