भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने मेरी मानहानि की हैः विनोद वर्मा
भाजपा के दो प्रदेश प्रवक्ता भी इसमें शामिल हैं
जानबूझकर बदनाम करने का षडयंत्र है, माफ़ी मांगें या मुक़दमा झेलें
रायपुर राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने कहा कि
महादेव ऐप की जांच का काम छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुरु किया।
अब तक 72 मामले दर्ज किए गए हैं और 449 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
191 लैपटॉप, 865 मोबाइल फ़ोन और डेढ़ करोड़ से अधिक की संपत्ति और 16 करोड़ रुपए बैंक खातों में ज़ब्त किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में दर्ज मामलों के आधार पर ही प्रत्यावर्तन निदेशालय यानी ईडी ने जांच शुरु की।
रायपुर पुलिस के साइबर सेल ने 12 अक्टूबर 2022 को गूगल को एक पत्र लिखकर कहा था कि महादेव ऐप गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध है, चूंकि भारत में जुआ खेलना अपराध है और इस ऐप के माध्यम से जुआ खिलवाया जा रहा है, इस ऐप को बंद कर दिया जाए और इस ऐप को बनाने और चलाने वालों के नाम पुलिस को बताए जाएं।
इस पत्र के बाद गूगल ने महादेव ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने ही जांच के बाद पाया कि महादेव ऐप के संचालक रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर हैं। इसके बाद पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया।
इसके बाद से लगातार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी लगातार कह रहे हैं कि इन अपराधियों को केंद्र सरकार गिरफ़्तार करे क्योंकि वे इस देश में नहीं रहते और छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता कि वे किसी अपराधी को किसी दूसरे देश से गिरफ़्तार करके लाएं।
महादेव ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उन्होंने बार बार की।
उन्होंने आशंका ज़ाहिर की थी कि ऐप पर रोक इसलिए नहीं लग रही है कि क्योंकि भाजपा के लोगों से संचालकों की सांठगांठ हो गई है।
आखिरकार तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने महादेव ऐप को बंद करने का दावा किया। लेकिन दिलचस्प और हैरान करने वाली बात यह है कि उसी शाम एक समाचार चैनल ने दिखा दिया कि रोक लगाने की बात बेकार है क्योंकि ऐप तो बाक़ायदा चल रहा है और सट्टेबाज़ी का खेल निर्बाध रूप से जारी है।
स्पष्ट है कि यह शायद केंद्र की मोदी सरकार के बूते की बात ही नहीं है कि वह महादेव ऐप को रोक सके। या वह चाहती ही नहीं कि इस पर रोक लगे।
क्योंकि केंद्र की सरकार तो सट्टेबाज़ी पर जीएसटी लगाकर कमाई करने में लगी है।
ईडी की जांच की राजनीति
अब तक भारतीय जनता पार्टी धर्म को राजनीति से जोड़ती आई थी लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भाजपा ने अपराध को भी राजनीति से जोड़ दिया है।
केंद्र में गृहमंत्री के पद पर अमित शाह जी के बैठने के बाद यह प्रक्रिया और भी तेज़ हो गई है।
साथ में बढ़ा है केंद्रीय जांच एजेंसियों का राजनीतिक कारणों से दुरुपयोग करने का।
कहने को तो ईडी महादेव ऐप के ज़रिए हुई मनीलांड्रिंग की जांच कर रही है पर अब तक के घटनाक्रम से स्पष्ट है कि दरअसल ईडी इस जांच के बहाने कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही प्रताड़ित कर रही है और भरपूर कोशिश कर रही है कि किसी तरह इसके तार माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सहयोगियों को लपेटा जा सके।
जब मेरे घर पर, मुख्यमंत्री के दो ओएसडी आशीष वर्मा जी और मनीष बंछोर जी के घर छापा मारने और बयान दर्ज करने के बाद कुछ न मिला तो वे विजय भाटिया के घर छापा मारने पहुंच गए। भाटिया जी के यहां छापा मारने और बयान लेते वक़्त तो उन्होंने अमानवीय बर्ताव भी किया। पर उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो उन्होंने ऐन चुनाव के वक़्त एक नया षडयंत्र रचा है।
तीन नवंबर को उन्होंने एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया। उसकी कार और घर से करोड़ों रुपए बरामद किए और फिर उसका कथित बयान सामने आया कि उसे ये रुपए किसी राजनीतिक बघेल को पहुंचाने को कहा गया था।
उसके कथित बयान के आधार पर ही ईडी ने कह किया कि वह बघेल और कोई नहीं बल्कि राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और उन्हें 508 करोड़ रुपए पहुंचाए गए हैं.
अपने मीडिया रिलीज़ में ईडी ने उसी गिरफ़्तार व्यक्ति के कथित बयान के हवाले से कहा कि यह पैसे महादेव ऐप के मैनेजर शुभम सोनी नाम के व्यक्ति के ज़रिए पहुंचे हैं.
हालांकि वे चतुराई से यह भी कह दिया है कि यह सब अभी जांच का विषय है.
