‘कांग्रेस मुक्त भारत’ राजनीतिक नारा है, यह RSS की भाषा नहीं है : मोहन भागवत
पुणे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को संघ के समावेशी चरित्र का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा महज एक राजनीतिक नारा है और यह संघ की भाषा बिल्कुल नहीं है।
1983 बैच के आइआरएस अधिकारी और विदेश मंत्रालय में सचिव (काउंसलर, पासपोर्ट, वीजा और ओवरसीज इंडियन अफेयर्स) दयानेश्वर मुले की छह किताबों के विमोचन अवसर पर संघ प्रमुख ने कहा कि ‘मुक्त’ शब्द का इस्तेमाल राजनीति में किया जाता है। संघ कभी भी किसी को छोड़ने की भाषा का इस्तेमाल नहीं करता।
संघ देश निर्माण की प्रक्रिया में सभी को शामिल करना चाहता है और इनमें वे भी शामिल हैं जो संघ का विरोध करते हैं। मालूम हो कि फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि वह महात्मा गांधी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के सपने को साकार करना चाहते हैं। उन्होंने देश की इस सबसे पुरानी पार्टी पर सत्ता में रहते हुए देश के विकास की कीमत पर गांधी परिवारी की स्तुति करने का आरोप भी लगाया था।
बदलाव लाने के लिए सकारात्मक विचारधारा पर बल देते हुए भागवत ने कहा कि नकारात्मक विचारधारा वाले लोग सिर्फ संघर्ष और विभाजन के बारे में ही सोच सकते हैं। ऐसे लोग देश निर्माण की प्रक्रिया के लिए कतई उपयोगी नहीं हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि अगर किसी को खुद पर, अपने परिवार पर और देश पर भरोसा है, वही व्यक्ति देश निर्माण की समावेशी प्रक्रिया की दिशा में कार्य कर सकता है।