केंद्र सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट को कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने दिखावा एवं किसान विरोधी बताया।
रायपुर ,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र पप्पू बंजारे ने किसान विरोधी भाजपा सरकार का निंदा करते हुए कहा कि केंद्र शाषित बीजेपी सरकार का दूसरे कार्यकाल का पहला बजट बहुत ही निराशा जनक बजट रहा इस बजट में आम आदमी एवं मध्यम वर्गीय परिवार के लिए कुछ भी नही है इस बजट के नाम पर मध्यम वर्गीय परिवार एवं छोटे व्यापारियों से छलावा मात्र है बजट में सराफा एवं पेट्रोल, डीजल में एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से माल भाड़े में वृद्धि होगी जिसकी सीधी मार जनता की जेब में पड़ेगी कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने केंद्र शासित बीजेपी सरकार के बजट को गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवार के लिए छलावा मात्र कहा इस बजट में सिर्फ कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए छोटे व्यापारियों के साथ किया जा रहा है सौतेला व्यवहार बजट में आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं है अभी वैसे भी भारत की आर्थिक अर्थव्यवस्था चौपट है ,इसमें आर्थिक अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इसे कैसे सुधारा जाए, कैसे संभाला जाए इसको लेकर सरकार को बजट पेश करना था, पर सरकार ने आर्थिक अर्थव्यवस्था को दरकिनार कर महंगाई एवं बेरोजगारी को बढ़ाने वाला बजट पेश कीया है अच्छे दिनों का नारा देने वाली बीजेपी सरकार की इस बजट में अच्छे दिनों का कहीं भी कोई भी क्रियान्वयन तो दूर उसके अच्छे दिनों के शब्द तक दिखाई नहीं दे रहे हैं ,बैंकों को आपस में मर्ज करने से बेरोजगारी दर बढ़ेगी कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने बताया कि सर्राफा एवं पेट्रोल डीजल में एक्सरसाइज ड्यूटी बढ़ाने से परिवहन एवं ट्रांसपोर्ट के भी माल भाड़े में वृद्धि होगी इससे महंगाई कई गुना बढ़ेगी जिसका असर सीधे-सीधे जनता की जेब पर पड़ेगा अर्थात कुल मिलाकर यह बजट जनता की जेब में डाका डालने वाला बजट है इसमें बेरोजगार युवकों के लिए स्पष्ट नीति योजना लागू नहीं है बजट वह होता है जिसमें गरीब परिवार, मध्यमवर्गीय परिवार एवं हर वर्ग का ध्यान रखते हुए सौतेला व्यवहार छोड़ समानता बनाते हुए उसे कागजों के बदले धरातल पर लागू किया जाए जिससे भारत के अर्थव्यवस्था आगे बढ़े एवं सभी वर्गों को सीधा सीधा फायदा पहुचे।। कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा बेरोजगारी संकट का कोई समाधान बजट में नहीं दिखता। किसानों की आय दुगुना करने के लक्ष्य को पाने का कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। धान खरीद का समर्थन मूल्य कुछ बढ़ाया गया जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।