रोहिंग्या मामले पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- सीमाओं की सुरक्षा हमारा काम, न दें निर्देश

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा अनिवार्य तौर पर ‘कार्यपालिका का काम’ है। केंद्र ने आग्रह किया कि वह (SC) केंद्र और राज्य सरकारों को विदेशियों को गैरकानूनी तरीके से प्रवेश देने का निर्देश नहीं दे। 2 रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान गृह मंत्रालय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कानून के अनुसार सीमाओं की सुरक्षा की जा रही है और व्यापक ‘राष्ट्र हित’ में मानवाधिकारों का भी पालन हो रहा है।

दरअसल, याचिका में सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा शरणार्थियों को प्रवेश से रोकने के लिए कथित तौर पर ‘मिर्ची और स्टन ग्रेनेड्स’ के इस्तेमाल से रोकने का आग्रह किया गया है। मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया, ‘कानून के अनुसार किसी भी संप्रभु देश की सीमाओं की सुरक्षा अनिवार्य तौर पर कार्यपालिका का कार्य है और इस कोर्ट को विदेशियों के भारत की सीमा में घुसने को लेकर केंद्र के साथ-साथ साझा सीमावाले राज्यों की सरकारों को रिट निर्देश नहीं देना चाहिए।’

गृह मंत्रालय ने शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए मिर्च और स्टन ग्रेनेड्स के इस्तेमाल से जुड़े आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह ‘झूठा, गलत और सत्य से परे है।’ मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भारत घुसपैठ की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है क्योंकि दूसरे देशों के साथ हमारी सीमाएं पूरी तरह से बंद नहीं हैं और आतंकवाद बढ़ने का यह मुख्य कारण है।

केंद्र के हलफनामे में कहा गया, ‘हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा संभाल रहीं सभी एजेंसियां कानून के तहत और राष्ट्र हित में मानवाधिकारों का पालन करते हुए अपना काम कर रही हैं।’ गौरतलब है कि 2 रोहिंग्या शरणार्थियों ने भारत में प्रवेश की अनुमति के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ शरणार्थी ID कार्ड्स की भी मांग की है। केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया था कि रोहिंग्या मुसलमानों के साथ श्री लंका के तमिल शरणार्थियों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए। केंद्र ने कहा कि यह तुलना ठीक नहीं है।

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