प्रदेश के 7777 गौठानों में स्वसहायता समूहों की 60 हजार महिलाएं आजीविकामूलक गतिविधियों में संलग्न, महिला समूहों को 42 करोड़ रूपए का मुनाफा’
’मार्च-2022 तक 10 हजार गौठानों को मल्टी-एक्टीविटी सेंटर के रूप में विकसित करने का लक्ष्य’
किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में परिचर्चा में शामिल हुए मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा और कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह
रायपुर. 6 दिसम्बर 2021. मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह और वेकुल (Waycool) के सहसंस्थापक श्री कार्तिक जयरमन आज राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में परिचर्चा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार श्री शर्मा ने परिचर्चा में कहा कि प्रदेश के 7777 गौठानों में दस हजार स्वसहायता समूहों की 60 हजार महिलाएं विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों में लगी हुई है। इन महिलाओं को विविध रोजगारमूलक गतिविधियों के माध्यम से 42 करोड़ रूपए का मुनाफा हुआ है। उन्होंने इस दौरान बताया कि महिलाओं के स्वरोजगार के लिए सभी गौठानों में एक एकड़ में ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना की जा रही है।
श्री शर्मा ने परिचर्चा में कहा कि पुराने समय में गांव में नरवा की संख्या, घर में पशुधन की संख्या तथा खेती-बाड़ी गांव व परिवार की समृद्धि के सूचक होते थे। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा नदी-तंत्र छत्तीसगढ़ में है। यहां से छोटी-बड़ी 32 नदियां निकलती हैं। प्रदेश के 20 हजार गांवों में 33 हजार नरवा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 82 दिन का मानसून रहता है। यहां धीरे-धीरे बारिश होती है जिससे यहां के जलस्रोत अच्छे से रिचार्ज हो जाते हैं। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 11 हजार से अधिक नरवा के संरक्षण और संवर्धन का काम चल रहा है।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने परिचर्चा में सुराजी गांव योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना में कृषि, उद्यानिकी, पशुधन विकास और जल संसाधन विभाग के साथ ही अन्य विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है। कई विभागों के अभिसरण से अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अधिक कीमत देने वाली फसलों का रकबा बढ़ रहा है। किसानों की पूरी फसल अच्छे दामों पर बिके, इसके लिए ‘बायर-सेलर (Buyer-Seller)’ के बीच अच्छा सांमजस्य जरूरी है।
श्री सिंह ने कहा कि लोगों के खाने-पीने की आदतें बदल रही हैं। लोग अपनी सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक हो रहे हैं। चावल और गेहूं के साथ ही अन्य फसलों की भी मांग आ रही है। उन्होंने कहा कि गांवों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने में गौठान बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। मार्च-2022 तक प्रदेश के दस हजार गौठानों को मल्टी-यूटिलिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है।
वेकुल (Waycool) के सहसंस्थापक श्री कार्तिक जयरमन ने परिचर्चा में कहा कि बाजार की मांग के अनुसार फसलों का उत्पादन होना चाहिए। कितने रकबे में खेती हो रही है और बाजार में कितनी उपज आएगी, इसका पहले से आंकलन जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन का नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम हमारी पूरी कृषि पद्धति को पुनर्जीवित कर रहा है। इससे गांवों की अर्थव्यवस्था और किसानों व पशुपालकों की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।