November 24, 2024

स्कूली बच्चों में तार्किक और विशलेषण की क्षमता विकसित करें: प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा

0

रायपुर, 04 सितम्बर 2019/ प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग श्री गौरव द्विवेदी ने कहा है कि स्कूली बच्चों में पाठ्यक्रम की जानकारी ही नहीं बल्कि उनमें पाठ्यक्रम की विषयवस्तु की समझ के लिए तार्किक और विशलेषण करने की क्षमता विकसित करें। इससे कक्षा में विद्यार्थियों को पढ़ाए जाने वाले पाठ की समझ बढ़ेगी। स्कूल शिक्षा विभाग की विभिन्न गतिविधियों के लिए सिंगल सिस्टम होना चाहिए ताकि कोई भी गतिविधि होने पर उसका प्रभाव विभाग पर दिखे। राज्य स्तरीय आंकलन की प्रक्रिया में उसकी सभी प्रक्रियाओं का आशय यही है कि सभी के साथ बेहतर समन्वय कैसे हो। श्री द्विवेदी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद में आज राज्य स्तरीय आंकलन के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी देंखे कि शैक्षणिक गुणवत्ता से विद्यार्थियों के स्तर में सुधार हुआ है कि नहीं। कक्षा के अंदर और कक्षा के बाहर पाठ का निर्माण, पढ़ाने के लिए शिक्षक को प्रशिक्षण पाठ के अनुसार दिया गया है कि नहीं। विद्यार्थियों ने पढ़ाई के प्रति रूचि जगाने के लिए अतिरिक्त पाठ्य सामग्री के रूप में वीडियो, एनिमेशन फिल्म का बेहतर ढंग से उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि कक्षाओं में होने वाले मासिक परीक्षाओं में विद्यार्थियों की क्षमता और उनकी समझ में कितना आया उसका आंकलन किया जाए। उन्होंने कहा कि आंकलन करना ही अंतिम प्रक्रिया नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी को यह देखना है कि विद्यार्थियों की समझ को विकसित करने के लिए शिक्षकों द्वारा सार्थक प्रयास किया जा रहा है कि नहीं। उन्होंने कहा विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की विषयवस्तु की जानकारी ही नहीं बल्कि उनमें तार्किक क्षमता और विशलेषण क्षमता भी विकसित होनी चाहिए।

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश में पहला इकलौता राज्य है कि जहां विद्यार्थियों का शत-प्रतिशत आंकलन किया गया। उद्देश्य यह है कि बच्चों के मां-बाप स्कूल इस उम्मीद से भेजते है, कि वह कुछ सीख कर आएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों के संचालन में समुदाय की भागीदारी होनी चाहिए। समुदाय को यह भी जानने का हक है कि स्कूल कैसा चल रहा है। अच्छे सरकारी स्कूलों का समाज में नाम भी होता है, इसमें समुदाय की भागीदारी भी होती है।

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने कहा कि विकासखण्ड और संकुल स्तर पर समन्वयक स्कूलों में जाकर देखे कि पढ़ाई मंे कमजोर विद्यार्थी के स्तर में कितना सुधार हुआ है। पहला आंकलन यह होना चाहिए कि विद्यार्थियों ने कितना सीखा और शिक्षकों को यह परिकल्पना समझ में आयी कि नहीं। शिक्षकों को यह समझ में आना चाहिए कि जो डाटा रिपोर्ट का उपयोग कैसे किया जाए। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों के अंतर को कैसे दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 जिलों में ‘निखार‘ कार्यक्रम संचालित हो रहा है जहां कक्षा पहलीं से आठवीं तक के पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों पर ध्यान देकर पढ़ाई के अंतर को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। संकुल समन्वय का काम मानीटरिंग करना है कि स्कूल में कितने विद्यार्थी किस ग्रेड पर थे और वहां सुधार के लिए प्रयासों का क्या प्रभाव पड़ा।

श्री द्विवेदी ने कहा कि गत वर्ष विद्यार्थियों का डाटा का उपयोग जिला, विकासखण्ड, क्लस्टर और स्कूल स्तर पर विशलेषण कर गुणवत्ता, संवर्धन के लिए रणनीति किया जाए। राज्य स्तरीय आंकलन का डाटा, शिक्षक संकुल समन्वय के समक्ष आना चाहिए। डाटा को सरल भाषा में आगे भी कम्यूनिकेट कर सके। संकुल, स्कूल और शिक्षक स्तर पर डाटा को ला सके और उसकी समीक्षा की जा सकती है। डाटा के अनुसार स्कोर कार्ड को कैसे प्रभावी बना सके उसका सुझाव जिला शिक्षा अधिकारी दे। इस अवसर पर संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद श्री पी. दयानंद भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *