खरीदारों को रिझाने की कोशिश, एअर इंडिया का कर्ज घटाएगी सरकार
नई दिल्ली
एअर इंडिया को बेचने के रास्ते में एक बड़ी रुकावट सरकार दूर करने जा रही है। कंपनी को बेचने से पहले 58,000 करोड़ रुपये के इसके कर्ज को घटाकर आधे पर लाया जाएगा। सरकार ने गुरुवार को बॉन्ड्स के जरिए 7,985 करोड़ रुपये जुटाए। इस रकम का इस्तेमाल कंपनी का लोन चुकाने के लिए होगा। इसके लिए एअर इंडिया एसेट होल्डिंग्स (AIAHL) के एकाउंट में लोकल बॉन्ड्स के 7,000 करोड़ रुपये भी ट्रांसफर किए जाएंगे।
सरकार की योजना एअर इंडिया और इसकी लो-कॉस्ट इंटरनेशनल सब्सिडियरी एअर इंडिया एक्सप्रेस को बेचने की है। इसके साथ ही ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एअर इंडिया सिंगापुर टर्मिनल सर्विसेज लिमिटेड (AISATS) में हिस्सेदारी बेची जाएगी। रीजनल एयरलाइन अलायंस एयर, इंजिनियरिंग सब्सिडियरी एअर इंडिया इंजिनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) और ग्राउंड हैंडलिंग सब्सिडियरी एअर इंडिया एअर ट्रांसपॉर्ट लिमिटेड (AIATSL) को अलग से बेचा जाएगा।
एअर इंडिया के बोर्ड की 22 अक्टूबर को मीटिंग होनी है, जिसमें 2018-19 के लिए कंसॉलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट को अनुमति दी जाएगी। इससे कंपनी को बेचने का प्रॉसेस शुरू हो जाएगा। इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) नवंबर में मंगाए जाएंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'हमने 8 पर्सेंट से कम ब्याज पर फंड जुटाने का लक्ष्य रखा था और बॉन्ड जारी करने के तीनों चरणों में रेट 7.5 पर्सेंट से कम रहा।'
एअर इंडिया के लोन और असेट्स रखने वाले स्पेशल पर्पज वीइकल (SPV), एअर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड (AIAHL) ने गुरुवार के इश्यू सहित विभिन्न बॉन्ड इश्यू से 22,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें से 15,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल लोन और बाकी के 7,000 रुपये का एअरक्राफ्ट खरीदने के लिए लोन को चुकाने में किया जाएगा। एअर इंडिया से 7,400 करोड़ रुपये के लोकल बॉन्ड्स एअर इंडिया से AIAHL को ट्रांसफर किए जाएंगे।
ईटी ने सितंबर में रिपोर्ट दी थी कि एअर इंडिया को बेचने से पहले सरकार इसका पूरा वर्किंग कैपिटल लोन छोड़ने पर भी विचार कर रही है। इस प्रपोजल के लिए होम मिनिस्टर अमित शाह की अगुवाई वाली एक कमेटी से स्वीकृति की जरूरत होगी। सरकार ने पिछले वर्ष भी एअर इंडिया को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन इस डील में इनवेस्टर्स ने अधिक दिलचस्पी नहीं ली थी। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार ने इसके कारणों पर विचार किया है। इनमें एंप्लॉयीज की अधिक संख्या और बढ़ता वर्किंग कैपिटल लोन प्रमुख हैं।