November 24, 2024

प्रेमचंद की व्यापक दृष्टि ने उन्हें बनाया प्रासंगिक : नारायणी साहित्य अकादेमी, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन का शास. पूर्व माध्यमिक शाला, चौबे कालोनी में हुआ संयुक्त आयोजन

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रायपुर ‘सौ वर्ष से भी ज्यादा पहले प्रेमचंद ने जो लिखा उसकी छाया आज भी हमारे समाज और ग्रामीण जन जीवन में मिल जाती है, इसीलिए प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक है।’
प्रेमचंद जयंती के अवसर पर नारायणी साहित्य अकादमी एवं अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के चौबे कालोनी स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के वीरांगना प्रेक्षागृह में हुए एक संयुक्त एवं गरिमामय आयोजन में श्री जे. के. डागर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उक्त बातें कही।
कार्यक्रम के प्रारंभ में ‘अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन’ एवं ‘तत्व ज्ञान’ संस्था द्वारा शाला के छात्र-छात्राओं से प्रेमचंद की कहानी “कफन” पर तैयार करवाया गया नाटक प्रस्तुत किया गया। कमला बाजपेयी एवं वीनम वर्मा द्वारा निर्देशित इस नाटक में भूमिका, अस्ताना, भगवती, समीर, जया वर्मा, तरूणा निषाद, भूमिका विश्वकर्मा, जया यादव, अंकिता साहू, खुशी, दिलेश्वरी, दुर्गेश नंदिनी साहू आदि ने अभिनय किया एवं नाटक के माध्यम से शराब से होने वाले नुकसान को प्रदर्शित किया।
कार्यक्रम के विमर्श सत्र में नारायणी साहित्य अकादमी की प्रांतीय अध्यक्ष डॉ श्रीमती मृणालिका ओझा ने बच्चों को शैक्षणिक पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य साहित्यिक एवं विज्ञान संबंधी पुस्तकें पढ़ने हेतु प्रेरित किया। लतिका भावे ने जहां प्रेमचंद की सहज, सरल भाषा की बात कही तो जीवेश प्रभाकर चौबे ने कहा कि प्रेमचंद की सूक्ष्म लेकिन व्यापक दृष्टि ने उन्हें अमर कथाकार बनाया। शुभा मिश्रा ने गोदान को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। श्रीमती शोभा शर्मा एवं छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ साहित्यकार  चेतन भारती ने भी शुभाशीष देते हुए अपनी कविताएं प्रस्तुत की। अधिवक्ता अंबर शुक्ला अंबरीश ने छात्रों को अंकों से अधिक गुणों पर ध्यान देने की बात कही।
उपरोक्त कार्यक्रम मायाराम सुरजन कन्या उ मा शाला की प्राचार्या श्रीमती भावना तिवारी, पूर्व मा वि की प्रधान पाठीका श्रीमती पद्मिनी शर्मा, शशिकला वर्मा, ललिता गरेवाल, बालकृष्ण वर्मा, ए के बघेल, श्रद्धा सिंह, लक्ष्मी वर्मा, झरना झा, हसरत इरफान, मुकेश प्रधान आदि शिक्षकों सहित अन्य अनेक छात्र छात्राओं की उपस्थिति एवं सहयोग से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र ओझा ने तो धन्यवाद ज्ञापन कमला बाजपेयी एवं पद्मिनी शर्मा  ने किया।

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