छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात आज भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर समग्र स्वास्थ्य सूचकांकों के अनुसार
रायपुर: नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बालक-बालिका जन्म के समय लिंगानुपात के मामले में केरल के बाद छत्तीसगढ़ दूसरे नम्बर पर है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 में छत्तीसगढ़ राज्य में शिशुओं के जन्म के समय बालक-बालिका लिंगानुपात प्रति 1000 बालकों पर 972 था, जो वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार बढ़कर प्रति 1000 बालकों पर बालिकाओं की संख्या 977 हो गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले यह लिंगानुपात वर्ष 2011-2013 की स्थिति में छत्तीसगढ़ में 961 दर्ज किया गया था, जबकि केरल में यह 967 दर्ज हुआ था। इस प्रकार लिंगानुपात के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य आज भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर स्थिति में है। रिपोर्ट में समग्र स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर छत्तीसगढ़ को देश के नौ सफलतम राज्यों (एचिवर्स स्टेट््स) की सूची में पहले नम्बर पर शामिल किया गया है। अन्य राज्यों में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तेलांगना शामिल हैं। इनके अलावा केरल, पंजाब और तमिलनाडु को अग्रिम पंक्ति के राज्यों की श्रेणी में रखा गया है।
आयोग ने ‘स्वस्थ राज्य-प्रगतिशील भारत‘ शीर्षक से यह रिपोर्ट जारी की है, जिसमें आधार वर्ष 2014-15 और संदर्भ वर्ष 2015-16 लिया गया है। इस रिपोर्ट में केन्द्र सरकार के सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एस.आर.एस.), स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एच.एम.आई.एस.) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एन.एफ.एच.एस.-4) के आंकड़े लिए गए हैं। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की गई है। इसमें राज्यों का श्रेणीकरण तीन प्रमुख स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इन सूचकांकों में स्वास्थ्य सेवाओं के परिणाम, शासन प्रणाली और सूचना तंत्र तथा स्वास्थ्य सूचकांकों से संबंधित कुछ प्रमुख बिन्दु और प्रक्रिया शामिल हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ का एकीकृत सूचकांक (कम्पोजिट इंडेक्स) 48.63 से बढ़कर 52.02 तक पहंुच गया है।
इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज कहा कि- आंगनबाड़ी सेवाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में विगत 14 वर्ष में शिशु मृत्युदर प्रति 1000 में 70 से घटकर 41, मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 379 से घटकर 221 और कुपोषण की दर 52 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने कहा नीति आयोग ने ‘स्वस्थ राज्य-प्रगतिशील भारत‘ शीर्षक से जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें समग्र स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर किए गए श्रेणीकरण में छत्तीसगढ़ को देश के प्रमुख सफलतम राज्यों की श्रेणी में शामिल किया जाना हम सबके लिए प्रसन्नता का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा- इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से बहुत जल्द ‘अचिवर्स स्टेट‘ के रूप में पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग का बजट वर्ष 2003 में 341 करोड़ रूपए था, जिसे आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 14 गुना बढ़ाकर चार हजार 703 करोड़ रूपए कर दिया गया है।