झाँसे से ख़बरदार करती फ़िल्म ‘झाँसा’
बिलासपुर,पवन कुमार और मुकेश सिंह द्वारा निर्देशित लघुफ़िल्म झाँसा एक निर्भीक प्रयास है उस सियासी कुचक्र को दिखाने का जो अपनी स्वार्थसिद्धि के लिये सामाजिक समरसता के ताने बाने को सालों से उधेड़ता रहा है।
मज़हबी या जातीय दंगों की आग में सियासी रोटी सेंकने का न तो चलन नया है और न हीं नए हैं वो सियासी हथकंडे जो इस आग को भभकाते हैं।नया तो जनता का सियासी हथकंडों के आगे बेवकूफ़ बनने का किस्सा भी नहीं है।एक भड़काऊ भाषण,सोशल मीडिया पर एक झूठा उकसाऊ वीडियो और सारा समाज हिंसा की उन्मादी आग में कूद पड़ता है।
लघुफ़िल्म झाँसा में इसी विद्रूप सच को बड़ी बेबाकी से दिखाया गया है।फ़िल्म का ध्यातव्य चेहरा हैं राजीव निगम जो पहले भी अपने यु ट्यूब के कार्यक्रम ‘बहुत हुआ सम्मान’ के ज़रिये सहिष्णुता और आपसी सौहार्द की पैरोकारी करते रहे हैं। त्रिपुरारी,तुषार,प्रिंस,नन्दिनी,राजनन्दिनी,एवम मुकेश सिंह जैसे कलाकारों ने भी इस फ़िल्म को असरदार बनाने में महती भूमिका निभाई है।फ़िल्म का गाना अपने तेज़ाबी तास्सुर के लिये विशेष उल्लेखनीय है।
सीमित साधन व सीमित बजट में बनी यह लघुफ़िल्म कई ओटीटीज द्वारा पसंद की गई पर विवाद की आशंका ने उन्हें इस साहसिक फ़िल्म को अंगीकार करने से रोक दिया।
इन तमाम अड़चनों के बावजूद यु ट्यूब पर तेजी से वायरल होती लघुफ़िल्म झाँसा यह संदेश देने में पूर्णतया सफ़ल रही है कि सोशलमीडिया के इस दौर में जहाँ मोबाइल जैसे उपस्कर झूठ और अफवाहों को अपनी सवारी दे देते हैं और ब्रॉडबैंड उन झूठ और अफवाहों को तेज रफ़्तार,जनता का ऐसे झाँसे के ख़िलाफ़ ख़बरदार रहना बहुत ज़रूरी है वरना शांति और सौहार्द पर कुठाराघात होता रहेगा।