पीपे के नाव` के सहारे छात्राएं करती थी नाला पार, कलेक्टर से मिली बोट
कलेक्टर की पहल से छात्राओं को मिली `पीपे के नाव` से मुक्ति
रायपुर, छत्तीसगढ़ के कई वनांचलों में आज भी स्कूली छात्र-छात्राओं को स्कूल तक पहुंचने काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कहीं स्कूल पहुंचने बच्चों को नदी तैर कर पार करना पड़ता तो कहीं पीपे के नाव के सहारे भविष्य गढ़ा जाता है। लेकिन बालोद कलेक्टर किरण कौशल की पहल से एक गांव के छात्र-छात्राओं को पीपे के नाव से मुक्ति मिल गई है और अब छात्र-छात्राएं अपना भविष्य बनाने मोटर बोट का इस्तेमाल करेंगी।
डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के वनांचल ग्राम पंचायत मडिय़ाकट्टा के आश्रित ग्राम राहटा की छात्राएं कई सालों से स्वयं पीपे की नाव चलाकर डूबान क्षेत्र से नाला पार कर पढऩे हायर सेकेण्डरी स्कूल अरजपुरी जाती है। लेकिन जब कलेक्टर किरण कौशल को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने तत्काल संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सोमवार को मोटर बोट भिजवाकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्वयं सोमवार को ग्राम राहटा पहुंची।
कलेक्टर जब ग्राम राहटा पहुॅची तब कक्षा बारहवीं की शान्ति, कक्षा दसवीं की प्रीति और कक्षा आठवीं के पूनम कुमार पढऩे अरजपुरी स्कूल गए हुए थे। कलेक्टर ने छात्र-छात्राओं को वापस लाने नगर सैनिकों को मोटर बोट लेकर भेजा और उनके आने तक वहां इंतजार भी किया। स्कूल की छुट्टी के पश्चात छात्र-छात्राएं मोटर बोट में बैठकर आई। वापस आने के पश्चात छात्र-छात्राओं ने कलेक्टर को बताया कि वे पीपे की नाव से नाला पार कर स्कूल गए थे, वापस मोटर बोट में बैठकर आए हैं, जो बहुत अच्छा लगा।
साथ ही ग्रामीणों ने कलेक्टर से कहा कि उन्हें बाजार तथा किराना आदि का समान लेने ग्राम अरजपुरी पीपे की नाव से पार कर पहुंचना पड़ता है। अत: स्कूली छात्र-छात्राओं और ग्रामीणों के लिए पतवार वाली फाइबर बोट दी जाए। ग्रामीणों की मांग पर कलेक्टर ने कहा कि पन्द्रह दिवस के भीतर पतवार वाली फाइबर बोट की व्यवस्था कर दी जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि जब तक पतवार वाली फाइबर बोट नहीं आ जाती, तब तक दो नगर सैनिक प्रतिदिन छात्र-छात्राओं को लाइफ जैकेट सहित मोटर बोट से नाला पार कराएंगे।