भारत के स्वत्व जागरण के लिए प्रतिबद्ध संघ
सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने अखिल भारतीय समन्वय बैठक की दी जानकारी
रायपुर, छत्तीसगढ़ (12.09.2022) रायपुर में संपन्न तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक_2022 की जानकारी डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि भारत की स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर संघ से प्रेरित सभी विविध संगठनों ने देश के स्वत्व को जागृत करने के लिए कार्य को विस्तार देने पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि बैठक में ग्राहक पंचायत ने स्थानीय वस्तुओं को बढ़ावा देने विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था पर जोर देने की बात की जबकि स्वदेशी जागरण मंच ने भारतीय अर्थव्यस्था को मापने केवल जीडीपी को मानक न मानते हुए एक नई मापन प्रणाली बनाने पर विचार किया।
इसी प्रकार भारतीय किसान संघ ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने के संबंध में अपने विचार रखे। भारत में केवल शरीर के रोग के उपचार का विषय नहीं है, भारतीय चिकित्सा पद्धति भी परिष्कृत और उन्नत है। वर्तमान परिस्थिति में आरोग्य भारती ने सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति को अपनाने का विचार रखा और उस पर कार्य करने पर अपनी बात रखी। देश में स्वभाषा के मान को प्रशासन में शामिल करने न्यायपालिका के कार्य प्रणाली में भारतीय भाषा के प्रयोग करने पर विचार हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि देश दुनिया में संघ कार्य बढ़ रहा है, कोविड संक्रमण के समय में थोड़ा कमजोर हुआ, अब फिर शाखा में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित 36 संगठन समाज में कार्य कर रहे हैं। ये सभी स्वायत्त, स्वतंत्र हैं इसलिए इस समन्वय बैठक में कोई निर्णय नहीं होता, विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं, इस उत्सव में संघ के विभिन्न संगठनों ने अपना योगदान दिया है। शैक्षिक महासंघ के 2 लाख विद्यार्थियों ने कार्यक्रम किया, संस्कार भारती ने वंदे मातरम् का गान किया, पूरे देश में 75 नाटकों का मंचन किया। इस प्रकार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 87 हजार से अधिक स्थानों पर तिरंगा फहराया।
उन्होंने बताया कि स्वाधीनता संघर्ष में पूरे देश के सभी क्षेत्र, वर्ग की सहभागिता रही है, भारत का स्व, स्वाधीनता, स्वदेशी, स्वराज में एक समान शब्द है। समन्वय बैठक में सभी को जोड़ने वाले इस स्व को प्रकट करने पर चर्चा हुई। भारत का तत्व आध्यात्मिकता है, इस पर आधारित जीवन पद्धति ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है। ईश्वर एक है, मार्ग अलग अलग है, सभी को सत्य स्वीकार्य है, भारत में एक संस्कृति है जो विविधता का उत्सव मनाते हैं।
उन्होंने बताया कि, रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा था- राजा, सत्ता के पास सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं थी, केवल सेना, विदेश नीति, प्रशासन राजा की जिम्मेदारी थी। समाज शेष कार्य की जिम्मेदारी निभाता था। यह तत्व समाज का कोविड काल में हमने देखा है। लाखों लोग निकल कर साथ में कार्य किया। इसी प्रकार भारत ने भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति को साथ साथ साधने को जीवन है। उपरोक्त तीनों मिलाकर भारत का स्व कैसे प्रगट होगा, इस पर भी चर्चा हुई हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 2022 का आयोजन हुआ जिसमें संघ विचार से जुड़े 36 संगठनों के 240 से अधिक प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।