संत और सनातन राष्ट्रीय एकता के पक्षधर हैं, आरएसएस के इशारे पर चुनावी यात्रा से संतो का कोई सरोकार नहीं
केवल सत्ता की हवस में नफरत, हिंसा और धार्मिक उन्माद फैलाना आरएसएस और भाजपा का मूल चरित्र है
एक तरफ मुस्लिम और ईसाई समाज के लिए भोज का आयोजन दूसरी तरफ सियासी लाभ के लिए धार्मिक यात्रा?
रायपुर 15 फरवरी 2023। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी सभी मोर्चों पर फेल हो चुकी है मोदी सरकार की वादाखिलाफी और छत्तीसगढ़ में भाजपा के विपक्ष का धर्म निभाने में नाकामी के बाद है एक बार फिर अब आर एस एस के आजमाए हुए नुस्खे “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत छत्तीसगढ़ में धार्मिक यात्रा के आयोजन की तैयारी है। आजादी की लड़ाई के समय अंग्रेजों के इशारे पर जिन्ना और सावरकर जिस भूमिका में थे, आज मोदी और ओवैसी हैं। आरएसएस के पित्र पुरुषों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल में अंतरिम सरकार बनाई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिन्ना के साथ मिलकर अंतरिम सरकार में बंगाल के उप-मुख्यमंत्री बने। उससे पहले 1934 में अंग्रेजों ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कोलकाता विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर बनाया। सांप्रदायिक आधार पर “द्विराष्ट्र सिद्धांत” की थ्योरी भी अंग्रेजों के इशारे पर सावरकर ने ही 1937 में पहली बार अहमदाबाद अधिवेशन में दी थी, जिसे अंग्रेजों के संरक्षण में जिन्ना ने आगे बढ़ाया। अंग्रेजों से लिखित माफीनामा देकर रिहा हुए सावरकर अंग्रेजी हुकूमत से भारी भरकम मासिक पेंशन प्राप्त करते रहे। भाजपा के आधार स्तंभ माने जाने वाले आडवाणी पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाकर चादर चढ़ाऐ और सियासी लाभ के लिए भारत में रथ यात्रा निकाली। आडवाणी की रथ यात्रा के बाद भड़काया गए नफरत, हिंसा और दंगों में हजारों लोग मारे गए। अब महंगाई, बेरोजगारी और देश में बढ़ती असमानता जैसे असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने आरएसएस और भाजपा अपने असल राजनैतिक टूल्स आजम रहे हैं। कौमी एकता स्थापित करने के बजाए केवल राजनीतिक लाभ के लिए वोट बटोरने अल्पसंख्यक का डर दिखाकर बहुसंख्यक का ध्रुवीकरण करने का भाजपा का कुत्सित प्रयास लगातार जारी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 1990-92 में राम मंदिर के लिए एकत्रित 1400 करोड़ का चंदा खा जाने का आरोप भाजपा पर, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू महासभा ने लगाया था जिस पर आज तक किसी भी सरकारी एजेंसी ने जांच नहीं होने दिया। वर्तमान में अयोध्या में भाजपा नेता चंपत राय, ऋषि पाठक, कुसुम और रवि मोहन तिवारी के द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण घोटाला भी सर्वविदित है। 15 साल के रमन राज में आर एस एस प्रमुख को छत्तीसगढ़ की सुध नहीं आई, अब विगत डेढ़ साल में दो बार छत्तीसगढ़ क्यों आना पड़ा? छत्तीसगढ़ में मुद्दा विहीन हो चुके भाजपा के लिए जमीन तैयार करने का असफल कुत्सित प्रयास कवर्धा और नारायणपुर में भी किए गए। सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक चर्च रमन राज में बने। रमन सिंह सहित भाजपा मंत्रिमंडल के सदस्य प्रार्थना सभा में भी शामिल हुआ करते थे और अब सत्ता जाने के बाद फर्जी धर्मांतरण का तथ्यहीन आरोप लगाकर सांप्रदायिक उन्माद भड़काने लगे हैं। राजनीतिक रूप से कांग्रेस का मुकाबला कर पाने में नाकाम भाजपा अब आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों की मदद से “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत वोट बटोरने सांप्रदायिक जमीन तैयार करने में लगे हैं l
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा के लिए गाय, गोबर और प्रभु श्री राम भी केवल चुनावी लिहाज से ही जरूरी हैं। छत्तीसगढ़ में 15 साल रमन सिंह की सरकार रही, राजधानी रायपुर से महज़ 20 किलोमीटर दूर स्थित दुनिया का एकमात्र माता कौशल्या का मंदिर स्थित है सत्ता में रहने के दौरान भाजपा को कभी याद नहीं आया, कभी सुध नहीं लिए। गौ सेवा के नाम पर संघीयों के द्वारा संचालित है शगुन गौशाला, मयूरी गौशाला और फूलचंद गौशाला जैसे संस्थानों को करोड़ों का अनुदान दिए गए लेकिन वहां गौ सेवा तो दूर हड्डी और चमड़े के लालच में बिना चारा पानी के हजारों गाय मार दी गई। भूपेश सरकार ने तो गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी, गोठानो का निर्माण, राम वन गमन पथ में पर्यटक सुविधाओं के साथ ही चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, शिवरीनारायण, राजिम में आदिवासी क्षेत्रों में देव गुड़ी का निर्माण कराया। भूपेश सरकार के विगत 4 वर्षों में आम जनता की आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। रमन राज के 15 साल के कुशासन वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार के बाद विगत 4 वर्षों में समृद्धि आई है तुम मुद्दा विहीन भाजपाई फिर से बांटने और काटने के आजमाए हुए नुस्खे पर लौट आए हैं। छत्तीसगढ़ शांति और सद्भावना का प्रदेश है। यहां सनातन और संत राष्ट्रीय एकता के पक्षधर हैं। भूपेश सरकार छत्तीसगढ़िया समृद्धि और स्वाभिमान के प्रतीक बन चुके हैं। आरएसएस के मंसूबे यहां कामयाब नहीं होंगे।