तमिलनाडु के किसानों नेे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को किसानों के संरक्षक के रूप में दी बधाई
देश भर के किसानों की आशा भरी निगाहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल पर
रायपुर, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एम. जी. रामचन्द्रन के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो किसानों के बारे में सोचते, चिंतन करते हैं और उनके हित में हरसंभव मदद कर रहे हैं। ये सोच तमिलनाडु के ‘धान के कटोर‘े के रूप में जाने वाले तंजावुर कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसानों की है।
तंजावुर के किसानों ने गत दिनों वहां के कलेक्टर से मुलाकात की और उन्हें सौपें गए अपने ज्ञापन मंे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को ‘‘किसानों के संरक्षक‘‘ का लेख करते हुए रूप में उन्हें बधाई और धन्यवाद दिया है। इन किसानों का कहना है कि एम. जी. रामचन्द्रन ने धान का बोनस दिलाया था, उनके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो किसानों के बारे मंे इतना अधिक सोचते है और उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों को 750 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस की राशि दिलाई।
इस आशय की खबरंे तमिलनाडु के प्रतिष्ठित मीडिया समूह जुनियर विकटन के तमिल संस्करण में प्रकाशित हुई है। अखबार ने लिखा है कि वर्ष 1977-78 मंे तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. एम. जी. आर. ने अपने पहले कार्यकाल में 100 रूपये प्रति क्विंटल बोनस दिया था, मीडिया समूह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की तुलना उस कदम से की है।
छत्तीसगढ़ के नागरिक के साथ-साथ स्वयं मुख्यमंत्री श्री बघेल भी तमिलनाडु राज्य के किसानों के बीच से आई इस खबर से अनजान थे। उन्होंने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी को बढ़ावा देने और किसानों और गांवों के विकास और कल्याण का बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ में किए जा रहे कार्याें दूर-दराज क्षेत्रों के किसानों ने भी तारीफ की है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ मंे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के साथ दो घंटे के भीतर ही कैबिनेट की बैठक कर किसानों को धान का उचित मूल्य देने के लिए प्रति क्विंटल राशि बढ़ाकर ढाई हजार रूपए करने और किसानों के अल्पकालीन कृषि ऋण माफी करने जैसे दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है, जो किसानों से देश में सबसे अधिक 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी कर रहा है।
इससे जहां किसानों का कृषि ऋण को बोझ कम हुआ और उन्हें ऋण के बोझ मानसिक और तनाव से मुक्ति मिली, वहीं फसल का उचित मूल्य मिलने से ना केवल उनके चेहरे में रौनक वापस लौटी बल्कि उनके घर-परिवार और गांवों मंे भी समृद्धि की आहट आई। इन निर्णयों से किसानों मंे व्यापक रूप से उत्साह और ऊर्जा का संचार हुआ और वे सरकार को भरपूर आशीर्वाद दे रहे है। केबिनेट के इस निर्णय से राज्य के 16 लाख 65 हजार किसानों द्वारा ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंकों से बांटे गए 6 हजार 230 करोड़ रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण माफ किया गया।
इसी तरह श्री भूपेश बघेल सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के व्यावसायिक बैंकों द्वारा बांटे गए लगभग चार हजार करोड़ रूपए का अल्पकालीन ऋण को भी माफ करने का निर्णय लिया है। इससे राज्य के लगभग बीस लाख किसानों को साढ़े ग्यारह हजार रूपए की ऋण की ऋण माफी की लाभ मिल रहा है। इससे राज्य के किसानों को कर्ज के कुचक्र से मुक्ति दिलाने मंे मदद मिली है। ये किसान अब शून्य प्रतिशत ब्याज ऋण योजना से लाभ लेने मंे भी सक्षम बने है और उन्हें निजी साहूकार एवं सूदखोरों से कर्ज लेने की विवशता खत्म हुई है।
इसी तरह राज्य शासन द्वारा 15 लाख किसानों को राहत देते हुए लगभग 15 वर्षों से लम्बित सिंचाई कर की बकाया राशि को 207 करोड़ रूपए की सिंचाई कर की बकाया राशि माफ की गई।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए ‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी-नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी – ऐला बचाना है संगवारी’ योजना शुरू की गई। इसके माध्यम से प्राकृतिक जल संसाधनों तथा नालों के उद्गम स्रोत से लेकर उसे रिचार्जिंग करने का कार्य वैज्ञानिक ढंग से किया जाना प्रारंभ किया गया। इसी तरह फसलों को चरने वाले पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठान में डे-केयर के रूप में रखने की व्यवस्था प्रारंभ की गई। गोबर और अनुपयोगी कृषि उत्पादों के माध्यम से कम्पोस्ट एवं वर्मी खाद का उत्पादन गांव-गांव में शुरू किया गया और हजारों किसानों को उनके बारी का विकास करते हुए गांव में पौष्टिक फल एवं सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू किया गया। इस अभियान की पूरे देश में चर्चा की जा रही है और उसे रोल माॅडल की तरह स्वीकार किया जा रहा है।
तमिलनाडु का तंजावुर एक उदाहरण है कि किस तरह छत्तीसगढ़ के किसान पुत्र और स्वयं कृषक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देशभर के छोटे-छोटे गांवों के किसानों के दिल में अलग जगह बनाई है।