November 24, 2024

STOP Dengu Fever Symptoms attack :स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का अभियान ‘ हर रविवार – मच्‍छर पे वार ’मलेरिया के रोकथाम के लिए लग रहें जागरुकता शिविर

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रायपुर, मानसून के साथ ही डेंगू और मलेरिया का प्रकोप शुरू हो गया है। मच्छर का छोटा सा डंक भी बड़ा ख़तरा पैदा कर सकता हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फाइलेरिया, ज़ीका वायरस और पीत ज्वर जैसी बीमारियों के कारण जीवन को गंभीर ख़तरा हो सकता हैं। बारिश के दिनों में, मच्छरों के पनपने और कई बीमारियों के संचरण के लिए अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं। प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण विश्व में 20 अगस्त को पेशेवर चिकित्सक सर रोनाल्ड रास की स्मृति में विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता हैं, जिन्होंने वर्ष 1897 में खोज़ की थी कि मनुष्य में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और जिला मलेरिया कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मौसमी बीमारियों के रोकथाम के उपाय किया जा रहा है।
जिले में अब तक 18000 घरों में पहुंचा मलेरिया नियंत्रण टीम-
रायपुर जिले के मुख्‍य स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा अधिकारी डॉ केआर सोनवानी के निर्देश पर जिले के शहरी क्षेत्रों के वार्डों में डेंगू और मलेरिया के रोकथाम के लिए दवाओं का छिड़काव नियमित तौर पर किया जा रहा है। वहीं वार्डों के अलग-अलग मुहल्‍लों में भी जाकर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की जिला मलेरिया नियंत्रण टीम शिविर लगाकर रोकथाम व बचाव के उपाय भी बताकर लोगों को जागरुक कर रही हैं। जिले में 1 जनवरी 2019 से 19 अगस्‍त 2019 तक 14 मलेरिया और 52 डेंगू के पॉजेटिव प्रकरण मिले। अगस्‍त महीने में 1 से 19 अगस्‍त में 5 प्रकरण मिले हुए। मानसून सीजन 1 जून से 20 अगस्‍त तक जिले में लगभग 18000 घरों तक टीम का सर्वेक्षण और जागरुकता अभियान पहुंचा है।


सप्‍ताह में एक दिन कूलर व पानी टंकी की सफाई जरुरी-
मलेरिया कंसल्‍टेंट एवं कीट वैज्ञानिक कुमार सिंह ने बताया आज रायपुर नगर निगम के शहरी क्षेत्र गुढियारी वार्ड क्रमांक-9 के पार्वती नगर मुहल्‍ले में परमेश्‍वरी मंदिर के पास जिला मलेरिया नियंत्रण टीम द्वारा मलेरिया एवं डेंगू के सर्वेक्षण, उपचार एवं बचाव के लिए जागरुकता शिविर लगाया। टीम ने पार्वती नगर के 190 घरों का भ्रमण कर 356  कूलर, कंटेनर व पानी टंकी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान 4 कंटेनर में डेंगू एडिश मच्‍छर के लार्वा मिले जिनके पानी को खाली कराया गया। मलेरिया कंसल्‍टेंट ने बताया, मच्‍छर के लार्वा से व्‍यस्‍क बनने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। इसलिए 7 दिन के भीतर कूलर और पानी टंकी की सफाई नियमित करने से लार्वा नष्‍ट हो जाते हैं। उन्‍होंने कहा, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग लोगों को जागरुक करने के लिए ‘ हर रविवार – मच्‍छर पे वार ’ अभियान चला रही है। वहीं बारिश में ऐसे जगह जहां से पानी खानी नहीं किया जा सकता वहां टेमीफॉश किटनाशक दवाई के घोल का छिड़काव कर दिया जाता है।


शिविर में किया संदिग्‍ध मरीजों का रक्‍त पटिका की जांच-
जिला मलेरिया कार्यक्रम अधिकारी डॉ.विमल किशोर राय ने जागरूकता शिविर में लोगों को डेंगू जैसे घातक बीमारी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इसके कारणों और बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लोग अगर अपने आसपास पानी इकट्ठा न होने दें तो इस पर आसानी से लगाम लग सकता है। सहायक मलेरिया अधिकारी प्रभारी कृपाशंकर श्रीवास ने बताया मलेरिया और डेंगू के बचाव के लिए चयनित वार्डों के मुहल्‍लों में टीम के कर्मचारी सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक सर्वेक्षण और शिविर आयोजित करते हैं। वहीं सर्वेक्षण के दौरान टीम ने बुखार और सर्दी-खांसी के 65 मरीजों का रक्‍त पट्टी के द्वारा जांच की जिसमें मलेरिया और डेंगू के मरीज नहीं मिले। लोगों को जागरुकता एवं बचाव के लिए पाम्‍पेलट भी बांटे गए। इस शिविरों में शहरी क्षेत्र की एएनएम, मितानिन टेनर और मितानिन के सहयोग बुखार सर्वेक्षण्‍ का कार्य तथा व्‍यापक स्‍तर पर मलेरिया और डेंगू से बचाव के लिए स्‍थानीय स्‍तर पर प्रचार व प्रसार करती हैं। शिविर में प्रमुख रुप से स्‍वास्‍थ्‍य पर्यवेक्षक दुर्गादास मारकंडेय, लैबटेक्निशियन सतीश देवांगन, सर्वेलेंस कार्यकर्ता दीपक सर्वे, मलेरिया टेक्निशियन सुपरवाइजर रेवानंद साहू व राजकुमार निर्मलकर मलेरिया फील्‍ड वर्कर का सहयोग लिया गया ।
मच्छर से ख़तरा-
बारिश के दिनों में, मच्छरों के पनपने और कई बीमारियों के संचरण हेतु अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं। विश्व भर में मच्छरों की हजारों प्रजातियों हैं, जिनमें से कुछ बहुत ज़्यादा हानिकारक होती हैं। नर मच्छर पराग (पेड़-पौधों) का रस चूसते हैं, जबकि मादा मच्छर अपने पोषण के लिए मनुष्य का खून चूसती हैं। जब मादा मच्छर मनुष्य का खून चूस लेती हैं, तब यह मनुष्य में प्राण घातक संक्रमण को संचारित करने वाले घटक के तौर पर कार्य करती हैं, जिसके कारण मानव जीवन हेतु उत्तरदायी ख़तरनाक बीमारियां पैदा हो सकती हैं।

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