इस चुनाव में भाजपा जनता से माफीनामा जारी करें – दीपक बैज
रायपुर/12 अक्टूबर 2023। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि इस चुनाव में भाजपा जनता से माफीनामा जारी करें। भाजपा को इस बात का प्रायश्चित करना चाहिये जनता ने उन्हें तीन बार घोषणा पत्र बनाने का मौका दिया था उस घोषणा पत्र के वायदो को पूरा करने के लिये तीन बार सरकार चलाने का अवसर दिया था लेकिन भाजपा वायदा करके वो मुकर गयी। 2003 के घोषणा पत्र में वायदा किया था कि हर आदिवासी परिवार को गाय देने का, हर आदिवासी परिवार से एक को सरकारी नौकरी देने का, युवाओं को 500 रू. बेरोजगारी भत्ता देने का, 2008 में वायदा किया किसानों को धान का 300 रू. बोनस देने का, 2013 में वायदा किया था धान की कीमत 2100 रू. देंगे और 300 रू. बोनस कुल 2400 रू. प्रति क्विंटल धान खरीदी करने का कोई भी वायदा पूरा नहीं किया। एक बार फिर से जनता को ठगने के लिये घोषणा पत्र बनाने जनता के बीच जाने की बात कर रहे है। अब जनता उनके घोषणा पत्र में क्यों भरोसा करेगी? हमने अपने घोषणा पत्र के वायदों को पूरा किया हमारे 36 में से 34 वायदें पूरा हुये। सरकार बनने के पहले घंटे से लेकर आज दिनांक तक मुख्यमंत्री अपने वायदा को पूरा कर रहे है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार में रहते 15 साल वादाखिलाफी करने वाले भाजपाई किस नैतिकता से नये वादो की बात कर रहे है? मन की बात करना और मनमानी थोपना ये भाजपा का राजनैतिक चरित्र है। सत्ता की छटपटाहट में जनता से सुझाव की बात करना भाजपा का नया जुमला है। नये-नये वादो और झूठे दावों से ठगने वाले भाजपाईयों को बताना चाहिये कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के समय किये गये वादो का क्या हुआ। 100 दिन में मंहगाई कम करने का वादा था किये उल्टा, दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर भी भारी भरकम टैक्स लगाकर मंहगाई 4 गुना कर दिये। 2 करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा था नई भर्ती तो दूर 30 करोड़ युवाओं की लगी लगाई नौकरी खा गये। केन्द्रीय विभागो में 11 लाख से अधिक पद रिक्त है, सरकारी उपक्रमों में 4 लाख से अधिक पद रिक्त है, लेकिन मोदी सरकार सरकारी उपक्रमों को बेचकर युवाओं के सरकारी नौकरी में रोजगार के अवसर को बेच रही है। नये वादों से पहले भाजपाई बतायें कि छत्तीसगढ़ में 2003, 2008 और 2013 के साथ ही केन्द्र में 2014 और 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा के द्वारा किये गये वादो का क्या हुआ?