November 26, 2024

​​​​​​​मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक

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धान और मक्का खरीदी एक नवम्बर से शुरू करने का निर्णय

अटल जी के नाम पर होगा बिलासपुर विश्वविद्यालय का नामकरण: अध्यादेश का अनुमोदन

इमारती लकड़ी, अन्य काष्ठ तथा बांस विक्रय पर

तीन प्रतिशत ‘वन विकास उपकर’ समाप्त करने अध्यादेश अनुमोदित

रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक के बाद खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने केबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।

श्री मोहले ने बताया कि बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 के लिए समर्थन मूल्य पर किसानों से धान एवं मक्का खरीदी तथा उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग की नीति तय की गई। इस संबंध में मंत्रिमण्डलीय उप समिति की अनुशंसाओं का अनुमोदन किया गया। भारत सरकार द्वारा इस वर्ष 2018-19 के लिए औसत अच्छे किस्म के कॉमन धान के लिए 1750 रूपए और ए-ग्रेड धान के लिए 1770 रूपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया गया है। मक्के के लिए 1700 रूपए प्रति क्ंिवंटल समर्थन मूल्य होगा।

श्री मोहले ने बताया कि मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार सहकारी समितियों के उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी नगद और लिंकिंग में एक नवम्बर 2018 से शुरू की जाएगी और 31 जनवरी 2019 तक चलेगी। मक्के की खरीदी लिकिंग सहित एक नवम्बर 2018 से 31 मई 2019 तक होगी। धान खरीदी की अधिकतम सीमा लिकिंग सहित 15 क्विंटल प्रति एकड़ और मक्का खरीदी की अधिकतम सीमा लिंिकंग सहित 10 क्विंटल प्रति एकड़ तय की गई है। श्री मोहले ने बताया कि पिछले वर्ष धान और मक्के की खरीदी 15 नवम्बर 2017 से शुरू की गई थी। इस वर्ष 15 दिन पहले एक नवम्बर से खरीदी शुरू की जा रही है। धान उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन किया जा रहा है। पिछले वर्ष मक्के की अच्छी आवक हुई थी। इसे ध्यान में रखकर इस वर्ष पहली बार मक्का किसानों का भी पंजीयन करने का निर्णय लिया गया। धान खरीदी की तरह ही मक्का खरीदी का भुगतान सीधे उनके खाते में डिजिटल तरीके से किया जाएगा। धान की कस्टम मिलिंग के संबंध में उन्होंने बताया कि विगत खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 में भारत सरकार द्वारा अरवा कस्टम मिलिंग हेतु 10 रूपए प्रति क्विंटल तथा उसना कस्टम मिलिंग हेतु 20 रूपए प्रति क्विंटल की दर निर्धारित की गई थी। मंत्रिपरिषद ने आज यह भी निर्णय लिया कि मिलरों को खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में विगत वर्ष 2017-18 की तरह अरवा एवं उसना मिलिंग हेतु भारत सरकार द्वारा निर्धारित मिलिंग दर के अतिरिक्त मिलिंग चार्जेसध्प्रोत्साहन राशि दी जाए।

बिलासपुर विश्वविद्यालय के नामकरण के लिए अध्यादेश का अनुमोदन

श्री मोहले ने बताया कि मंत्रिपरिषद की बैठक में बिलासपुर विश्वविद्यालय का नामकरण अटलबिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय करने के लिए छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश 2018 का अनुमोदन किया गया। मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ कराधान (संशोधन) अध्यादेश 2018 का अनुमोदन किया गया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा एक जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अन्तर्गत केन्द्रीय एवं राज्य करों को समाहित करने हुए करों में एकरूपता लाई गई है। इसके अन्तर्गत इमारती लकड़ी एवं अन्य काष्ठ तथा बांस विक्रय पर अधिरोपित 3 प्रतिशत ’वन विकास उपकर’ को समाप्त करने के लिए आज की बैठक में अध्यादेश के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इससे राज्य में व्यापार व्यवसाय को एवं अंतर्राज्यीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।

