November 22, 2024

मुख्यमंत्री ने अमर शहीद गैंदसिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके अमर बलिदान को किया नमन

0

मांदरी, हल्बी नृत्य और धनकुल गीत से किया गया मुख्यमंत्री का अभिनन्दन

मुख्यमंत्री को समाज प्रमुखों ने भेंट की पारम्परिक वाद्ययंत्र ‘तोड़ी’

रायपुर, 04 जून 2022/मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज प्रदेशव्यापी भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत पखांजूर में शहीद गैंद सिंह स्मारक भवन परिसर में स्वतंत्रता संग्राम में बस्तर एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद माने जाने वाले तथा बस्तर के युवाओं में क्रांति के बीज बोने वाले अमर शहीद गैंदसिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके अमर बलिदान को याद किया। मुख्यमंत्री ने मां दन्तेश्वरी के छायाचित्र की पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की ।
उल्लेखनीय है कि सप्तमाड़िया राज्यों में सम्मिलित तथा बस्तर की सबसे प्राचीन राजधानी माने जाने वाले परलकोट के जमीदार एवं भूमिया राजा की उपाधि प्राप्त गैंदसिंह द्वारा न्याय प्रियता, साहस एवं उदारता के साथ प्रजापालक के रूप में लोगों की सेवा बस्तर में शासन करने वाले माराठा शासकों के अधीन किया जाता था, परन्तु सन् 1818 में मराठों एवं अंग्रेज सरकार के मध्य युद्ध के परिणाम स्वरूप हुई संधि के साथ बस्तर के लोगों पर हो रहे दोहरे शोषण के विरूद्ध उन्होंने 1824 में विद्रोह प्रारंभ कर दिया। जिसमें उनका साथ अबूझमाड़ के वनवासियों द्वारा धनुष एवं बाण के साथ छापामार युद्ध में दिया गया। इस विद्रोह में धौरा वृक्ष के टहनियों को संकेत एवं संदेश बनाकर उन्होंने प्रयोग किया। शहीद गैंदसिंह द्वारा बस्तर में सितरम (परलकोट) में सुंदर महल का निर्माण भी कराया था, जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। एक वर्ष तक चले सुनियोजित संघर्ष के पश्चात 10 जनवरी 1825 को गैंदसिंह को गिरफ्तार कर उन्हीं के महल के सामने अंग्रेजी सरकार द्वारा 20 जनवरी 1825 को फांसी दे दी गई थी।

मांदरी, हल्बी नृत्य और धनकुल गीत से किया गया मुख्यमंत्री का अभिनन्दन

मुख्यमंत्री के आगमन पर नर्तक दल द्वारा मनमोहक मांदरी नृत्य, बालिकाओं द्वारा हल्बी नृत्य और महिलाओं ने धनकुल गीत प्रस्तुत कर मुख्यमंत्री का अभिनन्दन किया । साथ ही आदिवासी समाज के प्रमुखों ने पगड़ी पहनाकर मुख्यमंत्री को सम्मानित किया । उन्होंने मुख्यमंत्री को पारम्परिक वाद्ययंत्र ‘तोड़ी’ भेंट किया। कार्यक्रम स्थल में उपस्थित आदिवासी महिलाओं ने मुख्यमंत्री को हाथ से कूटा चिवड़ा और वनोपज तेंदू, चार तथा नागर कांदा, कोचई कांदा, डांग कांदा और केऊ कांदा भेंट किये। मुख्यमंत्री ने भेंट स्वरूप मिले उपहारों के लिए सभी का धन्यवाद किया और कहा खूब खाया है केऊ कांदा ।
गौरतलब है कि धनकुल हल्बा समाज की महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला पारम्परिक लोकगीत है। धनकुल गीत तीजा पर्व, फसल कटाई, फसल बुआई जैसे खुशी के अवसरों पर गाया जाता है। यह अलिखित महाकाव्य है, जिसकी प्रस्तुति लम्बी अवधि तक दी जा सकती है। इस गीत की खासियत है कि इसमें मिट्टी की हांडी, सूपा, धनुष, पैरा से बनी घिरनी, खिरनी काड़ी जैसी दैनिक जीवन मे उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का वाद्ययंत्र के रूप में उपयोग किया जाता है। देवी देवताओं के आह्वान से धनकुल गीत की शुरुआत की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *