चालू वित्तीय वर्ष में पांचवीं बार रेपो रेट बढ़ाकर मोदी सरकार ने दिया झटका, सारे लोन हो जायेंगे महंगे
महंगाई, बेरोजगारी और आय में कमी से जूझ रही जनता पर मोदी सरकार की दोहरी मार
रायपुर 7 दिसंबर 2022। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते आरबीआई ने आज़ पुनः रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। विगत 8 महीनों के भीतर पांचवीं बार रेपो रेट बढ़ाना यह प्रमाणित करता है कि मोदी सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। इसी वर्ष 4 मई, 8 जून, 5 अगस्त, 30 सितंबर और अब आज़ 7 दिसंबर को रेपो रेट फिर से बढ़ाने का सीधा असर आम जनता पर पड़ना निश्चित है। इससे पहले आरबीआई चार बार की मॉनिटरी पॉलिसी बैठकों में पहले ही 1.90 फीसदी रेपो रेट को बढ़ा चुकी है। होम लोन, आटो लोन, पर्सनल लोन सहित सभी तरह के लोन में ब्याज और ईएमआई महंगे हो जाएंगे। केंद्र की मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वज़ह से महंगाई, बेरोजगारी और आय में कमी की मार झेल रहे आम जनता पर यह एक और अत्याचार है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी राज में गलत आर्थिक नीतियों के चलते व्यापार संतुलन बिगड़ा है, विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रही है, विदेशी कर्ज 490 अरब डालर से बढ़कर 615 अरब डालर से अधिक पहुंच गया है, बेरोजगारी 45 वर्षों के शिखर पर है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में 3.4 प्रतिशत थी जो वर्तमान में ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक 8.2 प्रतिशत है। देश में अभी लगभग 90 करोड लोग नौकरी के योग्य हैं, जिनमें से 45 करोड़ों लोगों ने मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते हताशा में नौकरी की तलाश ही छोड़ दी है। क्रूड आयल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2014 की तुलना में काफी कम है। विगत दो महीने में ही क्रूड ऑयल 30 प्रतिशत की कमी आयी है, लेकिन विगत 8 वर्षों में पेट्रोल की कीमत लगभग 30 रुपए और डीजल की कीमत 40 रुपए प्रति लीटर अधिक है, जो मोदी सरकार के मुनाफाखोरी का प्रमाण है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार चंद बड़े पूंजीपतियों का लाखों करोड़ का लोन राइट ऑफ कर रही है, लगभग डेढ़ लाख करोड़ प्रत्येक वर्ष कारपोरेट को टैक्स में राहत दे रही है, वही दूसरी ओर आम जनता को नित नए तुगलकी फैसलों से प्रताड़ित कर रही है। कपड़ा, आटा, दाल, चावल, दूध, दही, पनीर जैसे दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भी जीएसटी के दायरे में लाकर टैक्स वसूल रही है। विगत 8 वर्षों में आटे की कीमत लगभग 50 प्रतिशत, चावल 32 प्रतिशत, दूध 45 प्रतिशत और नमक की कीमत 35 प्रतिशत तक बढ़ गई है। महंगाई और घटती आमदनी की दोहरी मार झेल रही आम जनता के लिए रेपो दर बढ़ाकर लोन पर ब्याज भी महंगा कर दिया गया है। बुजुर्गों और महिलाओं के आय के प्रमुख स्रोत एफडीआर और बचत खाते पर ब्याज दर घटकर आधी रह गई है लेकिन लोन पर ब्याज दर लगातार बढ़ाये जा रहे हैं। इस फैसले का देश के आर्थिक विकास में नकारात्मक असर सुनिश्चित है।