पुरानी विचारधारा को छोड़, विकास के नए दौर में शामिल होवे ग्रामीण : कलेक्टर
कोण्डागांव
राजस्व अनुभाग केशकाल के अंतिम सीमा पर बसे ग्राम चुरेगांव का विगत् 13 अक्टूबर को कलेक्टर नीलकंठ टीकाम द्वारा दौरा किया गया। ज्ञात हो कि मुख्यालय कोण्डागांव से लगभग 55 से 60 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह गांव जिले की अंतिम सरहद बनाता है, यहां से जिला मुख्यालय नारायणपुर एवं कांकेर की सीमा लगभग जुड़ी हुई है। जिला मुख्यालय से दूरी के बावजूद विगत् दो वर्षो में कलेक्टर की विशेष पहल पर इस क्षेत्र में पुल-पुलिया, रोड सहित अन्य अधोसंरचनात्मक निर्माण कार्यो का विकास हुआ है। अब जिला प्रशासन द्वारा मयूरडोंगर, चारगांव क्लस्टर की तर्ज पर चुरेगांव में भी वन अधिकार पट्टाधारी कृषको क लिए भूमि समतलीकरण, कुआ, तालाब, डबरी निर्माण,उन्नत कृषि उद्यानिकी, पशुपालन, मुर्गी पालन आदि विभागीय योजनाओं के संयुक्त क्रियान्वयन हेतु कार्य योजना बना ली गई है।
इसके लिए ग्राम चुरेगांव में ही 80 हितग्राहियों के 230 एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है। इस मौके पर ग्रामीणों से रुबरु होते हुए कलेक्टर ने कहा कि पुरानी विचार धारा को छोड़ते हुए अब आर्थिक समृद्धि सम्मान एवं स्वाभिमान के साथ जीविकोपार्जन करने का समय आ गया है। चूंकि वन संसाधन एवं ग्रामीणों का आपसी रिश्ता संरक्षण का है परन्तु सिर्फ वनोपजो के सहारे जीवन-यापन नहीं किया जा सकता है अतः अब इन वनों से ही अतिरिक्त आय के स्त्रोत ढूढंने होंगे। जिस प्रकार ग्राम सल्फीपदर के ग्रामीणों ने एक हजार एकड़ में फैले साल वनो को संरक्षण एवं उसमें काली मिर्च का रोपण कर अन्य ग्राम पंचायतो के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, ऐसे ही पहल करने की लोगो को आवश्यकता है। आने वाले वर्षो में ग्राम सल्फीपदर निश्चितरुप से विकास के नया मॉडल के रुप में विकसित होने वाला है। अतः जल, जंगल और जमीन पर यदि हमारा अधिकार है तो उसका संरक्षण भी हमारा दायित्व होना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने सुपोषण अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इस अभियान हेतु पौष्टिक अनाज, दाल-दलहन, साक-सब्जियों की आवश्यकता बढ़ने वाली है अतः ग्रामीण अपनी बाड़ियों में ही पौष्टिक शाक-सब्जी जैसे मुनगा, चौलई, पालक, पपीता, लौकी, दाल-दलहन जैसे उड़द, राहऱ, झुड़ंग, कुल्थी एवं मुर्गी पालन कर गांव में ही इसकी आपूर्ति करके इसे अपनी अतिरिक्त आय का जरिया बना सकते है इसके लिए इच्छुक हितग्राहियों को संबंधित विभागो द्वारा हर संभव मदद दी जायेगी। जिला कलेक्टर ने इस दौरान कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं और युवाओं का स्व-सहायता समूह बनवाकर उन्हें विभिन्न ट्रेड जैसे सीमेंट पोल, तार फेंसिंग, फ्लाई एश ब्रिक्स, डिजाइनर चुड़ी, एलईडी बल्ब निर्माण कार्य का प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ करवाया गया है जिसमें अधिक से अधिक महिलाऐं एवं युवा जुड़ रहे है।
इसी प्रकार अब हैण्डलूम (हथकरघा) को भी आजीविका के नए स्त्रोत के रुप में प्रस्तुत किया गया है। अतः ऐसे सु-अवसरो का लाभ उठाकर हर कोई स्वंय को आर्थिक रुप से सक्षम बना सकता है। इस मौके पर विभिन्न विभागों जैसे उद्यानिकी, कृषि, पशुधन, कौशल विभाग द्वारा अपने-अपने विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए इसमें भागीदारी की अपील की गई। ज्ञातव्य है कि इस अनौपचारिक आयोजन में जिला पंचायत सदस्य लद्दूराम उईके, पूर्व सदस्य मनहेर कोर्राम, एसडीएम दीनदयाल मण्डावी, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस.सोरी, सहायक संचालक (कृषि) बालसिंग बघेल, कार्यपालन अभियंता (पीएमजेएसवाय) अरुण शर्मा सहित जिले की दूरस्थ सीमा पर स्थित सवालवाही, कावागांव, बुइकीजुगानार जैसे गांव के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में शामिल थे।