दिवंगत आईजी श्री मरावी के पुत्र को अनुकम्पा नियुक्ति

श्री मोहले ने बताया कि सरगुजा के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक श्री बी.एस. मरावी नक्सल मुठभेड़ में वर्ष 2008 में घायल हो गए थे और वर्ष 2012 में सेवा में रहते हुए उनका निधन हो गया था। मंत्रिपरिषद की आज की बैठक में उनके सुपुत्र श्री शिखर मरावी को खाद्य निरीक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया।

पुलिस निरीक्षक श्री अजीत ओगरे को आऊट ऑफ टर्न प्रमोशन

खाद्य मंत्री श्री मोहले ने बताया कि पुलिस निरीक्षक श्री अजीत ओगरे द्वारा जिला राजनांदगांव जिले में नक्सल विरोधी अभियान में 53 बार सफल फायरिंग की गयी और 83 बार सामुदायिक पुलिसिंग के जरिए नक्सलियों का आत्मसमर्पण करवाया गया था। वर्ष 2004 बैच के पुलिस निरीक्षक श्री ओगरे को इसके लिए आउट ऑफ टर्न उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नति देने का निर्णय लिया गया।

शहीद पुलिस उप निरीक्षक की धर्मपत्नी को अनुकम्पा नियुक्ति

इसी कड़ी में नारायणपुर जिले के ईरपानार में 24 जनवरी 2018 को नक्सल मुठभेड़ में शहीद पुलिस उप निरीक्षक श्री विनोद कौशिक की पत्नी श्रीमती जयश्री कौशिक को पुलिस उपनिरीक्षक (अ) के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी जाएगी।

निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होगी साधारण मामलों की वापसी

श्री मोहले ने बताया कि साधारण प्रकृति के मामलों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार न्यायालयों से वापस लिए जाने के लिए गृह विभाग द्वारा मंत्रालय (महानदी भवन) से सभी दण्डाधिकारियों को इस महीने की 23 तारीख को विस्तृत परिपत्र में दिशा-निर्देशों जारी कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में केबिनेट की आज की बैठक में इन निर्देशों का कार्योत्तर अनुमोदन किया गया।

प्रकरणों पर विचार के लिए हर जिले में

जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित

उल्लेखनीय है कि गृह विभाग के 23 जुलाई के परिपत्र के अनुसार 31 दिसम्बर 2017 तक की स्थिति में विचाराधीन प्रकरणों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार जनहित में वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी। राज्य शासन द्वारा इसके लिए हर जिले में जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन भी किया गया है। इन समितियों में संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक सदस्य होंगे। उप संचालक अथवा प्रभारी उप संचालक (अभियोजन) सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे। समिति के विचारार्थ जिला अभियोजन अधिकारी जिले के विभिन्न न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की सूची आवश्यक जानकारी सहित एकत्रित कर प्रस्तुत करेंगे।

परिपत्र में बताया गया है कि समिति द्वारा प्रत्येक प्रकरण पर विचार कर अपनी अनुशंसा के साथ प्रकरण जिले के प्रभारी मंत्री के समक्ष निर्णय के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद जिला दण्डाधिकारी प्रकरण वापस लेने के लिए आदेश देंगे। आदेश के आधार पर संबंधित अभियोजन अधिकारी द्वारा प्रकरण वापसी के लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। परिपत्र में बताया गया है कि जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति जिन प्रकरणों का परीक्षण करेगी, उनमें भारतीय दण्ड विधान की धारा 294, 323, 279, 336, 341, 342, 337, 447, 448 और 506 के प्रकरण शामिल होंगे। ऐसे प्रकरणों के अलावा छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम के अंतर्गत धारा 34 (ए) से संबंधित ऐसे मामले जिनमें जप्त की गई वस्तुओं की मात्रा पांच लीटर से कम हो और धारा 36 के तहत आने वाले प्रकरणों पर भी समिति द्वारा विचार किया जाएगा। छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 के तहत आदिवासी उपयोजना क्षेत्रोंध्अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों का भी समिति द्वारा परीक्षण किया जाएगा।

