सर्वोच्च न्यायालय ने सरगुजा के परसा केते बासेन कोल ब्लॉक मामले में अदानी और अन्य के विरुद्ध जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट में रिट पटीशन सिविल नम्बर 371/2019 दिनेश कुमार सोनी प्रति यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य के नाम से पेश किया जिसमें डी. के. सोनी की ओर से देश के प्रतिष्ठित अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण ने लगाया जनहित याचिका| अडानी की मुश्किलें बढ़ी
अजय तिवारी
अम्बिकापुर: अधिवक्ता एवं आर0टी0आई कार्यकर्ता दिनेश सोनी द्वारा सरगुजा जिले में संचालित परसा केते बासेन कोल ब्लॉक के आबंटन एवं भारत सरकार के द्वारा दिये गये गाईड लाइन एवं निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दिनेश कुमार सोनी विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य के नाम से एक जनहित याचिका प्रस्तुत किया गया जिसमें रिट पटीशन सिविल नंबर 371/2019 पंजीबद्ध किया गया जिसमे दिनांक 5/4/2019 को कोर्ट नम्बर 1 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कोर्ट में सुनवाई की गई जिसमें डी के सोनी की ओर से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में देश के प्रतिष्ठित अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण तथा नेहा राठी के द्वारा पैरवी की गई। तथा सुनवाई उपरांत सभी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
उपरोक्त याचिका में मुख्य रूप से अवैध तरीके से अदानी के द्वारा किये जा रहे कार्यो का उल्लेख किया गया है, क्योंकि उपरोक्त खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कम्पनी को मिला है, लेकिन मौके पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कम्पनी के द्वारा कार्य न कर पूरा कार्य अदानी के द्वारा किया जा रहा है |
इसके अलावा भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी स्वीकृति आदेश दिनांक 21/दिसंबर 2011 को खुले रूप से उल्लंघन किया जा रहा है, इसके अलावा राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कम्पनी के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत यह भी जानकारी दी गई है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कम्पनी लिमिटेड एवं अदानी कम्पनी के मध्य किसी प्रकार का कोई भी अनुबंध एवं एमओयू नही हुआ है | इसके अलावा दिनांक 21 दिसंबर 2011 के अनुमति की कंडिका क्र. 2ए के क्रमांक (xii) एव (xiii) का उल्लंघन है, इसके अलावा कंडिका क्रमांक 2ए के क्रमांक (xiv) का भी उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि कोयला निकलने के लिए ड्रिलिंग एवं ब्लास्टिंग नही किया जा सकता है लेकिन मौके पर ब्लास्ट एवं ड्रिलिंग किया जा रहा है | इसके अलावा क्रमांक 2ए के क्रमांक (xviii) जिसके तहत खदान एवं गांव के बीच 30 मीटर चौड़ाई ग्रीन बेल्ट के लिए पौधा लगावाया जाएगा लेकिन नहीं किया गया | इसी प्रकार क्रमांक 2ए के क्रमांक (xiv), (xx), (xxix), (xxxiii), एवं (x), का खुले रूप से उल्लंघन किया जा रहा है| क्योकि इसमें यह भी उल्लेख है कि यह राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, जीव मंडल रिजर्व, बाघ रिजर्व, हाथी कारिडोर आदि का भाग है यदि हां तो क्षेत्र का ब्योरा तथा मुख्य वनजीव वार्ड की टिप्पणियाँ संलग्न करे |
उक्त संबंध में वनमंडलाधिकारी श्री एम0के0सिंह द्वारा जो जानकारी दी गई वह नहीं का उल्लेख किया गया तथा वर्ष 2007-08 एवं 2008-09 में प्रस्तावित क्षेत्र के आस पास से भटके हुए जंगली हाथियों को गुजरते हुए देखा गया है कि जबकि उक्त जंगल में स्थाई रूप से भालू, एवं तेंदुआ रहते हैं तथा हाथियों का हमेशा ग्राम घाटबर्रा केते में आते रहते हैं इन तथ्यों का भी उल्लेख जनहित याचिका में किया गया है| इसके अलावा सैकड़ों जाने सड़क दुर्घटना में चली गयी है|
इन तथ्यों का भी लेख जनहित याचिका में किया गया है | इसके अलावा अवैध तरीके से आबंटित भूमि से अधिक क्षेत्र भूमि में अवैध तरीके से उत्खनन करने का भी आरोप लगाया गया है | तथा पुर्नवास नीति का पालन नहीं करने, प्रभावित क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराने, 10 एम0टी0 से अधिक का उत्खनन करने, सीएसआर मद का गलत जगह खर्च करने का भी आरोप जनहित याचिका में लगाया गया है, उक्त गांव में स्थित नदी नालों को दूषित करने का भी आरोप लगाया है उक्त तथ्यों के अलावा अन्य कानूनी पहलुओं को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाया गया है माननीय सर्वोच्च न्यायालय उक्त जनहित याचिका की सुनवाई हेतु कोल बेंच में रखा गया है, उक्त मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता, तथा जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा की गई | मामले की गम्भीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी करने का आदेश दिया है । अब लग रहा है कि सरगुजा के जनता को अडानी से कुछ न कुछ राहत मिलेगी।