बेजा कब्जा हटाने पर ही मिलेगा गोठान – चरागान की भूमि
रायपुर । वोटों की राजनीति के चलते सत्ता व विपक्ष द्वारा बदस्तूर गावों मे बेजा कब्जा को प्रोत्साहित करने की प्रवृत्ति के चलते ग्रामों मे निस्तारी हेतु कानूनन सुरक्षित भूमियों को भी बेजा कब्जाधारियों ने नहीं बख्शा है। हालात इतनी बदतर है कि भूतों के डेरों मे भी इँसानो ने कब्जा जमा रखा है ,गोठान व चरागान भूमि की बात तो दूर । मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश मे गोठान व चरागान की भूमियोँ को मात्र चिन्हांकित करने से ग्रामीणों का भला नहीं होने वाला वरन् शासन को वोटों की राजनीति छोड़ इन भूमियों से बेजा कब्जा हटवाने की दृढ़ राजनैतिक. इच्छाशक्ति भी दिखानी होगी । किसान सँघर्ष समिति के सँयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने बीते दिनों मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को इस सँबँध मे जारी निर्देश के परिप्रेक्ष्य मे कहा है।
ज्ञातव्य हो कि बीते दिनों इँडियन हार्टिकल्चर कांग्रेस के कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आसन्न 26 जनवरी को ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा का आयोजन कर गाँवों मे गोठान व चारागाह के लिये स्थान चिँन्हित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। श्री शर्मा का कहना है कि जमीन चिँन्हित करने की बात बेमानी है क्योंकि इस हेतु कानूनन भूमि पहले से ही सुरक्षित है ,सवाल सिर्फ इन भूमियों पर हुये अवैध कब्जों को हटवाने का है। श्री शर्मा ने जानकारी दी है कि भू राजस्व सँहिता 1959 की धारा 237 के तहत प्रदेश के प्रत्येक गांव के लिये बनाये गये कानूनन निस्तार पत्रक मे सँबँधित जिला के जिलाधीश द्वारा विभिन्न सार्वजनिक निस्तार हेतु भूमि सुरक्षित रखा जाता है जिसमें चारागाह व गोठान सहित इमारती लकड़ी या ईँधन ,घास-बीड या चारे , श्मशान तथा कब्रिस्तान ,शिविर ,खलिहान, बाजार , खाल निकालने , खाद गड्ढों ,पाठशालाओं, खेल मैदान, उद्यानों, सडकों, गलियों ,नालियों व इसी प्रकार के अन्य लोक प्रयोजनों सहित निस्तार अधिकार के अन्य प्रयोजनों के लिये भूमि शामिल है। प्रत्येक ग्राम के निस्तार पत्रक मे गोठान व चारागाह सहित अन्य प्रयोजनों के लिये भूमि सुरक्षित रहने की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया है कि महज निस्तार पत्रक मे ही ये भूमि सुरक्षित दिखते हैं पर जमीनी हकीकत यह है कि ये भूमियाँ राजनैतिक शह प्राप्त बेजा कब्जाधारियों के भेँट चढ चुके हैं । उन्होंने तँज कसते हुयेआगे कहा है कि बेजा कब्जाधारी इतने बेखौफ हैं कि इनके भय से भूत श्मशान छोड़ भाग गये हैं। बेखौफ बेजा कब्जाधारियों द्वारा किये गये कब्जों की वजह से गाँवों के बदरंग हो जाने व ग्रामीणों के सामने भयावह निस्तारी समस्या खडा होने की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि अब तो अधिकतर ग्रामों मे शासन -प्रशासन की शह पर इन निस्तारी भूमियों मे स्वच्छता अभियान के तहत व्यक्तिगत शौचालय व प्रधानमंत्री आवास भी बन चला है । पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा चरनोई भूमि की सीमा को भी घटाते -घटाते दो प्रतिशत कर दिये जाने को किसानों के लिये दुर्भाग्यजनक ठहराते हुये उन्होंने कहा है कि निस्तार पत्रक मे सुरक्षित व पूर्व से चिन्हांकित भूमियों के चिन्हांकन की नहीं वरन् खेती व खेतिहरों के व्यापक हित मे जरूरी इनमे हुये बेजा कब्जों को तत्काल हटवाना है। उन्होंने किसान हितैषी होने का दम भरने वाले सभी राजनैतिक दलों से आग्रह किया है कि वे इस मसले पर वोटों की राजनीति छोड़ एकजुटता दिखा गोठान व चारागाह से बेजा कब्जा हटवाने की प्रतिबद्धता दिखावें और ग्रामीणों को उनका कानूनी समस्त निस्तारी भूमि वापस दिलावें ।