मोटर व्हीकल एक्ट में परमिट उल्लंघन और

टैक्स चोरी के मामले वापस नहीं लिए जाएंगे

परिपत्र के अनुसार समिति द्वारा मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत परमिट के उल्लंघन और टैक्स चोरी से संबंधित प्रकरणों पर विचार नहीं किया जाएगा, लेकिन सवारी वाहनों और निजी वाहनों में ओव्हर लोडिंग के मामलों पर समिति विचार कर सकेगी। जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति पुलिस एक्ट के प्रकरणों, सार्वजनिक द्यूत अधिनियम की धारा 13 के प्रकरणों और अन्य ऐसे समस्त अपराध जिनमें छह महीने तक के कारावास और या पांच हजार रूपए तक के अर्थदण्ड का प्रावधान है, उन पर भी विचार कर सकेगी। आयुध अधिनियम की धारा 25 (एक) (बी) (बी) के ऐसे प्रकरणों में जिनमें चाकू या छुरी आदि गैर-आग्नेय अस्त्र जप्त हुए हों और अधिकतम तीन वर्ष के कारावास तथा जुर्माने से दण्डित होने वाले अपराध के मामलों पर भी समिति द्वारा विचार किया जा सकेगा।

परिपत्र में यह भी जानकारी दी गई है कि जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार कार्य करेगी – ऐसे साधारण प्रकृति के मामलों पर प्राथमिकता से विचार किया जाएगा, जिनमें अभियोजन पक्ष के गवाह पक्ष विरोधी करार दिए जा चुके हों अथवा अन्य किसी कारण से लोक अभियोजक की राय में न्यायालय में प्रकरण की सफलता की आशा ना हो। प्रत्येक प्रकरण पर विचार के बाद समिति अनुशंसा करते समय स्पष्ट राय का उल्लेख करेगी और किन कारणों से प्रकरण वापसी योग्य पाया गया है, उसका भी उल्लेख समिति द्वारा किया जाएगा। साधारण किस्म के वापसी योग्य प्रकरणों में जो अभियुक्त आदातन अपराधी की क्षेणी में आते हैं, उनके मामलों पर यदि जिला स्तरीय समिति अनुशंसा कर निर्णय लेती है तो ऐसे प्रकरण न्यायालय से वापसी के बारे में विचार के लिए राज्य शासन को भेजे जाएंगे। प्रकरणों की वापसी की अनुशंसा करते समय जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति की यह जिम्मेदारी होगी की वह सुनिश्चित कर ले कि प्रकरण वापसी के फलस्वरूप राज्य शासन पर विद्वेष पूर्ण अभियोजन का प्रकरण ना बनता हो।

जिला स्तरीय समितियों की कार्य प्रणाली के लिए

विधि विभाग जारी करेगा विस्तृत दिशा-निर्देश

जिला स्तरीय समितियों की कार्य प्रणाली के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश विधि और विधायी कार्य विभाग द्वारा अलग से प्रसारित किए जाएंगे। जिला स्तरीय समितियों द्वारा प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को बैठक आयोजित कर प्रकरणों के वापसी के संबंध विचार किया जाएगा। सभी जिला दण्डाधिकारी प्रकरणों की वापसी की प्रगति के बारे में सप्ताहिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में प्रत्येक बुधवार को संचालक लोक अभियोजन, छत्तीसगढ़ रायपुर को भेजेंगे। संचालक लोक अभियोजन द्वारा जिलों से प्राप्त रिपोर्ट संकलित कर एग्जाई जानकारी तैयार करेंगे और प्रत्येक गुरूवार को मंत्रालय में गृह विभाग को अनिवार्य रूप से भेजेंगे।

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