सुगबुगाहट तेज, बढ़ने लगी हलचल, ‘सुप्रीम’ फैसले की आहट से अयोध्या में
अयोध्या
वर्षों से भगवान राम के ही नाम से जानी गई अयोध्या नगरी को इंतजार है अपने भविष्य के फैसले का. देश की सबसे बड़ी अदालत में फैसला आने की आस बंधते ही, अयोध्या नगरी में सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि अभी केवल सुनवाई खत्म हो रही है. फैसला आने में समय है लेकिन धारा 144 लगने के बाद से लोगों के मन में एक अजीब सी हलचल है.
अयोध्या में कुछ बड़ा होने वाला है. बाहर से अयोध्या आने वालों की तादाद भी अचानक बढ़ गई है. जब से अयोध्या के फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हुई हैं. कारसेवकपुरम में राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल को देखने आने वाले लोग भी बढ़ गए हैं.
बढ़ने लगी है आने वालों की संख्या
अयोध्या में जहां कभी दिन में सौ से डेढ़ सौ लोग आया करते थे, वहां अब सात सौ से आठ सौ लोग भी एक-एक दिन में आ रहे हैं. बिहार के दरभंगा, मधुबनी से आए परिवार कहते हैं कि राम जन्मभूमि के दर्शन करने के बाद, कारसेवकपुरम में मंदिर का मॉडल देखकर दिल को थोड़ी आस बंधती है, वरना जेल जैसे कॉरिडोर से गुजरने के बाद भगवान राम की झलक भर देख कर मन व्यथित हो गया है.
कारसेवकपुरम में रहकर मंदिर के मॉडल की देखरेख करने वाले हजारी प्रसाद शाहजहांपुर के रहने वाले हैं. अयोध्या आए थे मंदिर के लिए कारसेवा करने, उसी रोज जिस रोज विवादित ढांचा गिराया गया. उसके बाद मची अफरातफरी में एक आंख गंवा बैठे. तब से यहीं बैठते हैं और लोगों को मंदिर का मॉडल दिखाते हैं और उस अरमान के बारे में विस्तार से बताते हैं जिसके पूरा होने की उम्मीद अब उनके दिल में फिर से जोर पकड़ने लगी है.
बंद है पत्थर तराशने वाली कार्यशाला
कारसेवकपुरम से थोड़ी ही दूर मानस भवन है. जहां राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने वाली कार्यशाला आजकल ठप पड़ी है. कुछ रोज पहले एक कारीगर की मौत के बाद से यहां सन्नाटा है.
हालांकि वीएचपी के नेता शरद शर्मा कहते हैं कि अब फैसले की आखिरी घड़ी का वह इंतजार कर रहे हैं और जैसे ही फैसला आएगा, राजस्थान और गुजरात से कम से कम 250 ऐसी महिलाओं को कार्यशाला में लाने की तैयारी है, जो नक्काशी किए हुए स्तम्भों से काई और गादर को पूरी तरह साफ करेंगी. शरद कहते हैं कि फैसला पक्ष में आ जाए तो युद्ध स्तर पर काम करने के लिए हम तैयार बैठे हैं.
तो कितना वक्त लगेगा?
गुजरात के रहने वाले कार्यशाला के संचालक हंसमुखभाई बताते हैं कि प्रस्तावित दो मंजिला मंदिर के निर्माण के लिए आधारभूत काम पहले से ही पूरा किया जा चुका है. पहली मंजिल तक के निर्माण के लिए सत्तर फीसदी काम पूरा है. अगर फैसला मंदिर के पक्ष में आता है तो सबसे पहले कार्यशाला से सारे स्तम्भ और देशभर से लाई गई राम नाम वाली शिलाएं, जन्मभूमि स्थल पर पहुंचाई जाएंगी. लेकिन अगर कोई ये सोचे कि साल-डेढ़ साल में राम मंदिर बन जाएगा तो ये असंभव है.
हंसमुख भाई के मुताबिक फैसला आने के बाद भी मंदिर बनने में चार से पांच साल लग जाएंगे. मंदिर का फैसला आने में भले अभी देर हो. लेकिन योगी सरकार ने दीवाली की रात अयोध्या के सारे घाटों पर साढ़े पांच लाख दीप जलाने का प्लान बनाया है यानि अगले महीने तक फैसले को लेकर भले संशय के बादल बरकरार रहे लेकिन अयोध्या सुर्खियों में बना रहेगा इस पर कोई संशय नहीं है.