बहुत से लोगों ने उस दिन पहली बार शुभम सोनी का नाम सुना क्योंकि इस शुभम सोनी का नाम ईडी की महीनों की जांच के बाद चार्जशीट में भी नहीं है. तो क्या ईडी की अब तक की जांच सिरे से ग़लत थी?
इसके दो दिन बाद मीडिया में एक वीडियो अवतरित हुआ. देश के सभी प्रमुख चैनलों ने इसे ग़ैर ज़िम्मेदाराना ढंग से प्रसारित किया. स्पष्ट रूप से काट छांट कर जारी किए गए इस वीडियों में शुभम सोनी नाम का व्यक्ति यह कहता है कि उसे किसी ‘वर्मा जी’ ने उसे मुख्यमंत्री से मिलवाया.
वह इस ‘वर्माजी’का नाम बार बार लेता है.
वह दावा करता है कि वह ख़ुद महादेव ऐप का मालिक है और अब तक जिस रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर को ईडी महादेव ऐप का मालिक बता रही थी वे उसके नौकर हैं.
इससे किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि वीडियो जारी होते ही भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में ज़रा भी देर नहीं की.
आनन फ़ानन में इसे सोशल मीडिया पर डालकर सवाल पूछे जाने लगे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को अपराधी बनाकर पेश कर दिया.
पर भाजपा का चारित्रिक पतन यहीं पर नहीं ठहरता.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रायपुर में भाजपा कार्यालय में एक पत्रवार्ता बुलाई और इस वीडियो पर टिप्पणियां कीं.
उनके साथ भाजपा के प्रदेश प्रवक्तागण केदार गुप्ता और अनुराग अग्रवाल भी इस पत्रवार्ता में शामिल थे.
श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बिना हिचक, बिना संकोच और बिना शर्म कह दिया कि शुभम सोनी ने जिस ‘वर्मा जी’ का नाम बार बार लिया वह और कोई नहीं बल्कि विनोद वर्मा है यानी मैं.
उन्होंने विनोद वर्मा का नाम लेने के बाद जिस तरह से विवरण दिए उसमें संदेह नहीं है कि वह मेरा ही ज़िक्र कर रहे थे.
मानहानि
छत्तीसगढ़ में लाखों वर्मा होंगे. इनमें से हज़ारों लोगों को वर्मा जी के नाम से पुकारा जाता होगा.
तो भाजपा के राष्ट्रीय व प्रदेश प्रवक्ता किस आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे कि वह वर्मा जी और कोई नहीं विनोद वर्मा था?
मैं न किसी शुभम सोनी को जानता हूं और न कभी उससे मिला हूं.
मेरा नाम प्रवक्ता गणों की ओर से जानबूझकर व अवैधानिक ढंग से लिया गया है.
यह मुझे बदनाम करने की सोच समझ कर चली गई एक कुत्सित राजनीतिक चाल है.
उन्हें बताना ही होगा कि वे इस नतीजे पर कैसे पहुंचे कि ख़ुद को महादेव ऐप का मालिक बताने वाला शुभम सोनी जिस वर्मा जी का नाम ले रहा था वह मैं ही हूं.
मैंने प्रवक्ता गणों की इन करतूतों को गंभीरता से लिया है और कल यानी 8 नवंबर 2023 को मेरे वकील की ओर से श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, केदार गुप्ता और अनुराग अग्रवाल को नोटिस भेज दी गई है.
अगर वे अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त नहीं करते और अपना बयान वापस नहीं लेते तो मैं इन तीनों भाजपा प्रवक्ताओं के ख़लिफ़ मानहानि का मुक़दमा भी दर्ज करूंगा.
सवाल
ईडी ने अब तक इस मामले में जिस तरह की कार्रवाई की है उससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.
एक अनजान व्यक्ति के बयान पर ईडी ने प्रेस नोट जारी कर दिया कि वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को पैसे पहुंचाता था.
अभी इस बात की जांच बाक़ी है कि इस बयान का सच क्या है.
लेकिन ईडी ने भाजपा को चुनावी हथियार दे दिया है.
और ईडी ने इस बारे में अभी कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया है कि रवि उप्पल के भाई राहुल उप्पल की फ़ोटो भाजपा के जिन नेताओं से साथ दिखी है उनके बारे में वह क्या करने जा रही है.
वह यह भी नहीं बता रही है कि महादेव ऐप के मालिकों में से एक सौरभ चंद्राकर की फ़ोटो जिस भाजपा नेता के साथ मिली है उसके बारे में वह क्या कर रही है.
अभी यह भी जानना बचा है कि जिस कार में वह पैसा मिला, उसके मालिक के संबंध में वह क्या कार्रवाई करने जा रही है जो कथित तौर पर एक भाजपा नेता का भाई है.
जिस व्यक्ति से करोड़ों की रकम बरामद हुई उसकी फ़ोटो भी भाजपा के एक बड़े नेता के साथ है, तो उनसे भी क्या पूछताछ होगी?
इन सवालों के जवाब अभी नहीं मिलेंगे क्योंकि चुनाव का समय है और भाजपा के ऐम्बेडेड डिटेक्टिव्स यानी ईडी अभी अपने आकाओं के खिलाफ़ कार्रवाई तो दूर सोच तक नहीं सकती।