रमन सरकार की अभिनव पहल : महिला उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं को संगठित करने का निर्णय
राज्य में शुरू होगी महिला पुलिस स्वयं सेविका योजना
मुख्यमंत्री आज करेंगे शुभारंभ
पायलट प्रोजेक्ट के लिए दुर्ग और कोरिया जिले का चयन
रायपुर, दहेज प्रताड़ना सहित महिला उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने महिलाओं को संगठित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए रमन सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अभिनव पहल करते हुए गृह विभाग के सहयोग से महिला पुलिस स्वयं सेविका योजना ’चेतना’ की शुरूआत करने की तैयारी कर ली है।
मुख्यमंत्री कल तीन फरवरी को जिला मुख्यालय दुर्ग के सुराना महाविद्यालय परिसर में अपरान्ह 3.30 बजे आयोजित समारोह में इस योजना का शुभारंभ करेंगे। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू ने बताया कि प्रथम चरण में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना दुर्ग और कोरिया (बैकुण्ठपुर) जिलों में शुरू की जाएगी। योजना के तहत दोनों जिलों में स्वयं सेविका के रूप में 9 हजार से ज्यादा महिलाओं का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ये महिला स्वयं सेविकाएं अपने जिलों की महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देंगी और महिला कल्याण से जुड़ी योजनाओं के बारे में भी उन्हें बताएंगी। महिला पुलिस स्वयं सेविका समाज और पुलिस के बीच जेण्डर आधारित मुद्दों पर एक सेतु के रूप में काम करेंगी। घरेलू हिंसा, बाल विवाह, जहेज प्रथा और मानव तस्करी जैसी घटनाओं के बारे में वे पुलिस को तत्काल जानकारी देंगी।
योजना के तहत स्वयं सेविका के रूप में चयनित महिलाओं द्वारा अपने कार्य क्षेत्र की महिलाओं को सखी वन स्टाप सेंटर, महिला हेल्पलाइन 181, पुलिस हेल्पलाइन 100 और बच्चों की हेल्पलाइन 1098 के बारे में भी बताया जाएगा। स्वयं सेविका के रूप में महिलाओं का चयन पुलिस अधीक्षकों द्वारा किया जाएगा। स्वयं सेविका के रूप में काम करने की इच्छुक महिलाओं की आयु सीमा 21 वर्ष से अधिक और शैक्षणिक योग्यता 12 कक्षा होनी चाहिए। चयन होने पर उन्हें मोबाइल फोन और परिवहन व्यय आदि के लिए एक हजार रूपए का मासिक मानदेय भी दिया जाएगा। चयनित महिला के विरूद्ध किसी भी प्रकार की हिंसा या किसी भी प्रकार के अपराध का कोई प्रकरण दर्ज नहीं रहना चाहिए। महिला पुलिस स्वयं सेविका कोई भी ऐसी महिला हो सकती है, जो सामाजिक और स्वैच्छिक रूप से महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हो और जो लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने और लैंगिक हिंसा से मुक्त समाज निर्माण के लिए पुलिस का समर्थन करने को तैयार हो। महिला पुलिस स्वयं सेविका का चयन संबंधित पुलिस अधीक्षकों द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में कम से कम एक महिला पुलिस स्वयं सेविका तैनात रहेगी। चयनित महिला पुलिस स्वयं सेविका का प्रारंभिक कार्यकाल एक वर्ष का होगा। भारत सरकार से अनुदान प्राप्त होने की स्थिति में उनके कार्यों का समीक्षा कर कार्यकाल बढ़ाया जा सकेगा। उन्हें पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा, ताकि उनके काम-काज के दौरान जनता के साथ उनका बेहतर समन्वय हो सके। महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं में से उत्कृष्ट कार्य करने वाली तीन स्वयं सेविकाओं का जिला स्तर पर चयन कर उन्हें क्रमशः दस हजार रूपए, पांच हजार रूपए और तीन हजार रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा।