November 24, 2024

भारत के फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने दुनिया के कई देशों के सामने गुहार लगाई गुहार विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने जो फैसला लिया है वह उसके संविधान के तहत है और उससे न तो पाकिस्तान की सीमा पर कोई असर होता है और न ही चीन की.

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नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर पर भारत द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग ली के साथ सोमवार को बीजिंग में मुलाकात की. भारत के फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने दुनिया के कई देशों के सामने गुहार लगाई, जिसमें चीन भी शामिल रहा. दोनों विदेश मंत्रियों के बीच इस मुलाकात में कश्मीर का मसला भी उठा, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को कुछ ऐसा तर्क दिया कि चीन आगे कुछ नहीं कह पाया.
जब दोनों की मुलाकात में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य का पुनर्गठन करने का मामला सामने आया तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने जो फैसला लिया है वह उसके संविधान के तहत है और उससे न तो पाकिस्तान की सीमा पर कोई असर होता है और न ही चीन की.
चीन ने भारत के सामने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इससे क्षेत्रीय अखंडता पर असर पड़ सकता है.
साझा प्रेस वार्ता में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘बातचीत के दौरान अक्साई चिन का मसला भी उठा, चीन को चिंता थी कि अनुच्छेद 370 की वजह से भारत-चीन की सीमा पर असर पड़ सकता है. लेकिन, उन्होंने साफ किया कि भारत का फैसला अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कुछ असर नहीं डालेगा. इससे सिर्फ भारत के अंदर ही राज्य में असर होगा’.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पर फैसले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी चीन पहुंचे थे, लेकिन चीन ने इस मसले पर शांति का रास्ता ही अपनाया. चीन ने अपने बयान में कहा था कि भारत के फैसले के बारे में उन्हें पता है, वह उम्मीद करते हैं कि इससे क्षेत्र में शांति बनी रहेगी.
दूसरी ओर अगर पाकिस्तान की बात करें, तो पाकिस्तान लगातार दुनिया के सामने मदद की गुहार लगा रहा है और भारत को लेकर गलत खबरें फैला रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का जिक्र किया था कि दुनिया के सामने कश्मीर का मसला समझाना और अपने हक में कर लेना इतना आसान नहीं है. साफ है कि पाकिस्तान की बात कोई भी देश मानने को तैयार नहीं है और हर कोई इस फैसले को भारत का आंतरिक मसला बता रहा है.

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