November 23, 2024

वादा निभाने में असफल मोदी सरकार को कांग्रेस से सीख लेनी चाहिये:धनंजय सिंह

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क्या मोदी सरकार के नजर में रिजर्व बैंक का आरक्षित कोष कालाधन है? 


रायपुर, केंद्रीय मंत्री अठावले ने 15 लाख खाते में धीरे-धीरे आने की बात कही और देरी के लिये रिजर्व बैंक को जिम्मेदार ठहराया इस पर पलटवार करते हुऐ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार को कांग्रेस से सीख लेना चाहिये। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में चुनाव के समय किसानों का कर्ज माफी का बीड़ा उठाया था, जो मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के कुछ घण्टे बाद पूरा हो गया। भाजपा के नेता चुनाव में अनापशनाप वादे कर चुनाव जीत जाते है और चुनाव जीतने के बाद जनता से किये वादों को पूरा करने के बजाय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनावी जुमला बताकर जनता के साथ धोखाधड़ी करते है। कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि साढ़े चार साल पूरा कर चुके मोदी सरकार अब तक जनआकांक्षाओं को पूरा करने में असफल रही है। चुनाव में किये गये कालेधन का 15 लाख देने का वादा को पूरा करने के बजाए जनता के जेब से धीरे-धीरे महंगाई, सब्सिडी में कटौती, नोटबंदी और विभिन्न प्रकार के टैक्स के माध्यम से 15 लाख रुपया निकाल चुकी है। केंद्रीय मंत्री अठावले से पूछा औऱ कितना धीरे-धीरे खाता में 15 लाख आयेगा? जब धीरे-धीरे मोदी सरकार की बिदाई का वक्त आ रहा है। प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि क्या मोदी सरकार मानती है कि रिजर्व बैंक का आरक्षित कोष ही कालाधन है? क्या मोदी सरकार जनता से चुनाव में किये वादा को पूरा करने के लिये ही रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर हमला कर रही है? प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को नकार दिया है। पांच राज्यों में मिली बड़ी हार से घबराए भाजपा और मोदी सरकार को अब जनता की याद आने लगी है। चुनाव में किए वादों को पूरा करने में असफल मोदी सरकार अब आने वाले लोकसभा चुनाव में दिख रही करारी हार से बेचैन है। मनमानी तरीके से लागू की गई नोटबंदी कई स्लेब में लगाए जीएसटी का दुष्प्रभाव आज भी दिख रहा है। 5 राज्यों में मिली करारी हार के बाद मोदी सरकार अब जीएसटी में बदलाव, जनता के खाते में धीरे-धीरे 15 लाख आने का फिर वादा कर रही है, जो मोदी सरकार के विदाई की ओर संकेत दे रही है। केंद्रीय मंत्री अठावले से पूछा जब जनता परेशान थी तब जनता की आवाज क्यों नहीं सुनी गई? अब जनता मोदी सरकार की आवाज सुनना नहीं चाहती।

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