November 22, 2024

गिरौदपुरी धाम मेले का समापन, जगतगुरु रुद्र कुमार ने मुख्य मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और तरक्की के लिए कामना की

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तीन दिवसीय मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी के मंदिर में मत्था टेका और गुरु दर्शन का लाभ प्राप्त किया

जगतगुरु रूद्र कुमार के हाथों प्रसाद पाकर धन्य हुए संत समाज जन, जगतगुरु की एक झलक पाने एकसाथ हजारों की संख्या में उमड़ पड़ी भीड़

बलौदाबाजार 9 मार्च, 2022। मनखे-मनखे एक समान का संदेश देने वाले संत शिरोमणि पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जन्मस्थली व तपोभूमि गिरौदपुरी धाम में तीन दिवसीय विशाल संत समागम मेले का आज समापन हुआ। मेले में देशभर के सतनाम धर्मावलंबी एवं संत समाज जनों ने लाखों की संख्या में पहुंचकर मुख्य मंदिर के गुरु गद्दी में मत्था टेककर पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस संत समागम में जगतगुरु विजय कुमार जी व जगतगुरु रूद्र कुमार जी का आशीष भी लोगों ने गुरु दर्शन के माध्यम से प्राप्त किया। गिरौदपुरी धाम में तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भीड़ और गुरु बाबा घासीदास जी के जयघोष के बीच जगतगुरु रुद्र कुमार ने जोड़ा जैतखाम और मुख्य मंदिर में पालो चढ़ाया। जगतगुरु रुद्र कुमार ने उपस्थित दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरण किया। जगतगुरु के दर्शन लाभ होने व उनके हाथों से प्रसाद प्राप्त कर दर्शनार्थी अपने आपको धन्य मान रहे हैं। मेले के अंतिम दिन मुख्य मंदिर में जगतगुरु रुद्र कुमार द्वारा पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की पूजा अर्चना कर पालो चढ़ाया गया। इसके साथ ही मुख्य मंच से जगतगुरु द्वारा मेला समाप्ति की घोषणा की गई।

जगतगुरु रुद्र कुमार ने विशाल मंच से हजारों की संख्या में संत समाज जनों को आशीर्वचन दिए। उन्होंने छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ की जनता की खुशहाली और तरक्की के लिए परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी से कामना की। उन्होंने पूज्य बाबा जी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का श्रद्धालुओं को संकल्प दिलाया। साथ ही उन्होंने जैतखाम में चढ़ने वाले पालो (धर्म ध्वजा) के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि जिस तरह से हम सफेद पालो जैतखाम में चलाते हैं स्वच्छ, साफ और सुंदर। वैसे ही हमें अपने अंतर्मन को स्वच्छ, साफ, सुंदर और अपने कर्मों को ऐसा करें कि हर समाज के साथ, हर वर्ग के साथ जुड़कर हम विश्व शांति स्थापित कर सके। उन्होंने गुरु परिवार के इतिहास की जानकारी देते हुए अपने वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट जगत गुरु सतनाम पंथ डॉट कॉम के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा आजकल तरह-तरह की किताबें मिलती है जिसमें इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। ऐसे में इस वेबसाइट के माध्यम से आपको संपूर्ण जानकारी सतनाम पंथ के विषय में एक जगह पर मिल जाएगी। इस वेबसाइट की यही खासियत है कि इसमें किसी तरह की इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।

जमीन पर लेते हुए पहुंच रहे हैं गुरुदर्शन के लिए

गिरौदपुरी धाम में बाबा जी की आशीर्वाद प्राप्त करने जमीन पर लोटकर दंडवत प्रणाम करते हुए हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। जमीन पर लोटकर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन द्वारा अलग से बैरिकेड की गई थी और नीचे कारपेट बिछाई गई ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।

पंथी नृत्य से बाबा का संदेश

मेला परिसर में मुख्य मंच में प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों से आए लोक कलाकारों द्वारा गुरु घासीदास द्वारा मानव जाति के लिए दिए गए सत्य, अहिंसा के संदेश को उपस्थित श्रद्घालुओं के बीच प्रस्तुत कर उन्हें संदेशों को आत्मसात करने का आग्रह किया जा रहा है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम, चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात

गिरौदपुरी मेले में देश भर से लाखों श्रद्घालु गुरुदर्शन के लिए आते हैं। मेले में आने वाले अपार भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। गिरौदपुरी गांव से लेकर छाता पहाड़ तक, पंच कुंडीय, अमृत कुंड, चरण कुंड, मुख्य मंदिर, मेला परिसर, विश्व के सबसे बड़े जैतखाम आदि सभी जगह पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किए गए।

गुरु घासीदास बाबा जी के जन्मभूमि एवं कर्मभूमि तपोभूमि में मत्था टेकने के लिए दूर दराज के लोग यहां पहुंचे। मेला परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस बल तैनात किये गये थे। मेला देखने जाने वालों के लिए दाल-भात सेंटर खोला गया था। पूज्य गुरु घासीदास बाबा के जन्म भूमि व कर्मभूमि, तपोभूमि में मन्नत मांगने के लिए भक्त लोट मारते हुए मंदिर के मुख्य द्वार पहुंचकर गुरु घासीदास बाबा का दर्शन व पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद ले रहे हैं। मेला स्थल में श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से छाता पहाड़ से लेकर पंचकुंडी, अमृतकुंड, मेला स्थल की सभी स्थानों पर पर्याप्त बिजली और पानी की व्यवस्था की गई थी। तीन दिवसीय गुरुदर्शन मेले का आज समापन था। इस अवसर पर प्रदेशभर के विभिन्न पार्टियों के जनप्रतिनिधि सहित लाखों की संख्या में राजमहन्त, संत और श्रद्धालु गण उपस्थित थे।

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