November 23, 2024

अयोध्या केस: मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सभी पक्षों से मांगे नाम

0

नई दिल्ली : राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मध्यस्थता की गुंजाइश अब भी दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दलीलें सुनने के बाद मामले के स्थायी समाधान के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त और निगरानी में मध्यस्थता को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने साफ कहा कि हम अयोध्या जमीन विवाद और इसके प्रभाव को गंभीरता से समझते हैं और जल्दी फैसला सुनाना चाहते हैं। बेंच ने आगे कहा कि अगर पार्टियां मध्यस्थों का नाम सुझाना चाहती हैं तो दे सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट में हिंदू महासभा ने क्लियर स्टैंड रखा कि मध्यस्थता नहीं हो सकती है। महासभा ने कहा कि भगवान राम की जमीन है, उन्हें (दूसरे पक्ष को) इसका हक नहीं है इसलिए इसे मध्यस्थता के लिए न भेजा जाए। रामलला विराजमान का भी कहना था कि मध्यस्थता से मामले का हल नहीं निकल सकता है। हालांकि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता का पक्ष लिया।

हिंदू महासभा में अपना पक्ष रखते हुए मध्यस्थता का विरोध किया। महासभा ने कहा कि कोर्ट को ही फैसला करना चाहिए। जब हिंदू पक्षों ने कहा कि मध्यस्थता निरर्थक प्रयास होगा क्योंकि हिंदू इसे एक भावनात्मक और धार्मिक मामले के तौर पर लेते हैं। उन्होंने कहा कि बाबर ने मंदिर को ध्वस्त किया था। इस पर जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा, ‘अतीत में क्या हुआ, उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है। किसने हमला किया, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद था। हम मौजूदा विवाद के बारे में जानते हैं। हमें सिर्फ विवाद के निपटारे की चिंता है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *