अमित शाह की पहचान विकास से नहीं अपराध से है:भूपेश बघेल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की पत्रकारवार्ता के बिन्दु
विकास यात्रा सरकारी है तो इसमें ग़ैर-सरकारी लोगों का शामिल होना गलत भाजपा का चुनाव चिन्ह सरकारी यात्रा में क्यों लगे : कांग्रेस
किस हैसियत से शामिल होंगे अपराधी छवि वाले सांसद अमित शाह?
पिछली बार की तरह विकास यात्रा हुई तो न्यायालय और चुनाव आयोग से शिकायत की जायेगी
हेलिकॉप्टर से हवाहवाई विकास न देखें रमन सिंह हमारे साथ जमीनी हकीकत देखने सड़क मार्ग से चलें – भूपेश बघेल
रायपुर ,मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी की विकास यात्रा का दूसरा चरण कल से फिर शुरु हो रहा है।इस विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आ रहे हैं।
इस पर कई सवाल खड़े होते हैं।एक तो यह कि अगर विकास यात्रा रमन सरकार की कथित उपलब्धि गिनाने की यात्रा है तो फिर इसमें अमित शाह किस हैसियत से बुलाए जा रहे हैं?
अमित शाह मात्र एक सांसद हैं और उनका सरकार से कोई संबंध नहीं है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने लिखित अंडरटेकिंग दी है कि सरकार विकास यात्रा के मंचों पर किसी ग़ैर सरकारी व्यक्ति को न शामिल करेगी और न विज्ञापनों में उनका नाम और फ़ोटो प्रकाशित करेगी।फिर किस हैसियत से अमित शाह विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे?? क्या यह हाईकोर्ट की अवमानना का मामला नहीं होगा?
उम्मीद करनी चाहिए कि हाईकोर्ट में सरकार के आश्वासन के बाद सभा स्थल और यात्राओं में भाजपा के चुनाव चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जाएगा।हम चुनाव आयोग को भी इस बारे में पत्र लिख रहे हैं कि वे इस पर नज़र रखें कि सरकारी पैसों से भाजपा का प्रचार न हो।रमन सिंह जी को इस बार भाजपा के नाम से ख़रीदे गए वाहनों का उपयोग अपनी तथाकथित सरकारी यात्रा में रथ की तरह नहीं करना चाहिये।अगर उन्होंने ऐसा किया तो हम इसकी शिकायत चुनाव आयोग और न्यायपालिका दोनों से करेंगे।
अमित शाह की पहचान विकास से नहीं अपराध से है
रमन सिंह की मजबूरी हो सकती है कि वे अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को झंडी दिखाने के लिए बुलाएं लेकिन अमित शाह को लेकर जो सवाल हैं उनके जवाब तो भाजपा को देने ही होंगे।एक तो वे विकास से जुड़ी सारे वादों को अमित शाह और पार्टी के दूसरे बड़े नेता जुमला बता चुके हैं।अमित शाह की पहचान दरअसल अपराध और आपराधिक षडयंत्रों की वजह से है।वे तड़ीपार किए जा चुके हैं।
सीबीआई के जज जस्टिल लोया की हत्या हुई तो वे अमित शाह के मामले की ही सुनवाई कर रहे थे और दबाव में आकर न्याय प्रक्रिया से किसी तरह का समझौता करने से इनकार कर चुके थे।
नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भी अमित शाह पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं।
एक मामला शाहजादे यानी अमित शाह के बेटे जयशाह का है. वे अभी तक नहीं बता सके हैं कि उनके बेटे की कंपनी का कारोबार 50 हज़ार से बढ़कर 80 करोड़ यानी 16 हज़ार गुना कैसे बढ़ा?
वे यह भी नहीं बता रहे हैं कि नोटबंदी के बाद गुजरात के उस ज़िला सहकारी बैंक में चार दिनों में 745 करोड़ रुपए कैसे जमा हो गए जिसके वे अध्यक्ष रह चुके हैं और अभी भी डायरेक्टर हैं?
