विरोधियों के लगातार तंज कसते रहने के बावजूद, नकारात्मक रवैय्ये की चिन्ता किए बगैर महापौर रेड्डी की निरन्तर पहल आज रंग ला रही है:SECL की जमीनों का सीमांकन एवं अनुपयोगी जमीनों को राज्य सरकार को वापस करने आया निर्देश,
सम्भागायुक्त का कलेक्टर कोरिया को जारी हुआ निर्देश
चिरमिरी । अपने जन्मभूमि को सजाने – सँवारने या यूँ कहें कि उस मातृभूमि के संरक्षण में अपना योगदान देना कौन नहीं चाहता? लेकिन इतिहास के पन्नों पर गौर करने पर पता लगता है कि ऐसा करने वाले कुछ ही लोग होते हैं जो वह चाहते हैं उसे मंजिल तक पहुँचा पाने में सफल हो पाते हैं। ऐसा करने वालों को घर, समाज, बिरादरी या दोस्तों के कठिन सवालों के घेरे से निकल कर काफी जद्दोजहद भी करनी पड़ती है। वर्षों से ऐसा ही कुछ अभियान छेड़ रखा है, चिरमिरी नगर निगम के महापौर के. डोमरू रेड्डी ने। अपने शहर को रचाने – बचाने के एक अभिनव सपने को साकार करने के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले इस नेता ने एक ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है, जिसे आज नहीं तो कल चिरमिरी के इतिहास में एक मील के पत्थर के रूप में याद किया जाता रहेगा।
बात हो रही है चिरमिरी के कोयला उत्खनन वाले क्षेत्रों में बसे नागरिकों के घर एवं दुकानों के पट्टे दिलाने के अभियान का। जो कभी न हो सकने जैसा लगने वाला मुद्दा आज दो-दो मुख्यमंत्रियों के द्वारा उत्तर क्षेत्र एवं सरगुजा विकास प्राधिकरण में लिए गये निर्णयों एवं उसी आधार पर दिये गए निर्देशों के बाद अब एक मजबूत उम्मीद की किरण की तरह इस कोयला नगरी के लोगों के आने वाली पीढ़ी के लिए एक सुनहरा आस लेकर आई है। बेहद पेचीदा समझे जाने वाले इस मुद्दे को हल कराना तो दूर बल्कि चर्चा तक से कोसो दूर रहने वाले नेता भी अब इसे उनके द्वारा उठाया गया अपना मुद्दा कहने लगे हैं, लेकिन जनता है कि सब जानती है। पहली बार चिरमिरी के कई वार्डों में घरों एवं दुकानों का सर्वे कर रिपोर्ट बनाने का काम होते देखा गया। वन विभाग एवं एसईसीएल के एनसीपीएच कालरी ने अपने जमीन पर बसे लोगों की सूची भी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा एसईसीएल के सीएमडी को चिरमिरी बुलाकर भी इस मुद्दे पर समीक्षा की गई है।
वास्तव में इस मुद्दे को पूरे सिद्दत के साथ 2014 के नगर निगम चुनाव में अपने घोषणा पत्र में शामिल कर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक कर चुनाव जीतने वाले नेता डमरू रेड्डी ने उठाया। इससे पहले भी कॉंग्रेस के युवा प्रकोष्ठों के अलग-अलग पदों पर रहने के दौरान भी श्री रेड्डी का यह मुद्दा मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल कार्यालयों में ज्ञापनों तथा पत्र व्यवहार के रूप में सम्भाग आयुक्त व कलेक्टर कार्यालयों में चर्चा का बिन्दु रहा है। जिसे स्थानीय समाचार पत्रों ने भी प्रमुखता से जनता तक पहुँचाया है। जहॉं चाह – वहॉं राह जैसी कहावत को चरितार्थ करने में लगे चिरमिरी महापौर के. डोमरू रेड्डी का निरन्तर किया गया प्रयास अब धरातल पर मूर्त रूप लेने के नजदीक आ पहुँचा है। कोयलांचल चिरमिरी सहित चिरमिरी जैसे शहरों व कस्बों के लोगों के मकानों का मालिकाना हक दिलाने के लिए एक उन्मुक्त पहल देखने को मिल रही है। सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की 22 फरवरी 2016 की बैठक में चिरमिरी महापौर के. डोमरू रेड्डी ने मांग रखी थी कि चिरमिरी क्षेत्र के SECL द्वारा अनुपयोगी जमीन को राज्य सरकार को वापस किया जाए ताकि चिरमिरी के स्थायित्व के लिए चिरमिरी की जनता को पट्टा वितरित कर लोगों के पलायन से रोका जाए। जिसके एजेंडा के बिंदु 10 में अध्यक्ष सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्णय लिया गया कि SECL के अधीन अनुपयोगी जमीनों को छत्तीसगढ़ शासन को वापस किया जाए।
इस सम्बंध में तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सम्पूर्ण एसईसीएल क्षेत्र के सम्बंधित जिला कलेक्टरों को शीघ्र कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया गया था। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद अब नई सरकार में भी सम्भाग मुख्यालय अम्बिकापुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए सरगुजा विकास प्राधिकरण के 03 जून 2019 की बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा SECL के अधीन अनुपयोगी जमीनों को छत्तीसगढ़ राज्य शासन को वापस कराने हेतु निर्देशित किया गया है जिसका पत्र क्रमांक/1613/सविप्रा/2019-20 अम्बिकापुर दिनांक 19 जून 2019 को सरगुजा विकास प्राधिकरण के सचिव सम्भाग आयुक्त द्वारा जारी किया गया। पत्र के माध्यम से निर्देशित किया गया है कि जल्द से जल्द SECL की अनुपयोगी ज़मीन राज्य शासन को वापस किये जाने हेतु आवश्यक पहल की जाए। इस पत्र के बारे में महापौर चिरमिरी से पूछा गया तो उनका कहना है कि निरन्तर कर्म करते रहने के मूल मंत्र के साथ अपने शहर को बचाने एवं इसके स्थायित्व के लिए मेरा यह भागीरथ प्रयास आगे भी इसी तरह जारी रहेगा। इस जटिल मुद्दे को राज्य सरकार के उच्च स्तरीय कमेटी तक पहुँचाने में तय किये गए सफर को याद करते हुए महापौर रेड्डी बताते हैं कि यह मेरे लिए एक बेहतरीन तजुर्बा रहा, जो भविष्य में मेरे कामकाज के तरीके में काम आयेगा। दो-दो मुख्यमंत्रियों तक इस विषय पर चर्चा कर सकारात्मक पहल तक पहुँचना मेरे लिए बेहद सुखद अनुभव रहा। श्री रेड्डी क्षेत्र की जनता को अपील करते हुए बताते हैं कि जो लोग इस मुद्दे पर सहयोग नहीं कर सकते कृपा करके वो शांत रहकर अपना सहयोग दें, जो लोग इसमें काम कर रहे हैं उसमें अनावश्यक टीका-टिप्पणी कर इसमें व्यवधान पैदा न करें। क्योंकि शहर किसी एक का नहीं बल्कि सबका होता है, इसमें सबके सहयोग और साथ से ही सकारात्मक ऊर्जा बनती है। इस सकारात्मकता में दखल देकर प्राकृतिक न्याय के मार्ग में बाधक न बनें तो ये हमारे लिए सहायक होगा और हम मामले के अंतिम छोर पर पहुँचने में कामयाब हो सकेंगे।