November 22, 2024

केंद्रीय कृषि मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा मोदी सरकार के किसान विरोधी षडयंत्रों पर पर्दा डालने का असफल प्रयास

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छत्तीसगढ़ के लाखों पात्र हितग्राहियों के किसान सम्मान निधि रोकने और हजारों किसानों से रिकवरी पर केंद्रीय कृषि मंत्री मौन रहे

खाद्य सब्सिडी के बजट में 35 हजार करोड़ की कटौती, उर्वरक आपूर्ती में छत्तीसगढ़ की उपेक्षा, कब मिलेगा लागत पर 50 प्रतिशत लाभ?

रायपुर/31 मई 2022। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्री के छत्तीसगढ़ आगमन पर छत्तीसगढ़ के किसानों को राहत की उम्मीद थी पर मिला कुछ नहीं। मोदी सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ के 10 लाख से अधिक किसान जिन्होंने अपना पंजीयन तो किसान सम्मान निधि के लिए कराया है, ई केवाईसी अपडेशन भी हो चुका है परंतु उन्हें एक भी किस्त नहीं दी गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री के छत्तीसगढ़ आगमन पर राहत मिलेगी, परंतु निराशा ही हाथ लगी। विदित हो कि छत्तीसगढ़ में लगभग 40 लाख से अधिक किसानों ने अपना पंजीयन कराया है, लेकिन इन्हीं के आंकड़ों में 11वीं किस्त भी लगभग 30 लाख किसानों को ही दी जा रही है। छत्तीसगढ़ के एक चौथाई पात्र किसान आज भी योजना के लाभ से वंचित हैं। जबकि छत्तीसगढ़ में शत-प्रतिशत हितग्राहियों का ई केवाईसी अपडेट किया जा चुका है। मोदी सरकार की नीति और नियत में अंतर है छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ उपेक्षा और भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। यही नहीं विगत 3 वर्षों से खाद सब्सिडी का बजट भी केंद्र की मोदी सरकार लगभग 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से घटाते जा रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी खाद सब्सिडी के बजट में 35 हजार करोड़ की कटौती की गई है। जून में खरीफ का सीजन शुरु होने वाला है। आवश्यकता 13.40 लाख मीट्रिक टन है, केंद्र सरकार के द्वारा माहवार आपूर्ति प्लान स्वीकृत किए जाने के बावजूद अब तक आवश्यकता का पांचवा हिस्सा भी नहीं पहुंचा है। रेलवे की रैक उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। केंद्रीय पुल के तहत चावल लेने में कभी “बोनस“ का अड़ंगा तो कभी उसना, अरवा की बाध्यता। आखिर छत्तीसगढ़ के साथ ही भेदभाव क्यों? चंद पूंजीपति मित्रों के लाखों करोड़ों का लोन राइट ऑफ करने वाली मोदी सरकार को आखिर किसानों से इतनी नफरत क्यों है?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पात्र हितग्राहियों को योजना के लाभ से रोकने का कुत्सित प्रयास मोदी सरकार लगातार कर रही है। बड़ी संख्या में हितग्राहियों के नाम काटे जा रहे हैं। जो चुनाव के समय पहले पात्र थे, उनसे अब वसूली का फरमान जारी हो रहा है। देश के 42 लाख 16 हजार से अधिक किसानों से 2992 करोड़ 75 लाख से अधिक की रकम मोदी सरकार के द्वारा वापस मांगी जा रही है, जिसमें छत्तीसगढ़ के 58200 से अधिक छोटे किसानों से 356 करोड 96 लाख की रिकवरी का फरमान भी शामिल है। मोदी सरकार केवल चुनावी लाभ के लिए चुनाव के समय ही किसानों को पात्र समझती है और उसके बाद वसूली।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का जांजगीर जिला जो धान उत्पादन में अग्रणी है। किसान सम्मान योजना के तहत केवल जांजगीर जिले में 3 लाख 29 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन हुआ था। पहली किस्त 2 लाख 40 हजार किसानों को दी गई। दूसरी किस्त 1 लाख 83 हजार किसानों को मिला। तीसरी किस्त केवल 75 हजार किसानों को और चौथी किस्त आते-आते यह संख्या घटकर मात्र 35 हजार रह गई। भारतीय जनता पार्टी के नेता बताएं कि 90 प्रतिशत हितग्राहियों की कटौती का आधार क्या है? दरअसल पूंजीवादी भाजपाइयों का असल चरित्र ही किसान विरोधी है।

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