नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी की अवधारणा को साकार करने संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
अपर मुख्य सचिव आर.पी. मंडल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में योजना को मूर्तरूप देने पर हुई विचार मंथन
दुर्ग-छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वपूर्ण बहुआयामी योजना नरवा-गरवा-गुरूवा-बाड़ी की अवधारणा को साकार करने एवं मूर्तरूप देने हेतु आज कलेक्टोरेट कार्यालय के सभाकक्ष में संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला सह बैठक में दुर्ग संभागायुक्त श्री दिलीप वासनीकर, दुर्ग रेंज आईजी श्री रतन लाल डांगी, दुर्ग कलेक्टर श्री अंकित आनंद, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दुर्ग श्री गजेन्द्र ठाकुर सहित संभाग के पांचों जिलों के जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायतों के सीईओ, मनरेगा के एपीओ सहित कृषि, पशुपालन व योजना के लिए राज्य नोडल व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
संभाग स्तरीय कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल ने कहा कि नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी योजना छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वपूर्ण व बहुआयामी योजना है। योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है। इसके जरिये ग्रामीणों की जीवन स्तर में सुधार लाना, उनका आर्थिक उन्नयन करना व ग्रामीणों एवं आम आदमी की आर्थिक आमदानी में बढ़ोत्तरी करना है। मुख्यमंत्री की यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण योजना है। जिसका शत्-प्रतिशत् क्रियान्वयन करना एवं योजना अंतर्गत अपेक्षित उपलब्धि प्राप्त करना है। प्राचीन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आमदानी का जरिया बनाना है। यह एक ऐसी योजना है जिसमें अनेक चुनौतियों के साथ ही अत्याधिक मेहनत व योजनाबद्ध ढंग से समाहित प्रयास की आवश्यकता है। उन्हांेने सभी अधिकारियों को अपेक्षित लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में कड़ी मेहनत और योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने कहा है।
अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल ने इसके लिए जिला पंचायत सीईओ एवं जनपद सीईओ की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें इस दिशा में कड़ी से कड़ी मेहनत और लगन से कार्य करने कहा है। उन्होंने अधिकारियों को चिन्हांकित ग्राम पंचायतों का भ्रमण कर गौठान और चारागाह के लिए भूमि का चिन्हांकन करने के साथ ही योजना का क्रियान्वयन करने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही करने कहा है। उन्हांेने कहा कि शासन के निर्देशानुसार अपै्रल माह तक हर माह में 15 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में गौठान की स्वीकृति का कार्य पूर्ण करना है। गौठान निर्माण के साथ ही यहां आवश्यक संसाधन एवं सुविधा व्यवस्थित करने का कार्य मनरेगा एवं मूलभूत कार्य के अंतर्गत किया जाएगा। गौठान निर्माण के साथ ही इनका घेराव, सीमेंटीकरण, पानी की व्यवस्था, छाया की व्यवस्था के कार्य को प्राथमिकता से करना है। गौठान के लिए सही व उचित व उपयुक्त स्थान का चिन्हांकन किया जाना है।
अपर मुख्य सचिव श्री मंडल ने कार्यशाला के दौरान शासन द्वारा निर्धारित गाईड-लाईन की प्रति कमिश्नर श्री दिलीप वासनीकर एवं दुर्ग कलेक्टर श्री अंकित आनंद को सौपी। जिसकी प्रति सभी जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के सीईओ को दी जाएगी। उक्त निर्धारित गाईड-लाईन के अनुसार कार्ययोजना का निर्धारण किया जाएगा। श्री मंडल ने कार्ययोजना को मूर्तरूप देने एवं साकार करने के लिए अधिकारियों के साथ आवश्यक चर्चा भी किया।
शासन द्वारा निर्धारित गाईड-लाईन के अनुसार नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी की अवधारणा को रेखांकित किया गया है। जिसके अनुसार नरवा-प्रत्येक गांव में जल स्त्रोतों, नालों के उद्गम स्थल से शुरूआत करते हुए जल संचयन एवं संवर्धन हेतु आवश्यकतानुसार कच्ची पक्की संरचनाओं का निर्माण वैज्ञानिक पद्धति से किया जाएगा। गांव के तालाबों को सोलर पंप एवं पाइपलाइन से भरा जाएगा। वर्तमान नदी-नालों एवं तालाबों का संधारण, जीर्णोद्धार एवं गाद हटाने की कार्यवाही की जाएगी। इससे भूगर्भ-जल के स्तर मंे वृद्धि होकर जल स्त्रोतों में बाहरमासी पानी का बहाव होगा तथा दो फसलों के उत्पादन में मदद मिलेेगी। गरूवा- हर गांव में 3 एकड़ भूमि का चयन कर पशुओं के लिए गौठान बनाया जाएगा। गौठान में पशुओं के बैठने के लिए प्लेटफार्म एवं शेड का निर्माण, पीने के पानी की व्यवस्था तथा दुग्ध संग्रहण केन्द्र बनाये जाएंगे। गौठानों में कृत्रिम गर्भधान, टीकाकरण एवं बधियाकरण की सुविधाएं दी जाएगी। इससे दुधारू पशुओं की नस्ल में सुधार एवं दूध के उत्पादन में वृद्धि होगी। घुरूवा- गौठान में सामुदायिक आधार पर बायोगैस प्लांट, कम्पोस्ट इकाईयां एवं चारा विकास केन्द्र बनाए जाएंगे। इससे कम लागत में अधिक फसल उत्पादन एवं ऊर्जा उत्पादन का लाभ मिलेगा। बाड़ी – हर घर में उद्यानिकी फसलों तथा सब्जियों के उत्पादन के लिए बाड़ी को प्रोत्साहित किया जाएगा। नदी-नालों के किनारे भी फलदार वृक्षों का रोपण किा जाएगा। इससे ग्रामीणों को पोषण आहार के अलावा नगद आमदनी में वृद्धि का भी लाभ मिलेगा।
गोबर गैस प्लांट एवं कम्पोस्ट इकाईयों के निर्माण, संधारण एवं संचालन हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल तैया किया जाकर प्रत्येक ग्राम से 10 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। उक्त कार्य के लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण मद में उपलब्ध राशि का उपयोग किया जाएगा। प्रशिक्षण उपरांत लगभग 2 लाख युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त हो सकेगा।