सरगुजा में चल रहा नशा मुक्ति अभियान…. पर मणिपुर चौकी की दुकानदारी ही नशे पर निर्भर
कई शिकायतों के बाद भी एक भी कार्रवाई नहीं… कप्तान भी नहीं सुनना चाहते यहां की कारगुजारी
अंबिकापुर। सरगुजा एसपी अमित कांबले के नेतृत्व में सरगुजा को नशा मुक्त करने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। कोतवाली हो या गांधीनगर क्षेत्र… इन क्षेत्रों में लगातार नशे को लेकर कई कार्रवाई कर एसपी ने वाहवाही लूटी है… परंतु जब मणिपुर चौकी की बात सामने आती है तो उनकी सोच को क्या हो जाता है…? क्यों के हब के रूप में बढ़ते जा रहे हैं मणिपुर क्षेत्र से कोई भी कार्रवाई नहीं होने पर कप्तान सवाल नहीं उठा पाते…। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि हजारों शिकायतों के बाद भी मणिपुर चौकी में कुछ भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई नहीं की जाती। सिर्फ आम जनता ही नहीं बल्कि पूरे पुलिस महकमे में यह बात जगजाहिर है कि नाम के लिए मणिपुर चौकी की प्रभारी एक महिला को बनाया गया है। बाकी वहां क्या करना है किस पर अपराध दर्ज करना है या किसी को किसी मामले में फंसा कर पैसे की वसूली करनी है… यह सभी निर्णय वहां के छोटे कद का प्रवीण सिंह नामक आरक्षक ही लेता है।
मणिपुर चौकी क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण इलाके आते हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र के भी कई इलाके हैं जहां बड़ी आसानी से नशे का सामान खरीदा बेचा जाता है। चाहे वह महुआ शराब हो या फिर बाहर दूसरे राज्यों से लाई गई अंग्रेजी शराब… गांजा व नशीली गोलियों का एक बड़ा हब यह क्षेत्र बन चुका है…। तो क्या यहां की पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है…? खैर ऐसा तो संभव नहीं। जब से मणिपुर चौकी में महिला प्रभारी व उक्त आरक्षक प्रवीण की स्थापना हुई है तब से पूरा क्षेत्र सिर्फ और सिर्फ उक्त आरक्षक की बदसलूकी से परेशान है। नशे पर कार्रवाई इस कारण नहीं होती क्योंकि वही वहां की सबसे बड़ी दुकानदारी है। एक तरफ मणिपुर पुलिस के संरक्षण में वहां चल रहे नशे के कारोबार और दूसरी तरफ नशा मुक्ति अभियान जैसी बात खासतौर से इस क्षेत्र के लिए तो बेमानी लगती है।
क्षेत्र में गस्त गायब… यहां की हवा भी हुई नशीली
मणिपुर क्षेत्र में गस्त या सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो पहले जिस तरह से मणिपुर चौकी पुलिस बिलासपुर चौक वह आस-पास में सक्रिय दिखती थी, वह दौर अब खत्म था हो चला है। पुलिस की उपस्थिति उसी जगह पर दिखती है जहां कुछ आमदनी या फिर कहें की जेब गर्म हो सके। मणिपुर क्षेत्र की हवा पूरी तरह से नशीली हो चुकी है, परंतु कप्तान उसके बारे में एक शब्द सुनने को तैयार नहीं। खासतौर से उक्त आरक्षक जो पैर छू कर अपना काम कहीं से भी आसानी से निकलवा लेता है उसकी बदसलूकी अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। कभी भी क्षेत्र में जनता पुलिस की ऐसी कारगुजारी को लेकर सड़क पर भी उतर सकती है।