November 24, 2024

किसानों के धान खरीदी पर राजनीति कर रहे भाजपा नेताओं पर कांग्रेस का तंज : हाथी निकल गई अब पूंछ पकड़कर झूल रहे भाजपा के नेता

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किसानों के धान खरीदी के नाम से घड़ियाली आंसू बहा कर राजनीति कर रहे हैं भाजपा के नेता सेंट्रल पुल में उसना चावल लेने पर रोक पर मौन क्यों है?

रायपुर/14 जनवरी 2022। किसानों से धान खरीदी की तिथि बढ़ाने की मांग कर रहे भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि हाथी निकल गई तब भाजपा के नेता हाथी के पूंछ को पकड़कर झूल रहे हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार धान खरीदी के दिन से लेकर आज तक 17 लाख 13 हजार 445 किसानों से लगभग 68 लाख 92 हजार मिट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी कर चुकी है। प्रतिदिन लगभग 70 हजार से अधिक किसानों से तीन लाख मैट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी की जा रही है। राज्य में धान बेचने वाले कुल 22 लाख 66 हजार के करीब किसान पंजीकृत है। 17 लाख से अधिक किसानों के धान बिक चुके हैं और राशि उनके खाते में जमा हो चुकी हैं धान खरीदी 31 जनवरी तक होना है और राज्य के धान बेचने कुल पंजीकृत किसानों में से लगभग 5 लाख 50 हजार के करीब किसानों से ही धान खरीदी करना शेष है जो तय समय में पूरा कर लिया जाएगा।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के धान खरीदी में बाधा उत्पन्न करने का षड्यंत्र कर रही थी। हर वर्ष नए नियम कायदे लागू कर रही हैं बारदाना देने में भी हिला हवाला किया गया। सेंट्रल पूल में पूर्व की तरह उसना चावल लेने पर मनाही कर दी गई। इतने षड्यंत्र साजिशों के बाद बाद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार राज्य के 22 लाख 66 हजार किसानों से 1 करोड़ 5 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी के लक्ष्य को पूरा करने 80 प्रतिशत आगे बढ़ चुकी है। अब धान खरीदी महा तिहार को सफल होते देख भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। धान खरीदी के विषय में घड़ियाली आंसू बहा रहे भाजपा नेताओं को किसानों को बताना चाहिए कि केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ से उसना चावल लेने पर लगाई गई रोक पर मौन क्यों है? किसानों के धान खरीदी के लिए मांगी गई 5 लाख 50 हजार गठान बारदाना में कटौती की गई तब भाजपा नेताओ के मुहं में दही क्यों जमा था? किसानों को धान की कीमत एकमुश्त 2500 रु. क्विंटल दिया गया तब मोदी सरकार के द्वारा उसमें नियम शर्ते लगाई गई और धमकी दी गई कि किसानों को समर्थन मूल्य से 1 रु. भी अधिक दिया जाएगा तो सेंट्रल में चावल नहीं आएगा तब भाजपा नेताओं ने विरोध क्यों नहीं किया? भाजपा किसान विरोधी थी है और रहेगी। जिस प्रकार से मोदी की सरकार ने तीन काले कृषि कानून लाकर किसानों को गुलाम बनाने की कोशिश की, किसानों के आय को बाधित करने काम किया जिसके खिलाफ 14 महीने से किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। 700 से अधिक किसानों की शहादत हो गई । उस भाजपा के नेता किसानों के हितेषी कभी हो ही नहीं सकते भाजपा छत्तीसगढ़ में किसानों के नाम से घड़ियाली आंसू बहा कर राजनीति करती है। लेकिन जब किसानों की बात को मोदी सरकार के सामने रखने की बारी आती है तब भाजपा नेताओं को किसान किसान नहीं दिखते बल्कि आतंकवादी नक्सली टुकड़े टुकड़े गैंग पाक परस्त और राष्ट्र विरोधी नजर आते हैं और भाजपा के नेता किसानों के विरोध में खड़े रहते हैं।

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