अनुसूचित जाति आरक्षण के भेदभाव मामले पर राजधानी में गूंजेगी धूम- चंदेल
बड़ौदा बाजार। जिले के जनपद पंचायत रसेड़ा, रसेड़ी, सोनाडिह क्षेत्र के दबंग नेता जो कि पूर्व में जनपद और सरपंच का दायित्व अनेकों बार निभा चुके जनता के बीच गहरी पैठ रखने वाले नेता जी के नाम से प्रसिद्ध नेता द्वारा बताया गया कि जिस तरीके से अनुसूचित जाति के लोगों के साथ आरक्षण के मामले में सरकार के द्वारा भेदभाव किया गया है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। और अनुसूचित जाति के हक में फैसला दिलाने के लिए अगर उन्हें राजधानी तक धूम मचानी पड़ी तो वह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिन रात की लड़ाई लड़ने को तैयार है। जी हां आज अनुसूचित जाति वर्ग के बीच क्षेत्र के सबसे बड़े नेता और वर्तमान में सोनाडीह सीमेंट प्लांट में जनरल सेक्रेटरी के पद पर विराजमान आर एस चंदेल उर्फ घूम ने अनुसूचित जाति वर्ग के रक्षा के लिए आगे कदम बढ़ाते हुए राजधानी में धूम मचाने की ठान ली है। श्री चंदेल का कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग की जिस तरह अनदेखी की गई है यह जानबूझकर अनुसूचित जाति के वर्ग के लोगों को नीचा दिखाने और अपमानित करने का काम किया गया है और सरकार के द्वारा किए गए इस फैसले के प्रति घोर निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि जब सरकार को ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देना था तो ओबीसी वर्ग का हेड काउंट कराया गया, जबकि अनुसूचित जाति का 16% आरक्षण कम कर रमन सिंह और भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने बिना आंकड़े जुटाए अनुसूचित जाति का आरक्षण 16% से 12 %कर दिया गया एवं अनुसूचित जनजाति का 20% से 32% कर दिया गया। यह बात समझ से परे है ,जबकि उच्चतम न्यायालय के सरकारी वकील का दलील एवं बहस के दरमियान प्रस्तुत साक्ष्य स्पष्ट है ऐसे में अनुसूचित जाति वर्ग का हेड काउंट क्यों नहीं कराया गया। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है । इस बात से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की नियत और नियति क्या कहती है। जिस तरह अनुसूचित जाति की अनदेखी की गई है , यह अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अपने समाज और अपने लोगों की लड़ाई के लिए निश्चित रूप से जी जान से लड़ाई जारी रहेगी। जब तक अपने वर्ग के लोगों की सुनवाई नहीं हो जाती तब तक, और जरूरत पड़ी तो राजधानी में पहुंचकर भूख हड़ताल सहित अपने संगठन के आज्ञा के अनुसार विरोध और विद्रोह की स्थिति तक डटकर मुकाबला किया जाएगा ।
आरक्षण पर चल रहा आंकड़ों का खेला
अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण को लेकर जिस तरह से सरकार द्वारा आंकड़ों का खेल खेला जा रहा है। यह निश्चित रूप से समाज के कद्दावर नेताओं से लेकर निचले स्तर तक के सामाजिक ग्रामीण कार्यकर्ताओं को झुनझुना पकड़ा ने और बजाने की स्थिति महसूस हो रही है जिससे लोग बेहद ही नाराज स्थिति में नजर आ रहे हैं। चाहे वह भाजपा की सरकार रही हो तब 16% से घटाकर 12% करना फिर वह कांग्रेस की सरकार हो जो सत्ता के पहले कुछ और और सत्ता पा जाने के बाद कुछ और करनी और कथनी में अंतर के साथ 12% से 13% करके अनुसूचित जाति का मजाक करना एक आंकड़ों का गणित के रूप में समाज को खेल रहे हैं। समाज के लोग इस खेल को बर्दाश्त करने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं और अब यह बात शहर से ग्रामीण की ओर बहुत तेजी से बढ़ने लगी है खबरों की माने तो 25 दिसंबर से होने वाले आंदोलन जिसकी घोषणा प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जाति द्वारा की जा चुकी है जो की 3 राउंड में चलाने की बात कही जा रही है निश्चित रूप से प्रदेश में बड़े स्तर पर भूचाल मचने वाला है। अगर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को उच्चतम न्यायालय के हिसाब से दिए गए आंकड़ों पर आरक्षण नहीं दी जाती है तो सड़क से सदन बड़े आंदोलन में तब्दील हो सकती है। बहरहाल अनुसूचित जाति वर्ग में भारी विरोधाभास को लेकर आरक्षण की नई प्रक्रिया पर सरकार आंदोलन से पहले बड़ा फैसला लेती है ,या फिर कुछ और यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल बड़े आंदोलन की तैयारी पर लाखों की संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के लोग राजधानी और सदन तक पहुंचकर धूम मचाने को तैयार है।