November 23, 2024

1 वर्ष बाद भी नही मिली राशि, आदिवासी विकास विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा गजपति बंजारे, मामला अंतरजातीय विवाह में मिलने वाली राशि का.

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भानु प्रताप साहू- 9425891644
*बलौदाबाजार*। प्रदेश सरकार समाज मे जाती भेदभाव को समान नजरिया से रखने, सामाजिक समरसता लाने व अस्पृश्ययता को दूर करने अंतरजातीय विवाह के एवज में नव विवाहित जोड़े को वर्तमान समय में 2 लाख 50 हजार की राशि दे रही है। लेकिन यह राशि जब 1 वर्ष बाद भी विवाहित दंपति को न मिले तब आप शासन में बैठे अधिकारियों को कोसेंगे जरूर। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहाँ पीड़ित मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर विकासखंड बिलाईगढ़ की ग्राम-भिनोधा से आकर कई बार आदिवासी विभाग में बैठे अधिकारियों तक पहुंचा लेकिन उसकी फरियाद किसी ने नही सुनी बस प्रक्रिया में है कहकर सभी ने अपना पल्ला झाड़ लिया। जिससे परेशान होकर पीड़ित ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, आयुक्त, अवर सचिव, जिलाधिकारी सहित अन्य जिम्मेदारों को आदिवासी विभाग में बैठे अधिकारियों द्वारा की जा रही लापरवाही की लिखित शिकायत के साथ कार्रवाई करने का गुहार लगाया लेकिन किसी भी वरिष्ठ अधिकारियों के कान में जु तक नही रेंगा। जिससे अब पीड़ित दंपति सरकार की योजना को कोस रहा है। पीड़ित गजपति ने आरोप लगाया कि विभाग में पदस्थ बाबू की लापरवाही के कारण उसकी राशि अभी तक नही मिली।यहाँ सोचनीय बात यह है कि 1 वर्ष से अपने हक की राशि पाने पीड़ित गजपति कब तक 90 किलोमीटर पार कर मुख्यालय पहुँचेगा।
*यह है मामला*
जुलाई 2017 में पीड़ित गजपति बंजारे और उसका भाई हरविलास बंजारे ने अंतरजातीय किया था अंतरजातीय विवाह बावत 50000 रुपये की राशि मिलने की जानकारी जब दंपति को लगी तो उन्होंने आदिवासी विकास विभाग, बलौदाबाजार में पूरे दस्तावेज के साथ आवेदन किया। कुछ माह पश्चात गजपति बंजारे के भाई हरविलास बंजारे को शासन से मिलने वाली राशि तो मिल गयी लेकिन गजपति को विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है पीड़ित ने बताया कि उसके द्वारा दी गयी खाता नम्बर को विभाग में बैठे बाबू द्वारा जल्दीबाजी में गलत दर्शा कर भुगतान के लिये कोषालय विभाग भेज दिया गया जिसके कारण आज तक मुझे राशि नही मिल पाया।
*यह है मापदंड*
अंतरजातीय विवाह के लिय शासन की ओर से जो मापदंड तय किया गया है उसमें विवाह आयोजन में एक पक्ष का अनुसूचित जाति का होना आवश्यक है एवं जाती प्रमाण पत्र का प्रमाणन समर्थ अधिकारी के माध्यम से होना अनिवार्य है इसके अलावा विवाह पंजीकृत आयोजन जरूरी है सबसे बड़ी शर्त यह है कि दो पक्ष में एक को सवर्ण अथवा पिछड़ी जाति का होना अनिवार्य है।
*अधिकारी भी बेपरवाह*
पीड़ित गजपति बंजारे ने अंतरजातीय विवाह की राशि नही मिलने पर लिखित तौर पर विभाग के अवर सचिव, आयुक्त, कलेक्टर और विधायक सनम जांगड़े सभी को लिखित में अवगत कराया लेकिन किसी भी अधिकारी ने कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। जिससे आज अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते पीड़ित गजपति शासन की योजना पर सवाल खड़ा कर दिया है।
*शासन की योजना में लेटलतीफी*
एक तरफ शासन समाज मे अंतरजातीय अपृश्यता का उन्मूलन कर उच्च-नीच और छुआ-छूत के विचारों को त्याग कर इन विचारों से ओत-प्रोत सवर्ण युवक अथवा अनुसूचित युवती या युवक से विवाह करने पर दम्पत्तियों को पुरस्कृत एवं सम्मानित कर रही वही दुसरी ओर विभाग में अंगद की पांव की भांति बैठे अधिकारी और सम्बंधित शाखा के बाबू की लापरवाही के कारण योजना खटाई में पढ़ती नजर आ रही है तभी तो कई बार आवेदन की पूरी प्रक्रिया करने पर भी पीड़ित गजपति आज भी विभाग की ठोकरें खाने पर विवस है।
इनका कहना है।…
हमारे द्वारा 3 जुलाई को कोषालय विभाग भेज दिया गया है लेकिन अभी तक भुगतान क्यों नही हुआ इसकी जानकारी कोषालय विभाग देगा।
ए. सी. वर्मन
*सहायक आयुक्त*
*आदिवासी विकास विभाग, बलौदाबाजार*
मैं बीते 1 वर्ष से अंतरजातीय विवाह में मिलने वाली राशि से वंचित हूँ क्योंकि विभाग की लापरवाही के कारण मुझे अभी तक राशि नही मिल पाया है।
*गजपति बंजारे*
*पीड़ित*

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