गुड्स एंड सर्विस टैक्स से दवा के भाव हुए दूने: मार्किट में कई महत्वपूर्ण दवा का स्टाक हुआ ख़त्म
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर छ .ग .। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई से लागू हो गया। जीएसटी से भले ही डॉक्टर्स की फीस, अस्पताल के अन्य खर्चों को बाहर रखा गया हो, लेकिन दवाओं में 5 से लेकर 28 फीसदी तक टैक्स लगा दिया गया है। यही वजह है कि मल्टीनेशनल दवा कंपनियों और थोक दवा व्यपारियो के बीच मार्जिंन का नया विवाद खड़ा हो गया है। इसी के चलते थोक बाजार में दवाओं का स्टॉक 50 फीसदी तक कम हो गया है। हालत यह है कि थोककारोबारी एवं मेडिकल स्टोर संचालकों को दवा नहीं है कहकर लौटा रहे हैं।स्थिति सुधरने में महीनो लग सकता है। मामला यह भी सामने आया कि बीते 5-7 दिन में प्रदेश भर के थोक विक्रेताओं ने 40-45 करोड़ रुपए की दवाएं कंपनियों को वापस भेज दिया है । व्यपारियो की माने तो 5 फीसदी स्लैब वाली दवाओं में मार्जिंन ठीक है, लेकिन 12, 18 और 28 फीसदी में कंपनियां मार्जिंन तय नहीं कर पा रहीं। यही वजह है कि व्यपारियो ने प्रोडक्ट होल्ड करना शुरू कर दिया है या तो बिक्री ही रोक दी है। इन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि बगैर मार्जिंन तय हुए दवाकी बिक्री नहीं कर पाएंगे ,कब तक अपनी जेब से पैसा लगाकर कारोबार किया जा सकता है ।यहां यह भी स्पष्ट रहे कि दवाएं ऑन एमआरपी पर ही लें। हर महीने की 10 तारीख को देना होगा हिसाब-दवा कारोबारियों को हर महीने की 10 तारीख को सेल टैक्स विभाग को महीनेभर में दवाओं की खरीद फरोख्त व स्टॉक की जानकारी देनी होगी। 10अगस्त, 2017 से यह सिस्टम लागू होने जा रहा है। व्यपारियो को रेगुलर ऑडिट के साथ-साथ जीएसटी ऑडिट भी करवानाअनिवार्य हो गया है !