महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित कुंए का संसाधन बन गया भगवान सिंह के लिए एक अन्य आय का स्रोत
बैकुण्ठपुर/एमसीबी दिनांक 30/12/22 – छोटे छोटे संसाधन एक ग्रामीण परिवार के लिए कितना महत्व रखते हैं यह सहज ही देखा जा सकता है। पहले सिंचाई का साधन ना होने से सिर्फ ढाई एकड़ में असिंचित खेती के भरोसे किसी तरह साल भर का अनाज एकत्र करने वाले परिवार के पास अब एक एकड़ में ही सिंचाई सुविधा हो जाने से वह प्रति वर्ष औसतन बीस क्विंटल धान भी सहकारी साख समिति में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। यह सफल कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत एमसीबी जिले के जनपद पंचायत खड़गंवा के ग्राम पंचायत उधनापुर में पंजीकृत श्रमिक श्री भगवान सिंह के भूमि पर हुआ है। पहले मनरेगा के अकुषल रोजगार पर आश्रित रहने वाले भगवान सिंह के परिवार के सदस्य अब अपने बाड़ी में ही सब्जी की अच्छी खेती कर लाभ कमा रहे हैं। मात्र ढाई एकड़ भूमि के स्वामी भगवान सिंह के लिए पहले स्थिति अच्छी नहीं थी। ग्राम पंचायत से होने वाले मनरेगा के अकुषल श्रम पर रोजगार के लिए निर्भर यह परिवार अब अपने खेतों में सब्जी उत्पादन से ही अतिरिक्त आय कमाने लगा है। मनरेगा के कुंए के लाभार्थी श्री भगवान सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत को उन्होने आवेदन देकर अपने बाड़ी में कुंए की मांग की थी। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर जिला पंचायत कोरिया से दो वर्ष पूर्व एक लाख अस्सी हजार रूपए से कुंआ निर्माण कराने की अनुमति प्राप्त हुई। कुंए का निर्माण करने के दौरान घर के सदस्यों को पूरे 100 दिन का रोजगार भी प्राप्त हुआ था। वह स्वयं बतलाते हैं कि उनके पास कुल ढाई एकड़ भूमि है घर से लगी हुई भूमि लगभग एक एकड़ है और गांव में दूसरी जगह लगभग डेढ एकड़ भूमि है। पहले सिंचाई का कोई साधन नहीं था दोनों जगहों पर बारिष पर आधारित धान की फसल लगाते थे तो बमुष्किल साल भर खाने लायक अनाज हो पाता था। महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत घर के पास कुंआ बन जाने के बाद एक एकड़ में बेहतर सिंचाई का साधन प्राप्त हो गया। अब धान की फसल भी इतनी हो जाती है कि प्रति वर्ष 15 से 20 क्विंटल धान सहकारी समिति में बेचकर लगभग 50 हजार रूपए का सीधा लाभ हो जाता है। इसके अलावा अब घर में खाने के लिए गेंहूं भी लगा लेते हैं जिससे साल भर खाने के लिए गेंहू भी प्राप्त हो जाता है। भगवान सिंह के परिवार में दो बेटे और बहू भी हैं अब पूरा परिवार लगभग आधे एकड़ खेतों में मौसमी सब्जी का उत्पादन करने लगा है जिससे उन्हे साल भर में लगभग 20 से 30 हजार रूपए का लाभ हो जाता है। अभी भगवान सिंह के खेतों में गोभी मिर्च बैंगन और टमाटर की फसल लगी हुई है। भगवान सिंह ने बताया कि बीते साल उन्होंने 20 हजार रुपए के टमाटर बेचे थे। मनरेगा योजनांतर्गत निर्मित कुंआ अब ग्रामीण श्री भगवान सिंह के लिए अतिरिक्त आय का एक अच्छा जरिया बन गया है।