नोटबंदी के ठीक पहले भाजपा की ओर से देश भर में ख़रीदी गई ज़मीनों के मामले में भी अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
फिर डेढ़ लाख करोड़ से ज़्यादा के राफेल महाघोटाले का जवाब भी तो अमित शाह और नरेंद्र मोदी जी को ही देना है।
जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही आपराधिक प्रवृत्ति हो तो पार्टी के भीतर गुंडातत्वों का बढ़ना स्वाभाविक हो जाता है।
छत्तीसगढ़ में एक मंत्री का भतीजा बलात्कार करता है, एक मंत्री के बेटे ज़मीन हथियाने के लिए गुंडागर्दी करते हैं, एक मंत्री की पत्नी की जगह साली परीक्षा देती है और स्थानीय निकाय का पदाधिकारी सब्ज़ी वालों का सामान लात से मारकर फेंकता हुआ दिखता है।
फर्जी मतदाताओं के सहारे चुनाव जीतने का फ़ार्मूला
यह धारणा बनाई गई कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के पास चुनाव जीतने का कोई जादुई फ़ार्मूला है लेकिन अब पता चल गया है कि कैसे फ़र्ज़ी मतदाता पैदा करके धांधलियां कर भाजपा चुनाव जीतती हैं।
छत्तीसगढ़ में ही वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव और वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बीच क़रीब आठ लाख मतदाता बढ़े तो इसकी वजह थी।
अगर इस समय छत्तीसगढ़ में दो लाख से अधिक फ़र्ज़ी मतदाता हैं तो यह भी अमित शाह का फ़ार्मूला है।
इसके अलावा अभी ईवीएम में गड़बड़ियों के आरोप हैं। ईवीएम के उपयोग का विरोध सभी विपक्षी दल कर चुके हैं।
विकास यात्रा को अटल जी नाम देना उनका एक और अपमान
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की शोक सभा में मंत्रियों द्वारा हंसी ठिठोली और मज़ाक उड़ाने के बाद अब भाजपा सरकार ने विकास यात्रा का नामकरण अटल जी के नाम पर कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह का विकास हुआ है ऐसे स्थिति में विकास यात्रा को अटल जी का नाम देना दरअसल एक महान राजनेता का एक और अपमान है।
कांग्रेस के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण स्वीकार किया था तो उनके मन में यह छत्तीसगढ़ नहीं रहा होगा जो रमन सिंह ने बनाया है।
सबसे ग़रीब, सबसे अधिक झुग्गियों वाला, सबसे कुपोषित लोगों को राज्य, जहां मुख्यमंत्री और उनके परिजन सारे भ्रष्टाचार के मामलों में ख़ुद शामिल हों, भ्रष्ट अधिकारियों की सबसे अधिक भरमार हो, ऐसा छत्तीसगढ़ का सपना तो अटल जी ने नहीं देखा होगा।
क्या अटल जी आज होते तो वे नहीं पूछते कि रमन सिंह जी ये सीएम मैडम कौन हैं जिनका नाम नान घोटाले में है।
वे अवश्य पूछते कि ये अभिषाक सिंह तो आपका बेटा अभिषेक सिंह ही निकला तो फिर विदेश में जमा कालाधन भी आपका ही हुआ न?
कमीशनखोरी बंद करने वाले रमन सिंह के बयान के बाद भी क्या अटल जी नरेंद्र मोदी की तरह चुप रह पाते?
क्या वे सरकार को ख़ुद शराब बेचने की अनुमति देते?
अटल जी ने आज छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां देखकर राजधर्म के पालन का निर्देश रमन सिंह को अवश्य देते।
ये कैसा विकास है?
विकास यात्रा के पहले चरण और दूसरे चरण के बीच विकास की जितनी कलई खुली है, उसके बाद तो क़ायदे से रमन सिंह जी को दूसरे चरण को स्थगित कर देना था. लेकिन जब न नैतिकता बची हो और न राजनीतिक जवाबदेही तो फिर ऐसा ही होना था।
बस्तर से लेकर रायपुर और अंबिकापुर तक जगह जगह से अभी अभी बने पुल पुलिया और एनीकट बहने की ख़बरें आ रही है।
हर दिन अख़बारों में ख़बरें छप रही हैं कि किस तरह से बच्चे और शिक्षक जान जोखिम में डालकर नदी नाला पार करके स्कूल जा रहे हैं।
जिन सड़कों को रमन सिंह विकास का प्रतीक बताते थे वही अब रमन सिंह की कमीशनखोरी की कलई खोल रहे है।
रायपुर से लेकर बस्तर, बिलासपुर और अंबिकापुर तक सड़कों की हालत देखकर कोई यक़ीन नहीं कर सकता कि इस राज्य का मुख्यमंत्री विकास का दावा करता है. लेकिन वे करते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग में सड़कों की खस्ता हालत के कारण 20-20 किलोमीटर का जाम लग रहा है।
स्मार्ट सिटी के नाम पर सैकड़ों करोड़ बर्बाद कर दिए गए लेकिन सच यह है कि डेंगू से 36 लोगों की मौतें हो चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्री ज़िम्मेदारी लेने की जगह कभी अधिकारियों को, कभी डॉक्टरों को, कभी अस्पतालों को तो कभी मरने वाले लोगों को ही दोषी ठहरा रहे हैं।
यह विकास नहीं असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्री को हटाने की जगह विकास यात्रा निकाल रहे हैं।
एक बार हमारे साथ चलिए ना विकास देखने
हम अपना पुराना निमंत्रण दोहरा रहे हैं और इस बार रमन सिंह के साथ अमित शाह को भी आमंत्रित कर रहे हैं कि वे एक बार सड़क मार्ग से विकास देखने हमारे साथ चलें।
समय, जगह और मार्ग वे ख़ुद चुन लें और हम साथ चल पड़ेंगे।
हेलिकॉप्टर से उड़ उड़कर विकास विकास चिल्लाने से विकास नहीं आता, यह बात रमन सिंह को चुनाव के बाद समझ में आएगी।प्रेसवार्ता में वरिष्ठ नेता राजेन्द्र तिवारी, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, प्रदेश महामंत्री राजेश तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता एम.ए. इकबाल, प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, विकास तिवारी उपस्थित थे।