हाथी-मानव द्वन्द्व को रोकने नहीं होगी वित्तीय संसाधनों की कमी: मोहम्मद अकबर
हाथियों से जनहानि पर अब छह लाख रूपए क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी दो दिवसीय कार्यशाला का समापन
रायपुर-हाथी-मानव द्वन्द्व को रोकने और हाथियों के संरक्षण विषय पर यह आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। प्रदेश सरकार हाथी सहित समस्त वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए प्रतिबघ्द है। हाथी-मानव द्वन्द्व को न्यूनतम करने और हाथियो के संरक्षण के लिए राज्य स्तर पर वित्तीय संसाधनों की कभी भी कमी नहीं होने दी आएगी। यह बात वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने आज अरण्य भवन अटल नगर में प्रोजेक्ट एलीफेन्ट मानिटरिंग कमेटी द्वारा आयोजित तीसरी क्षेत्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
हाथी-मानव द्वन्द्व को कम करने के लिए हाथियों के आने जाने के अधिकार विषय पर केन्द्रित इस दो दिवसीय तीसरी क्षेत्रीय कार्यशाला का समापन आज हुआ। श्री मोहम्मद अकबर ने एक लघु फिल्म का जिक्र करते हुए बताया कि हाथी बुुुध्दिमान और संवेदनशील प्राणी है। वे पूरे समाज के लिए मूल्यवान है। उन्हें संऱि़़क्षत रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पूर्व में बादलखोल, तमोरपिंगला, सेमरसोत और लेमरू अभ्यारण्य को चिन्हित किया गया था, जिसमें बादलखोल और तमोरपिंगला, सेमरसोत अभ्यारण्य एलीफेन्ट रिजर्व के लिए नोटिफाइड किया गया है। अब लेमरू अभ्यारण्य को भी एलीफेन्ट रिजर्व के लिए नोटिफाइड करने के लिए मंत्रीमंडल की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा।
श्री अकबर ने कहा कि हाथियों के संरक्षण और उन पर नजर रखने के लिए बार-बार प्रयोग करने के बजाय एक ठोस और सुव्यस्थित कार्ययोजना बनाई जाए। केन्द्र सरकार के वन विभाग के अपर महानिदेशक श्री एम.एम नेगी ने कहा कि यह पहला अवसर है जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से कमेटी को फील्ड विजिट कराया गया। इस कार्यशाला में अन्तर्राज्यीय समन्वय और एकीकृत रणनीति, सूचनाओं के आदान-प्रदान पर एक व्यवस्था बनाने की सहमति बनी। कार्यशाला मे विशेषज्ञों द्वारा किए गए मंथन से भारत सरकार को सुझाव दिया जाएगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश इस समस्या से समाधान करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा हाथियों से होने वाली जनहानि के प्रकरणों में क्षतिपूर्ति राशि चार लाख रूपए से बढ़ाकर छह लाख रूपए कर दी गई है। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री अतुल शुक्ला विशेषज्ञ श्री आर.एन. श्रीवास्तव, डॉ मलिक ने भी अपना सम्बोधन दिया। कार्यक्रम में 06 राज्यों के वन अधिकारी, और वन्य प्राणी विशेषज्ञ उपस्थित थे।