November 22, 2024

साहब,,, जरा चटनियां हसदेव तट प्लांटेशन का तो पोस्ट मार्टम करवा दीजिए,, पेड न्यूज़ पे

0

5 हेक्टेयर का गायब प्लांटेशन भी शायद उग जाए

मनेंद्रगढ़ कोरिया – एक कहावत है की सूपा बोले तो बोले पर चलनी कैसे बोले।बड़ा ही हास्यप्रद वाक्या का दौर इन दिनों मनेंद्रगढ़ वन मंडल के वन परिक्षेत्र मनेंद्रगढ़ में ब्याप्त है।अपनी करतूतों की रोज खुलती पोल और लापरवाही पर मंथन कर अपने कार्यशैली को सुधारने की बजाय जनाब रेंजर साहब के पास सिर्फ एक ही काम बाकी रह गया है।वो भी गुलमोहर और बोगन बेलिया जैसे दो चार पौधों के पास उछल उछल कर फोटो खिंचवाने और फिर पेड न्यूज़ पर अपनी उपलब्धि गिनाने का। आपको बता दें की जिस तरीके से मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र के कई कक्ष क्रमांक में जंगलों की कटाई,कोयला खनन,पत्थरों में प्लांटेशन सहित बिना पानी के नरवा जैसा लापरवाही वाला मंजर देखने को मिला और हमने उसे पूरी प्रमुखता से प्रकाशित भी किया।जिसके बाद ऐसा प्रतीत होता है की जनाब जिम्मेदार, अखबारों की सत प्रतिशत खबर को ही फर्जी और गलत बताने का जैसे अभियान ही छेड़ दिए हैं।

हम कहते हैं,,रेंजर साहब चटनियां हसदेव नदी तट पर 5 हेक्टेयर के मिश्रित प्लांटेशन पर भी फोटो खिंचवाकर आइए शायद आपके सुंदर चरणों के स्पर्श से वहां की जमीन पर भी जादू हो जाए और जमीन से गायब प्लांटेशन हरियाली में बदल जाए।

खैर,, सांच को कैसी आंच देखिए बिना पानी का नरवा,,,

जी हां, जल जमीन और जीने के लिए पर्यावरण के संतुलन बावत छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार की सफल योजना पर जोरदार ग्रहण लगाने में मनेंद्रगढ़ वन मंडल पहले भी अखबारों की सुर्खियां बटोर चुका है।उसी के आज की पोल खोल अभियान की कड़ी में आपको बिना पानी के नरवा का रुख कराते हैं।अवगत करा दें कि जिस तरह पहाड़ी के उपरी हिस्से या टापू में मलगा मार्ग पर नरवा निर्माण कराया गया था।ठीक उसी तरह मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र द्वारा जंगलों में बनाया गया है।आपको जानकर हैरानी होगी की नरवा जिन उद्देश्यों के लिए निर्माण कराए जाते हैं।इस नरवा को देखकर यहां पर बिल्कुल भी ये सिद्ध नहीं होता की यह कार्य वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति कर सकेगा।मौका मुआयना और जमीनी स्तर की पड़ताल पर हमने जब इस नरवा का हाल देखा तो ऐसा आभास हुआ कि यह कार्य काफी गुणवत्ता विहीन और घटिया दर्जे का है। हालात को देखकर प्रतीत हुआ की बरसात बीतने के बाद भी इस नरवा इतना पानी नहीं बचा या इकट्ठा हुआ की पंछी भी अपनी प्यास बुझा सकें,,बहरहाल मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र की आगे की पड़ताल अनवरत जारी रहेगी।कई और हैरत अंगेज जंगलों के अंदर की कहानी से आपको रू ब रू कराएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *