ई-रिक्शा का हैण्डल थामकर जीवन की गाड़ी चला रही है मुनिया, निर्मला एवं मंजू
बेमेतरा ई-रिक्शा चलाकर पुरूषों का वर्चस्व तोड़ने में कामयाब रही है, बेमेतरा की मुनिया, निर्मला, मंजू एवं प्रेमीन। इनका सपना साकार हुआ मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना से। श्रम विभाग द्वारा संचालित इस योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को 50 हजार रूपए तक अनुदान दिया जाता है। संसाधनों के अभाव में भी खुद को स्थापित करने का जज्बा रखने वालों को अंततः सफलता मिलती ही है, चाहे मार्ग में कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं। जरूरत है अपने अंदर छिपे हुनर को तराशकर उसे उपयोग में लाने की। बेमेतरा विकासखण्ड के ग्राम सिंघौरी में रहने वाली श्रीमती मुनिया साहू पर यह बात बिलकुल सटीक बैठती है। समाज की परम्पराओं और वर्जनाओं को तोड़कर तमाम नकारात्मक दायरों से बाहर आकर दोनों हाथों में ई-रिक्शा का हैण्डल थामे यात्रियों को लाने-ले जाने में उन्हीं की तरह निर्मला भी अपनी भूमिका निभा रही हैं, साथ ही परिवार के भरण-पोषण में अपने पति के साथ बराबर की सहभागी बन रही हैं। निर्मला वर्मा गुनरबोड़ में निवास करती है।
बेमेतरा के ग्राम सिंघौरी की श्रीमती मुनिया साहू पति स्व. जगदीश साहू उम्र (38 वर्ष) मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करती थी। मुनिया ने बताया कि आज से 5-6 वर्ष पूर्व कैंसर ने उनके पति की जिंदगी छीन ली, ऐसे में उनके समक्ष दुखों का पहाड़ आ पड़ा। मुनिया ने हिम्मत से काम लेते हुए बच्चों के लालन-पालन हेतु ई-रिक्शा चलाना सीखा, आज वह प्रतिदिन 400 से 500 रूपए तक कमाई कर लेती है। उनके परिवार में तीन बच्चांे के अलावा सास भी है। मुनिया की तरह निर्मला, मंजू एवं प्रेमीन साहू को जिला मुख्यालय बेमेतरा में विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा जून माह के प्रथम सप्ताह में ई-रिक्शा की चाबी प्रदान की गई थी। इनमें से मंजू साहू गंजपारा वार्ड बेमेतरा को संबलपुर में आयोजित विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा चॉबी सौंपी गई थी। चारों बहनें आज ई-रिक्शा पाकर खुश है, सरकार से मिली इस योजना के लिए हृदय से धन्यवाद देना नहीं भुलती। हम जैसी गरीब बहनों के लिए यह योजना हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।