छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू वायरस की दस्तक, रायपुर में मिले स्वाइन फ्लू वायरस के रोगी । घबराए नहीं बरते सावधानिया
जोगी एक्सप्रेस
नसरीन अशरफ़ी
रायपुर प्रदेश में हर तरफ स्वाइन फ्लू की ही चर्चा है। हर व्यक्ति भयभीत है कि कहीं उसे भी स्वाइन फ्लू न हो जाये। पिछले वर्ष भी स्वाइन फ्लू की घटनायें प्रकाश में आई थीं परन्तु इस बार भी इसका प्रकोप दिखाई पड़ रहा है। समाचार-पत्र एवं न्यूज चैनल स्वाइन फ्लू की खबरों से भरे पड़े हैंसरकार एवं स्वास्थ विभाग इस बीमारी के आक्रमण से चिंतित है और इसकी रोकथाम एवं उपचार के लिये हर संभव उपाय कर रही हैं फिर भी जनता दहशत में है। वैसे तो स्वाइन फ्लू भी वायरस जनित रोग है लेकिन हर फ्लू स्वाइन फ्लू नहीं होता है इसलिये घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्वाइन फ्लू से बचाव एवं उपचार पूरी तरह संभव है परन्तु सतर्क एवं सावधान रहने की जरूरत है।स्वाइन फ्लू वायरस दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ में तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। तापमान में आ रही गिरावट की वजह से ये और ज्यादा सक्रिय है। बीते दिन में पॉजीटिव मिले मरीजों में से 80 फीसदी ऐसे मरीज हैं जो न तो प्रदेश के बाहर गए, न उनके यहां कोई दूसरे राज्यों से पहुंचा। ऐसे में डॉक्टर्स को आशंका है कि यह वायरस स्थानीय स्तर पर ही पैदा हो रहा है। डॉक्टर्स ने बचाव को ही सबसे बड़ी सावधानी करार दिया है।वायरस की सक्रियता बढ़ रही पॉजीटिव मरीजों की संख्या और मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ अलर्ट करके जिलों को अपनी औपचारिकता पूरी कर दी। जिले वाले निजी अस्पतालों से संपर्क नहीं कर रहे, निजी अस्पताल जानकारी भेज भी रहा है तो मरीजों के घरों तक पहुंचकर उनकी जांच करना तो दूर, बचाव के बारे में जागरूक नहीं की जा रहा। बताना जरूरी है कि अंबेडकर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड है लेकिन सुविधाओं के अभाव में मरीज के परिजन उन्हें निजी अस्पताल में ही भर्ती करवा रहे हैं। उधर राज्य में महामारी नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोड्ल अधिकारी डॉ. खेमराज सोनवानी का कहना है कि हम स्थिति और मरीज दोनों पर नजर रखे हुए हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू बीमारी के लक्षण सामान्य इन्फ्ल्युंजा की तरह है इसमें तेज बुखार, सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, रक्त चाप गिरना, खांसी के साथ खून या वलगम, नाखूनों का रंग नीला हो जाना आदि लक्षण हो सकते है। यदि इस प्रकार के लक्षण मिलें तो स्वाइन फ्लू की जांच कराकर उपचार कराना चाहिये।
स्वाइन फ्लू में बरते एहतियात
स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसके संक्रमण ने वर्ष 2009-10 में महामारी का रूप धारण कर लिया था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 10 अगस्त, 2010 में इस महामारी के खत्म होने का भी ऐलान कर दिया था। अप्रैल 2009 में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था।तब इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तिमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
- खांसते या छीकतें समय मुंह पर हाथ या रूमाल रखें।
- खाने से पहले साबुन से हाथ धोयें।
- मास्क पहन कर ही मरीज के पास जायें।
- साफ रूमाल में मुंह ढके रहें।
- खूब पानी पियें व पोषण युक्त भोजन करें।
- मरीज से कम से कम एक हाथ दूर रहें।
- भीड़-भाड़ इलाकों में न जाये।
- साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें।
- यदि लक्षण दिखें तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।
स्वाइन फ्लू से बचाव व उपचार
- डॅाक्टरी परामर्श के बाद ही दवा का सेवन करें।
- स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाए है।
- इसका उपचार भी अब मौजूद है।
- आराम, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना
- शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं।
- बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है
- डॅाक्टरी परामर्श के बाद ही दवा का सेवन करें।